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अमेरिका 10 लाख टन प्लास्टिक सागर में डाल रहा है हर साल

२ नवम्बर २०२०

केवल अमेरिका में ही 10 लाख टन से ज्यादा प्लास्टिक रिसाइकिल नहीं हो रहा है. इसका मतलब है कि अमेरिका का हर नागरिक एक साल में 1300 प्लास्टिक के बैग समंदर, सड़कों और ऐसी दूसरी जगहों पर डाल रहा है.

Totes Albatrossküken mit verschlucktem Plastik
तस्वीर: picture-alliance/All Canada Photos/R. Olenick

प्लास्टिक के कचरे पर हुई एक स्टडी में यह बात सामने आई है. फिलहाल 2016 तक के आंकड़े ही मौजूद हैं और यह तब की बात है जब कई देशों ने अमेरिका से कचरे के आयात पर रोक नहीं लगाई थी. इनसे पता चलता है कि अमेरिका में 4.63 करोड़ टन प्लास्टिक का कचरा पैदा किया गया जो दुनिया में अब तक सबसे ज्यादा है. इनमें से करीब 2.7 फीसदी से 5.3 फीसदी का सही तरीके से निपटारा नहीं हुआ. यानी ना तो इन्हें जलाया गया, ना लैंडफिल में डाला गया और ना ही रिसाइकिल किया गया. साइंस एडवांस जर्नल ने इस बारे में रिपोर्ट छापी है.

अमेरिका में पैदा हुए प्लास्टिक में से 12-25 लाख टन प्लास्टिक कचरे के रूप में जमीन, नदियों, झीलों और सागरों में डाले गए. इन्हें या तो अवैध रूप से फेंका गया या फिर देश के बाहर तो भेजा गया लेकिन उनका सही तरीके से निपटारा नहीं किया गया. रिसर्च रिपोर्ट की सह लेखिका और जॉर्जिया यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर जेना जामबेक का कहना है कि करीब 25 लाख टन प्लास्टिक की बोतलें, रैपर और राशन के थैलों को अगर व्हाइट हाउस के लॉन में रख दिया जाए तो, "यह एंपायर इस्टेट की इमारत से ऊंचा होगा."

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/NOAA

प्लास्टिक कचरे वाले देशों में शामिल

इससे पहले की रिसर्चों में अमेरिका को समंदर में प्लास्टिक उड़ेलने वाले 10 सबसे खराब देशों में नहीं रखा गया था. इसकी वजह यह थी कि अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण संस्था आधिकारिक रूप से लैंडफिल और रिसाइकिल सेंटर भेजे और निपटाए जाने वाले कचरे का ही ब्यौरा रखती है. गंदे तरीके से निपटाए जाने वाले प्लास्टिक पर उसकी नजर नहीं है.

तस्वीर: AP

यही वजह है कि पिछले रिसर्चों में शामिल कुछ रिसर्चरों ने इसका गहराई से अध्ययन करने का फैसला किया और तब पता लगा कि अमेरिका में खराब तरीके से कचरे का निपटारा इतना ज्यादा है कि वह तीसरी दुनिया के सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरे वाले देशों में शामिल किया जा सकता है. इस रिसर्च का आकलन है कि करीब 16 लाख टन प्लास्टिक अमेरिका ने समंदर में डाला है. मैसाचुसेट्स की सी एजुकेशन एसोसिएशन में समुद्रविज्ञान की प्रोफेसर कारा लवेंडर लॉ का कहना है, "हम जरूरत से ज्यादा प्लास्टिक कचरे के कारण एक वैश्विक संकट झेल रहे हैं." उनका यह भी कहना है कि नई रिसर्च "की प्रेरणा इस जानकारी से मिली कि अमेरिका अनुमान से अधिक प्लास्टिक समंदर में डाल रहा है." रिसर्च का दायरा इसलिए इतना व्यापक है क्योंकि रिसर्चरों ने कचरे के निपटारे की गतिविधियों की जिस तरह खोज की उन्हें अभी तक मापा नहीं गया था.

बहुत कम हिस्से की रिसाइक्लिंग

टोरंटो यूनिवर्सिटी में इकोलॉजी की प्रोफेसर चेल्सी रोशमैन का कहना है, "ज्यादा व्यापक अनुमान कचरे के खराब प्रबंधन और रिसाव की सही तस्वीर पेश करते हैं. हम प्रति नागरिक बहुत ज्यादा प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं और उसका बहुत थोड़ा हिस्सा ही रिसाइकिल करते हैं."

स्थिति बदल रही है, चीन और दूसरे देशों ने अमेरिकी कचरे का आयात बंद कर दिया है. ऐसे में और ज्यादा प्लास्टिक कचरा लैंडफिल में पहुंच रहा है. 2016 में अमेरिका से प्लास्टिक का निर्यात चरम पर था अब उसमें करीब 70 फीसदी की गिरावट आई है. अगले साल की शुरुआत से कई और देश अमेरिकी कचरे को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि इसके लिए एक अंतरराष्ट्रीय सहमति बनी है. तब स्थिति और खराब होगी.

उद्योग समूह अमेरिकन केमिस्ट्री काउंसिल के उपाध्यक्ष जोशुआ बाका का कहना है कि उद्योग जगत स्थिति को सुधारने के लिए अरबों डॉलर खर्च कर रहा है. इसमें रिसाइक्लिंग की नई तकनीक के अलावा नए बिजनेस मॉडल भी बनाए जा रहे हैं ताकि कचरे को घटाया जाए. इसमें रिसाइकिल किए जाने वाले मैटीरियल का पैकेजिंग में इस्तेमाल बढ़ाना भी शामिल है.

एनआर/एमजे (एपी)

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