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अमेरिकी गोलीबारी में भारतीय मछुआरे की मौत

१८ जुलाई २०१२

अमेरिकी नौसेनिक जहाज से हुई फायरिंग में घायल हुए भारतीय मछुआरे ने अमेरिका के इस दावे को गलत बताया है कि उनकी नाव ने अमेरिकी बेड़े की चेतावनियों को नजरअंदाज किया. सोमवार को हुई गोलीबारी में एक भारतीय की मौत और 3 घायल हुए.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

सोमवार को अमेरिकी नौसेना के जहाज यूएसएनस रेपाहैनेक से संयुक्त अरब के तट के करीब भारतीय मछुआरों की नाव पर फायरिंग की गई. अमेरिकी नौसेना के पांचवें बेड़े का दावा है कि मछुआरों का जहाज बहुत तेजी से उनकी तरफ बढ़ रहा था और उसने लगातार चेतावनियों को अनदेखा किया.

इस घटना ने खाड़ी के जल में बढ़ रहे तनाव का संकेत दे दिया है. यहां ईरान पर उसके परमाणु कार्यक्रम की वजह से अमेरिका दबाव बढ़ाने के लिए लगातार अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है.

गोली लगने के बाद दुबई के जबल अली बंदरगाह के पास अस्पताल में भर्ती कराए गए मछुआरे ने बताया कि गोली चलाने से पहले उन्हें कोई चेतावनी नहीं दी गई. उसके मुताबिक मछुआरों की नाव ने अमेरिकी बेड़े के करीब आने से बचने की पूरी कोशिश की थी. 28 साल के मुत्थु मुनिराज को पैर में गोली लगी है. उसे अमेरिका में बनी प्वाइंट 50 कैलिबर की बंदूक से गोली मारी गई. अस्पताल में भर्ती मुनिराज ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "हमें जहाज से किसी तरह की कोई चेतावनी नहीं मिली. हम बहुत तेजी के साथ उनसे दूर जा रहे थे तभी फायरिंग हो गई. हम चेतावनी की आवाजों और संकेतों को जानते हैं, वहां कुछ भी नहीं था. यह बहुत अचानक हुआ. मेरा दोस्त मारा गया. वो चला गया. मैं नहीं समझ पाया हूं कि क्या हुआ."

उधर अमेरिकी नौसेना के पांचवें बेड़े के प्रवक्ता लेंफ्टिनेंट जनरल ग्रेग रायलसन ने कहा, "नाव को संकेत देने के लिए पहल गैर विनाशक तरीकों को इस्तेमाल किया गया." इसके साथ ही प्रवक्ता ने कहा कि मछुआरों की नाव ने कोई जवाब नहीं दिया. रायलसन के मुताबिक, "उसके बाद सुरक्षा दल ने प्वाइंट 50 कैलिबर के बंदूक से फायर किया. हमारे जहाजों को खतरे से अपनी सुरक्षा करने का स्वाभाविक अधिकार है."

अमेरिका अपने जहाजों पर हमले को लेकर खास तौर से आशंकित रहता है. साल 2000 में अल कायदा के दो आत्मघाती हमलावरों ने अमेरिकी जहाज यूएसएस कोल से विस्फोटकों से भरी नाव टकरा दी थी. जिससे उस जहाज में एक तरफ बड़ा छेद हो गया और 17 अमेरिकी नाविक मारे गए. मछुआरों की नाव पर सवार दूसरे लोगों में छह भारतीय और दो सऊदी अरब के नागरिक हैं. इन लोगों का कहना है कि जबल अली में मछली पकड़ने के बाद वापस लौटते वक्त उनके नाव पर गोलीबारी की गई. 35 साल के मुत्थु कन्नन ने बताया, "हम मछली पकड़ रहे थे और उसके बाद जब हम वापस लौट रहे थे तभी उन्होंने हम पर आंधी की तरह गोलीबारी शुरू कर दी." मुत्थु के पेट और पैर में गोली लगी है. 26 साल के पांडु सनाधन ने बताया, "हम लोग कोई पहली बार बोट में नहीं गए थे. हम सब जानते हैं कि चेतावनी कैसी होती है. मुझे बस भारी गोलीबारी ही याद है."

सऊदी अरब में भारतीय राजदूत एमके लोकेश ने मछुआरों से मिलने के बाद रॉयटर्स से कहा, "जाहिर है कि अगर उन्हें चेतावनी दी गई होती तो वह जहाज के इतने करीब नहीं गए होते. अगर हवा में भी गोली चलाई गई होती तो वो अपनी नाव लेकर दूर चले गए होते." यह पूछने पर कि क्या भारत सरकार अमेरिकी नाविकों के खिलाफ कानूनी आरोप दायर करेगी, राजदूत ने कहा, "हमें आगे बढ़ने से पहले दुबई पुलिस की जांच का इंतजार करना होगा. हम उन पर इस मामले को तेजी से निपटाने के लिए दबाव बना रहे हैं."

भारतीय मीडिया के कुछ हिस्से में इस घटना के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. टीवी चैनलों पर, "समुद्र में हत्या" जैसे हेडलाइन खूब चले हैं. दिल्ली में अमेरिकी दूतावास ने इस घटना पर दुख और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने जॉर्ज लिटिल ने थोड़ा और आगे बढ़कर कहा है, "निश्चित रूप से इस घटना में जीवन का नुकसान होने पर हमें अफसोस है." अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने इस बारे में कहा है कि अमेरिका भारत के साथ मिल कर काम करेगा और, "जितना मुमकिन है उतना पारदर्शी रह कर उन्हें पूरा हो जाने के बाद जांच के नतीजों के बारे में बताया जाएगा."

ईरान ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि पहले से ही अस्थिर इस इलाके में इस घटना के बाद अस्थिरता और बढ़ जाएगी. ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रमीन मेहमानपरस्त ने सरकारी टीवी चैनल पर कहा, "हम पहले भी कई बार कह चुके है कि विदेशी फौजों की यहां मौजूदगी क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है."

एनआर/एजेए (रॉयटर्स)

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