अमेरिकी चुनाव में रूसी दखल के ठोस सबूतों का दावा
६ जनवरी २०१७![Russische Puppen Putin und Trump](https://static.dw.com/image/36991488_800.webp)
अमेरिका की चार बड़ी गुप्तचर ईकाइयां नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप को चुनाव में रूसी दखलअंदाजी के बारे में ब्रीफ करने वाली हैं. लेकिन डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस जेम्स क्लैपर ने सीनेट की सुनवाई में एक बार फिर अपनी जांच के नतीजों में "गहरा" विश्वास जताया है.
आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के सामने क्लैपर ने कहा, "रूसियों का लंबा इतिहास रहा है, दूसरों के और अपने चुनावों में हस्तक्षेप करने का." उन्होंने आगे कहा, "लेकिन हमने किसी चुनाव प्रक्रिया को इतने सीधे सीधे प्रभावित करने वाला अभियान नहीं देखा था, जैसे इस मामले में दिखा." क्लैपर के मुताबिक, "इस बहुमुखी अभियान में हैकिंग तो केवल एक हिस्सा था, इसके अलावा इसमें प्रोपेगैंडा, दुष्प्रचार और फर्जी खबरें भी शामिल थीं."
क्लैपर के अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी प्रमुख माइकल रॉजर्स और रक्षा मंत्रालय के गुप्तचर विभाग के उप प्रमुख मार्सेल लेट्रे ने भी कमेटी को एक साझा बयान दिया जिसमें लिखा था, "केवल रूस के वरिष्ठ अधिकारी" ही ऐसे ऑपरेशन की आज्ञा दे सकते थे, जिसमें हैकर्स ने डेमोक्रैटिक पार्टी की फाइलें और ईमेल चुराए. चुराई गई ये फाइलें फिर विकिलीक्स के माध्यम से फैलाई गईं जिनके कारण पार्टी और उसकी उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
दूसरी ओर, रूस इन सभी आरोपों को नकारता आया है. ट्रंप ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ घनिष्ठता बढ़ाने का वादा किया है. वे शुरू से रूस पर लग रहे ऐसे सभी आरोपों को खारिज करते आए हैं. ट्रंप ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए, जांच एजेंसी एफबीआई और अन्य एजेंसियों की पुरानी गलतियों का मजाक उड़ाते हुए ट्वीट किया है कि हो सके तो वे हैकिंग और ईमेल लीक का संबंध पुतिन सरकार के साथ साबित करके दिखाएं.
बुधवार को ट्रंप अपने ट्वीट्स के माध्यम से विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज की इस बात को काफी महत्व देते दिखे कि हैकिंग के पीछे तो कोई 14 साल का बच्चा भी हो सकता है. इससे भी गुप्तचर एजेसियों का अपमान हुआ क्योंकि ट्रंप ने अपने देश की प्रमुख इंटेलिजेंस संस्थाओं की बजाए असांज की बात को महत्व और सत्यता देने की कोशिश की.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हैकिंग और फेक न्यूज के जरिए दखलअंदाजी के आरोपी रूस के खिलाफ अमेरिका ने हाल ही में बेहद कड़ी कार्रवाई की है. अमेरिका ने रूस के 35 राजनयिकों को देश से चले जाने को कह दिया. राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रूस की जासूसी एजेंसियों जीआरयू और एफएसबी पर भी प्रतिबंध लगा दिए. अमेरिकी गुप्तचर एजेंसियों से राष्ट्रपति ओबामा ने साइबर हमलों और चुनाव में रूसी हस्तक्षेप पर विस्तार से रिपोर्ट पेश करने को कहा था. ओबामा को इस रिपोर्ट के बारे में गुरुवार को ब्रीफ किया गया. इसके एक दिन बाद क्लैपर, रॉजर्स, एफबीआई महानिदेशक जेम्स कॉमी और सीआईए निदेशक इसे ट्रंप के सामने भी पेश करेंगे.
आरपी/एके (एएफपी)