दुनिया के सबसे अमीर लोगों में एक माइकल ब्लूमबर्ग क्या अपनी दौलत के दम पर अमेरिका के राष्ट्रपति भी बन सकते हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में पैसे के इस्तेमाल पर बहस तेज हो गई है.
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चुनाव में पैसे का खेल कोई नई बात नहीं और अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव भी इससे अछूता नहीं है. पिछली बार ट्रंप के चुनाव मैदान में उतरने से जिस बहस को हवा मिली थी वो इस बार ब्लूमबर्ग के दौड़ में शामिल होने के बाद और तेज हो गई है.
न्यू यॉर्क के भूतपूर्व मेयर ब्लूमबर्ग की निजी संपत्ति 50 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा है. शनिवार को ब्लूमबर्ग के एक प्रमुख सलाहकार ने कहा कि वे डॉनल्ड ट्रंप को अगले साल चुनाव में हराने के लिए "जितना जरूरी होगा" उतना खर्च कर सकते हैं. बफैलो यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर जैकम नील हाइजेल बताते हैं कि कई यूरोपीय देशों के उलट अमेरिका में किसी उम्मीदवार के चुनाव पर पैसा खर्च करने की कोई सीमा नहीं है.
कितना चंदा कितना खर्च
अमेरिका के कानून में यह तय किया गया है कि किसी उम्मीदवार को कोई आदमी 2,800 डॉलर से ज्यादा का चंदा नहीं दे सकता. हालांकि उम्मीदवारों अपनी निजी संपत्ति से जितना चाहें उतना पैसा चुनाव प्रचार पर खर्च कर सकते हैं. इसका फायदा ब्लूमबर्ग, टॉम स्टेयर और उन जैसे दूसरे अरबपति उम्मीदवारों को मिलेगा.
सरकारी पैसा
जो लोग अमीर नहीं हैं वो भी चुनाव में करोड़ों डॉलर की रकम खर्च कर सकते हैं. पॉलिटिकल एक्शन कमेटियों को चुनाव प्रचार के लिए असीमित धन जमा करने की छूट है हालांकि ये कमेटियां सीधे उम्मीदवारों से नहीं जुड़ी होती हैं. मुख्य उम्मीदवार आमतौर पर सार्वजनिक धन का इस्तेमाल करते हैं. इसके जरिए उन्हें संघीय धन का उपयोग करने का अधिकार मिल जाता है हालांकि इस खर्च की कुछ सीमाएं हैं.
संघीय खजाने से उम्मीदवारों को प्राइमरी और आम चुनाव दोनों के लिए पैसा मिल सकता है. अमेरिकी के संघीय चुनाव आयोग के मुताबिक प्राइमरी के अभियान में उम्मीदवार को धन देने वाले हर समर्थक के बदले 250 डॉलर की रकम मिल सकती है. इसके अलावा प्रमुख पार्टी के उम्मीदवारों को आम चुनाव में खर्च करने के लिए भी पैसा मिलता है.
1976 से 2012 के बीच प्रमुख पार्टियों के उन सम्मेलनों के लिए भी पैसा दिया गया जिनमें उम्मीदवारों का नामांकन होता है. इसके अलावा छोटी पार्टियों को इन सम्मेलनों के लिए कुछ आर्थिक मदद दी गई. 2014 में यह कानून बन गया कि सम्मेलनों के लिए सरकारी पैसा नहीं मिलेगा. उम्मीदवारों को बहुत पैसा जुटाने की जरूरत पड़ती है ताकि वो अपनी प्रचार टीम को भुगतान कर सकें या फिर विज्ञापन खरीद सकें.
खर्च में ब्लूमबर्ग पहले ही आगे
ब्लूमबर्ग ने बीते रविवार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल होने का एलान किया. हालांकि वह अपने पैसे का इस्तेमाल रिकॉर्ड तोड़ने में पहले से ही कर रहे हैं. पिछले हफ्ते उन्होंने 3.35 करोड़ खर्च कर 20 राज्यों में टीवी विज्ञापन के स्लॉट खरीदे. इससे पहले इस काम पर सबसे ज्यादा रकम बराक ओबामा ने खर्च की थी. राजनीतिक विज्ञापनों पर नजर रखने वाली फर्म एडवर्टाइजिंग एनालिटिक्स के मुताबिक ओबामा ने 2012 में इसके लिए 2.5 करोड़ डॉलर खर्च किए थे.
