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ट्रंप, जो बाइडेन के भविष्य का फैसला

१४ दिसम्बर २०२०

अमेरिका के अगले राष्ट्रपति को चुनने के लिए इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य सभी राज्यों में अपना मत डालेंगे. नतीजे वॉशिंगटन भेजे जाएंगे और छह जनवरी को अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र में उनकी गिनती होगी.

Wilmington | Gewählter US-Präsident Biden Präsentation Gesundheitsteam
तस्वीर: Susan Walsh/AP Photo/picture alliance

सोमवार 14 दिसंबर का दिन कानूनी रूप से मुकर्रर की गई वो तारीख है जिस दिन इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य मिलेंगे. सदस्य सभी पचासों राज्यों और कोलंबिया डिस्ट्रिक्ट में मिलेंगे और अपना अपना मत डालेंगे. इस मतदान के नतीजे वॉशिंगटन भेजे जाएंगे और वहां छह जनवरी को संसद के संयुक्त सत्र में इनकी गिनती की जाएगी.

इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों के मतों पर इस साल हमेशा से ज्यादा ध्यान है, क्योंकि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अभी तक चुनावों में अपनी हार नहीं मानी है और वो अभी भी धोखाधड़ी के आधारहीन आरोप लगा रहे हैं. मतदान हो जाने के बाद बाइडेन सोमवार रात को राष्ट्र को संबोधित करेंगे.

इस बीच ट्रंप चुनाव जीतने के अपने झूठे दावे पर अड़े हुए हैं और बाइडेन के कार्यकाल की शुरुआत से पहले ही उन्हें नीचा दिखा रहे हैं. शनिवार को उन्होंने फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "मुझे चिंता इस बात की है देश को एक अवैध राष्ट्रपति नहीं मिलना चाहिए. एक ऐसा राष्ट्रपति जो चुनावों में सिर्फ हारा नहीं है, बल्कि बहुत बुरी तरह से हार चुका है."

ट्रंप चुनाव जीतने के अपने झूठे दावे पर अड़े हुए हैं और बाइडेन के कार्यकाल की शुरुआत से पहले ही उन्हें नीचा दिखा रहे हैं.तस्वीर: Kevin Dietsch/UPI/ newscom/picture alliance

कई सप्ताहों तक ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी ने बाइडेन की जीत को कानूनी चुनौतियां दीं जिन्हें जजों ने बड़ी आसानी से खारिज कर दिया. पिछले सप्ताह ट्रंप और उनके रिपब्लिकन सहयोगियों ने सुप्रीम कोर्ट को विश्वास दिलाने की कोशिश कि वो चार राज्यों में बाइडेन को मिले इलेक्टोरल कॉलेज के 62 मतों को निरस्त कर दे.

अगर ऐसा हो जाता तो चुनाव के नतीजों पर शंका के बादल मंडराने लगते, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जजों ने शुक्रवार 11 दिसंबर को इस कोशिश को खारिज कर दिया. ट्रंप के 232 मतों के मुकाबले बाइडन ने इलेक्टोरल कॉलेज के 306 मत जीते. जीतने के लिए 270 मत चाहिए होते हैं.

32 राज्यों और कोलंबिया जिले में सदस्य उसी के पक्ष में मत डालने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं जो आम मतदान में जीता हो. जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने भी सर्व-सम्मति से इस पर अपनी मुहर लगा दी थी. वैसे भी कॉलेज के सदस्य लगभग हमेशा ही राज्य में जीते हुए प्रत्याशी को ही चुनते हैं क्योंकि अमूमन वो अपनी पार्टी के प्रति समर्पित होते हैं.

इलेक्टोरल कॉलेज का गठन संविधान को तैयार किए जाने के समय एक समझौते का नतीजा था, क्योंकि एक तरफ वो लोग थे जिनका मानना था कि राष्ट्रपति को आम मतदान से चुना जाना चाहिए और दूसरी तरफ वो जो लोगों को अपना नेता चुनने का अधिकार सीधा दिए जाने के खिलाफ थे.तस्वीर: Andrew Harnik/dpa/AP/picture alliance

इस साल इससे कुछ अलग होगा यह मानने की कोई वजह नहीं है. जाने माने सदस्यों में जॉर्जिया की डेमोक्रेट स्टेसी अब्राम्स और दक्षिण डकोटा की रिपब्लिकन राज्यपाल क्रिस्टी नोएम शामिल हैं. मतदान पेपर बैलट से होता है और हर सदस्य राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के लिए एक-एक मत डालता है.

इलेक्टोरल कॉलेज का गठन संविधान को तैयार किए जाने के समय एक समझौते का नतीजा था, क्योंकि एक तरफ वो लोग थे जिनका मानना था कि राष्ट्रपति को आम मतदान से चुना जाना चाहिए और दूसरी तरफ वो जो लोगों को अपना नेता चुनने का अधिकार सीधा दिए जाने के खिलाफ थे.

हर राज्य को संसद में उसकी सीटों के बराबर इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य दिए जाते हैं. वाशिंगटन डीसी के पास तीन मत होते हैं. माइन और नेब्रास्का के अलावा हर राज्य इलेक्टोरल कॉलेज के अपने मत उसी प्रत्याशी को दे देता है जो आम मतदान में चुना गया हो.

देश के संस्थापकों द्वारी बनाई गई इस व्यवस्था की वजह से पांच ऐसे चुनाव हुए हैं जिनमें राष्ट्रपति वो नहीं बना जो आम मतदान में जीता हो. इसका सबसे हालिया उदाहरण खुद ट्रंप थे, 2016 में. इस साल बाइडेन ने ट्रंप को 70 लाख मतों से भी ज्यादा से हरा दिया. इलेक्टोरल कॉलेज के इस पड़ाव के बाद बाइडेन के कार्यकाल के शुरू होने में बस एक चरण और बाकी रहेगा, और वो है उनके प्रशासन का उदघाटन. 

सीके/एए (एपी)

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