ब्लूमबर्ग एलान कर चुके है कि वह ट्रंप को निशाना बनाने वाले विज्ञापनों पर 10 करोड़ डॉलर खर्च करेंगे. ब्लूमबर्ग का कहना है कि अपनी संपत्ति का इस्तेमाल कर वे खेमेबाजी करने वाले गुटों के असर से खुद को आजाद रख सकेंगे. उम्मीदवारों पर इन गुटों के असर के बारे में अकसर चर्चा होती है. ये गुट राष्ट्रपतियों को नीतियां बनाने या उनमें बदलाव करने पर विवश करते हैं.
2015-16 में चुनाव मैदान में उतरे डॉनल्ड ट्रंप ने भी यही दलील दी थी. अमेरिका में व्हाइट हाउस की दौड़ में शामिल होने वाले पहले अरबपति ने कहा था कि उनका चुनाव खर्च उनकी कंपनी उठाएगी ताकि उन पर किसी का कर्ज ना रहे. ट्रंप ने हालांकि 6.6 करोड़ डॉलर अपनी जेब से खर्च किए लेकिन आखिर में उन्होंने भी कई बड़े दानदाताओं से चंदा लिया.
लॉबिस्टों से परहेज
डेमोक्रैटिक पार्टी की वामपंथी उम्मीदवार एलिजाबेथ वारेन और बर्नी सैंडर्स लगातार अरबपतियों के असर की आलोचना करते हैं और वह चाहते हैं कि टैक्स लगा कर इन लोगों के पैसे से यूनीवर्सिल हेल्थकेयर और छात्रों की कर्जमाफी की योजनाओं पर खर्च की जाए. ये लोग पहले से ही ब्लूमबर्ग पर "चुनाव खरीदने" का आरोप लगा रहे हैं.
पहले सैंडर्स और फिर वारेन ने लॉबिस्टों से चंदा लेने से मना कर दिया. इन लॉबिस्टों पर अकसर अमेरिकी लोकतंत्र को "भ्रष्ट" करने के आरोप लगते हैं. दोनों उम्मीदवार इस पैसे की क्षतिपूर्ति अपने समर्थकों से चंदा मांग कर करते हैं. सितंबर के आखिर तक दोनों उम्मीदवार चंदा जुटाने में सबसे आगे थे. इन दोनों में से हर एक ने करीब 2.5 करोड़ डॉलर का चंदा समर्थकों से ही जमा कर लिया. राजनीति में धन के असर को घटाने के लिए काम करने वाले संगठन कैम्पेन लीगल सेंटर के ब्रेंडन फिशर का कहना है, "ऐसा लगता है कि उनकी शपथ की गूंज जनता में सुनाई दे रही है."
जनता का पैसा
डेमोक्रैटिक पार्टी जमीनी स्तर पर चंदा जमा करने को बढ़ावा देना चाहती है. 20 दिसंबर की बहस में शामल होने के लिए उम्मीदवारों के यह साबित करना होगा कि उन्होंने कम से कम 2 लाख लोगों से चंदा हासिल किया है. इनमें 800 से ज्यादा चंदा देने वाले 20 राज्यों से होने चाहिएं. जो लोग इसमें नाकाम रहेंगे वो उम्मीदवारी की दौड़ से बाहर हो जाएंगे.
ब्लूमबर्ग ने चंदे से दूर रह कर ऐसा लगता है फरवरी की पहली प्राइमरी से पहले की इन टीवी बहसों से खुद को बाहर कर लिया है. हालांकि नीलहाइजेल के मुताबिक चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि बड़ी धनराशि ने दूसरे उम्मीदवारों के मुकाबले उन्हें पहले ही "ज्यादा उपयुक्त" बना दिया है.
चुनावों के लिए पैसा अहम है लेकिन इतना भी नहीं कि नतीजों को प्रभावित कर सके. आखिर पिछले चुनाव में ट्रंप के मुकाबले दोगुनी रकम (60 करोड़ डॉलर) खर्च करने के बाद भी हिलेरी क्लिंटन हार गईं. फिशर का कहना है, "यह लोकप्रिय विचारों या फिर प्रेरक उम्मीदवार के रास्ते में नहीं आ सकता लेकिन यह एक जरूरी पूर्वशर्त तो है."
रिपोर्टः निखिल रंजन/एएफपी
अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा
अगले साल अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट लंबी होती जा रही है. नवंबर 2020 के चुनाव के लिए रेडियो होस्ट से लेकर आध्यात्मिक गुरू तक मैदान में हैं जिनकी उम्र 37 से 78 साल के बीच है.
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जो बाइडन
ओपिनियन पोल में डेमोक्रैटिक पार्टी के जो बाइडेन फिलहाल सबसे आगे हैं. 77 साल के बाइडेन आठ साल तक देश के उप राष्ट्रपति रहे हैं और 36 साल से अमेरिका की सीनेट में हैं. वह इस बड़ी बहस के केंद्र में हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में एक दिग्गज को मौका मिले या फिर किसी नए उभरते नेता को.
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एलिजाबेथ वारेन
70 साल की अमेरिकी सीनेटर मैसाचुसेट्स से आती हैं. वह डेमोक्रैटिक पार्टी के उदारवादी धड़े का चेहरा हैं और वॉल स्ट्रीट की कटु आलोचक. 2008 की मंदी के दौरान संघीय ग्राहक वित्तीय संरक्षण ब्यूरो बनाए जाने में उनकी बड़ी भूमिका थी. बीते कुछ महीनों में उनका अभियान तेज हुआ है और कई सर्वेक्षणों में उन्होंने बाइडन की बराबरी की है.
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बर्नी सैंडर्स
2016 के राष्ट्रपति चुनाव में सैंडर्स हिलेरी क्लिंटन से पिछड़ गए थे लेकिन इस बार फिर मैदान में हैं. 78 साल के सैंडर्स को अक्टूबर में नेवाडा में प्रचार के दौरान दिल का दौरा पड़ा था हालांकि उनके समर्थकों पर इसका कोई खास असर नहीं हुआ है. उन्होंने सरकारी कॉलेजों में निशुल्क पढ़ाई, 15 डॉलर प्रति घंटे की न्यूनतम मजदूरी और सबके लिए स्वास्थ्य सेवा का प्रस्ताव दिया है.
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पीट बुटजीज
37 साल के साउथ बेंड, इंडियाना के मेयर बटगीग अब तक बहुत विख्यात नहीं थे लेकिन युवा वोटरों के समर्थन ने उन्हें बहुत जल्द पार्टी के चमकते सितारों में शामिल करा दिया है. हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट और रोड्स स्कॉलर बटगीग सात भाषाएं बोलते हैं और उन्होंने यूएस नेवी रिजर्व के साथ अफगानिस्तान में सेवा भी दी है. वह अमेरिका में राष्ट्रपति बनने की दौड़ में शामिल में पहले घोषित समलैंगिक हैं.
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कमला हैरिस
पहली बार की सीनेटर कमला हैरीस पहली काली अश्वेत महिला हैं जो इस दौड़ में शामिल हुई हैं. भारतीय मूल की मां और जमैका के पिता की संतान कमला मध्यवर्ग के लिए टैक्स छूट, ग्रीन न्यू डील और मारिजुआना का कारोबार कानूनी बनाने की समर्थक हैं. जून में बाइडेन के साथ नस्ली मुद्दों पर बहस के बाद उनकी लोकप्रियता बढ़ी थी लेकिन हाल में यह नीचे गई है.
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माइकल ब्लूमबर्ग
न्यू यॉर्क शहर के पूर्व मेयर और अरबपति मीडिया मुगल माइकल ब्लूमबर्ग 77 साल के हैं और इसी रविवार उन्होंने अपनी दावेदारी पेश की है. फोर्ब्स के मुताबिक आठवें सबसे अमीर अमेरिकी ब्लूमबर्ग की संपत्ति करीब 53.4 अरब डॉलर है. वह अपने प्रचार अभियान के लिए खुद पैसा खर्च कर सकते हैं. उन्होंने जलवायु परिवर्तन और बंदूक की संस्कृति के खिलाफ बोल कर अपने लिए समर्थक खड़े किए हैं.
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एंड्रयू यांग
न्यू यॉर्क के कारोबारी और भूतपूर्व टेक्नोक्रैट यांग ने अपना प्रचार अभियान सभी लोगों के लिए एक आमदनी की महत्वाकांक्षी योजना पर केंद्रित रखा है. 44 साल के यांग चाहते हैं कि सभी 18 से 64 साल के बीच उम्र वाले सभी अमेरिकी लोगों को हर महीने एक हजार डॉलर दे दिए जाएं. वह सबके लिए मेडिकेयर का भी समर्थन करते है और ऑटमेशन को अमेरिकी कामगारों के लिए सबसे बड़ा खतरा मानते हैं.
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एमी क्लॉबुशर
मिनेसोटा से अमेरिकी सीनेटर 59 साल की ओर लोगों का ध्यान तब गया जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में नॉमिनेशन की सुनवाई पर ब्रेट कावेनॉव को खरी खरी सुनाई. चुनाव अभियान में उनका कहना है कि वह ओबामाकेयर को बेहतर बनाएंगी इसके अलावा डॉक्टर के पर्चे पर मिलने वाली दवाओं की बढ़ती कीमतों के खिलाफ भी उनका रुख विरोध का है.
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कोरी बुकर
न्यू जर्सी के सीनेटर और नेवार्क के पूर्व गवर्नर ने कावेनाव को सुप्रीम कोर्ट का जज नॉमिनेट करने के खिलाफ संघर्ष कर के पूरे अमेरिका में प्रसिद्धी पाई. बुकर ने नस्ली रिश्तों और भेदभावों को अपराध न्याय तंत्र में शामिल कराने को अपने चुनाव अभियान के केंद्र में रखा है. वह हर अमेरिकी के लिए हेल्थकेयर, ग्रीन न्यू डील और दूसरे कई मुद्दों पर प्रगतिशील रुख रखते हैं.
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तुलसी गबार्ड
हवाई से अमेरिकी सांसद और इराक युद्ध में हिस्सा ले चुकीं तुलसी गबार्ड हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स तक पहु्ंचने वाली पहली हिंदू हैं. समलैंगिकता का विरोध कर चुकीं तुलसी अब इस पर माफी मांग चुकी हैं. गबार्ड के लोकलुभावन और युद्ध-विरोधी विचारों ने दक्षिण और वाम दोनों तरफ उनके लिए समर्थक जुटाए हैं.
तस्वीर: AFP
जूलियन कास्त्रो
ओबामा प्रशासन में गृह और शहरी विकास का मंत्रालय संभाल चुके कास्त्रो पहले हिस्पानियाई हैं जिन्हें अमेरिकी राजनीतिक दल ने राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों में शामिल किया है. 45 साल के कास्त्रो की दादी मेक्सिको से टेक्सस आई थीं. वह सबके लिए प्री किंडरगार्टेन, मेडिकेयर का समर्थन करते हैं और सस्ते मकानों की तरफदारी में अपने अनुभव का वास्ता देते हैं. वह सैन अंटोनियो के मेयर और सिटी काउंसिलमैन रहे हैं.
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टॉम स्टेयर
अरबपति पर्यावरणवादी और डेमोक्रैटिक पार्टी के लिए चंदा जुटाने वालों में अग्रणी रहे स्टेयर ने जनवरी में कहा था कि वह ट्रंप का महाभियोग कराने और डेमोक्रैट उम्मीदवार को चुनाव में जिताने पर ध्यान दे रहे हैं. 62 साल के स्टेयर ने जुलाई में अपना रास्ता बदल दिया और कहा, "जब तक हमारे लोकतंत्र से कॉर्पोरेट का कब्जा खत्म नहीं होता हम ऐसा नहीं कर पाएंगे."
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जॉन डेलानी
मैरीलैंड के पूर्व सांसद डेलानी 2020 के राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में शामिल होने वाले पहले डेमोक्रैट उम्मीदवार हैं. 56 साल के डेलानी का कहना है कि अगर वो जीत गए तो पहले 100 दिनों में सिर्फ ऐसे बिलों को आगे बढ़ाएंगे जो दोनों पार्टियों की तरफ से आएंगे. सबके लिए स्वास्थ्य सेवा, संघीय न्यूनतम मजदूरी और बंदूक से सुरक्षा के लिए कानून बनाने पर उनका जोर है.
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माइकल बेनेट
54 साल के कोलोराडो के सीनेटर बेनेट ने अपनी राजनीति अमेरिकी शिक्षा तंत्र को बेहतर बनाने पर आधारित रखी है. वह डेनवर के सरकारी स्कूलों को भी चला चुके है. वह राष्ट्रीय स्तर पर बहुत विख्यात नहीं हैं लेकिन राजनीतिक कार्यकर्ताओं और दानदाताओं का उन्होंने एक बड़ा नेटवर्क खड़ा किया है. जनवरी में अमेरिकी सरकार की आंशिक तालाबंदी के दौरान रिपब्लिकन पार्टी की कड़ी आलोचना कर वह देश में चर्चित हुए.
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स्टीव बुलक
मोंटाना के गवर्नर ने 2016 में दोबारा जीत तब हासिल की जब ट्रंप को यहां भारी समर्थन मिल रहा था. वह मानते हैं कि उनका समर्थन करने वाले दोनों पार्टियों में हैं. 53 साल के बुलक के एजेंडे में आर्थिक सुधार है. वह राज्य में मेडिकल हेल्थकेयर बिल का विस्तार करने को श्रेय लेते है. इसके अलावा महिलाओं के लिए समान वेतन और सार्वजनिक जमीनों की सुरक्षा भी उनकी प्राथमिकताओं में है.
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मारियाने विलियम्सन
67 साल की मशहूर लेखिका और प्रेरणादायी भाषण देने वाली टेक्सस निवासी मारियाने को यकीन है कि उनका अध्यात्म-आधारित प्रचार अभियान अमेरिकी लोगों की समस्याओं का समाधान करेगा. वह शिक्षा में सुधार, बंदूक नियंत्रण और समलैंगिकों के लिए समान अधिकार की बात करती हैं. उन्होंने अश्वेत लोगों को गुलाम बनाने के लिए 100 अरब अमेरिकी डॉलर का मुआवजा दिए जाने की मांग भी की है.
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जो सेस्ताक
अमेरिकी नेवी से के रिटायर हो चुके एडमिरल और पेंसिल्वेनिया के पूर्व सांसद जो सेस्ताक जून में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पाने की दौड़ में शामिल हो गए. 31 साल के अपने सैन्य करियर का हवाला देकर वो कहते हैं कि उनका लक्ष्य दुनिया में अमेरिका के वैश्विक नेतृत्व को बहाल करना है. खासतौर से जलवायु परिवर्तन और चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए.
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डेवल पैट्रिक
पैट्रिक इस दौड़ में थोड़ी देर आए उन्होंने अपनी उम्मीदवारी का पर्चा आखिरी तारीख के बस कुछ ही दिन पहले भरा. 63 साल के मैसाचुसेट्स के पूर्व गवर्नर स्वास्थ्य सेवा में सुधार की योजना और पेंशन सुधारों को लागू करवाना चाहते हैं. इसके साथ ही परिवहन और न्यूनतम मजदूरी भी उनके एजेंडे में है. 2014 में ओबामा ने कहा था कि "पैट्रिक एक महान राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति हो सकते हैं."
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डॉनल्ड ट्रंप
73 साल के रिपब्लिकन डॉनल्ड ट्रंप रियल इस्टेट के बड़े कारोबारी हैं. 2016 में रिपब्लिकन उम्मीदवारी और फिर चुनाव में जीत में हासिल कर उन्होंने राजनीति के पंडितों को स्तब्ध कर दिया. अमेरिका में उनके खिलाफ महाभियोग की जांच चल रही है लेकिन वह वोटरों के बीच अब भी काफी लोकप्रिय हैं. अमेरिका फर्स्ट, अर्थव्यवस्था की मजबूती और आप्रवासियों के खिलाफ नीतियां उनकी प्राथमिकताओं में अब भी कायम है.
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जो वाल्श
पूर्व सांसद 57 साल के ट्रंप के पक्के और मुखर आलोचक हैं. उनका मानना है कि ट्रंप रुढ़िवादी नहीं हैं और इस लिए सार्वजनिक पद के लिए उपयुक्त नहीं हैं. वाल्श ने इलिनोय से रिपब्लिकन पार्टी की 2010 में उम्मीदवारी हासिल की थी लेकिन डेमोक्रैट उम्मीदवार टैमी डकवर्थ ने 2012 में उनके दोबारा चुनाव की मंशा ध्वस्त कर दी. संसद से बाहर जाने के बाद वो शिकागो में एक रेडियो टॉक शो के होस्ट बन गए.
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बिल वेल्ड
74 साल के वेल्ड मैसाचुसेट्स के पूर्व गवर्नर हैं और 2016 में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में हार चुके हैं. वह राष्ट्रपति ट्रंप की लगातार आलोचना करते हैं. 2020 के लिए अपना चुनाव अभियान उन्होंने यह कह कर शुरू किया कि अमेरिकी लोगों की उपेक्षा हो रही है और देश मुश्किलों में हैं.