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अमेरिकी जांच में सहयोग से पाकिस्तान का इनकार

३ दिसम्बर २०११

पाकिस्तान ने नाटो के हवाई हमले की अमेरिकी जांच में सहयोग करने से इनकार कर दिया है. पाकिस्तान के इस रुख से साफ हो गया है कि अमेरिका के साथ उसके रिश्तो में आए तनाव के तुरंत घटने के आसार फिलहाल नहीं हैं.

तस्वीर: dapd

26 नवंबर को अफगान सीमा पर नाटो के जिस हवाई हमले में पाकिस्तान के 24 सैनिकों की मौत हो गई उसकी जांच में सहयोग के लिए पाकिस्तान को बुलावा दिया गया लेकिन अधिकारियों ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया है. अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रेस सचिव जॉर्ज लिटिल ने कहा है, "उन लोगों ने अब तक यही तय किया है कि वो इसमें शामिल नहीं होगे लेकिन हम उनके सहयोग का स्वागत करेंगे."

तस्वीर: dapd

अमेरिकी रक्षा विभाग के इस बयान से अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि उन्हें इस बात की पहले से ही उम्मीद थी कि पाकिस्तान जांच में सहयोग करने से इनकार करेगा. पाकिस्तान ने अपने देश के रास्ते नाटो के लिए रसद की आपूर्ति का काम पहले ही बंद कर दिया है. इसके साथ ही बॉन में हो रही अफगान जंग पर कांफ्रेंस का बॉयकाट करने का फैसला किया है. इतना ही नहीं अमेरिकी सेना से सीमावर्ती शम्सी हवाई अड्डे को खाली करने के लिए कहा गया है. इस हवाई अड्ड़े का इस्तेमाल अमेरिकी खुफिया एजेंसी तालिबान और अल कायदा के लड़ाकों के खिलाफ ड्रोन हमले में कर रही थी.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

पाकिस्तान में एक रक्षा अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएफपी से नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि जल्द ही पाकिस्तान की तरफ से औपचारिक इनकार अमेरिका को भेज दिया जाएगा. इसके साथ ही इस अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान की इस जांच में शामिल होने में कोई दिलचस्पी नहीं है. इस अधिकारी ने कहा, "आधिकारिक रूप से हमारी प्रतिक्रिया अभी नहीं आई है लेकिन हम इस जांच में शामिल नहीं होंगे क्योंकि पिछली दो जांच का कोई नतीजा नहीं निकला और हमें लगता है कि तीसरी जांच का भी वही हाल होगा. इसलिए इसकी कोई जरूरत नहीं है."

तस्वीर: dapd

पाकिस्तान का कहना है कि 2010 और 2008 में हुए नाटो के हमलों की भी ठीक से जांच नहीं की गई. शुक्रवार को तो अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से यह खबर भी छाप दी कि हमलों के लिए हरी झंडी पाकिस्तानी अधिकारियों ने ही दिखाई. पाकिस्तानी अधिकारियों ने इससे साफ इनकार किया है. उनका कहना है कि उन्होंने जिस इलाके की बात की वह वहां से उत्तर की ओर 15 किलोमीटर दूर है.

एएफपी से बात करने वाले अधिकारी ने बताया कि, "उन्होंने सोचा कि उस खास इलाके में कोई गतिविधि चल रही है. हमने उनसे कहा कि नहीं वहां कोई गतिविधि नहीं है. थोड़ी देर बाद उसी सीमा सहयोग केंद्र से कहा गया कि हमें अफसोस है, सही जानकारी नहीं मिली." पाकिस्तान का कहना है कि उसके बाद दोबारा हमला हुआ. इस अधिकारी ने कहा, "पहला हमला गलती हो सकती है, वो लौट गए लेकिन फिर दोबारा लौटने का क्या मकसद था."

अमेरिका ने इस घटना पर दुख जताया है लेकिन माफी नहीं मांगी है जबकि अमेरिकी सेना इस मामले की जांच में जुटी है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कैप्टन जॉन किर्बी ने वाशिंगटन में पत्रकारों से कहा,"इसमें कोई शक नहीं कि इस घटना का हमारे रिश्तों पर असर पड़ेगा. दोनों पक्ष इसे गंभीरता से ले रहे हैं क्योंकि यह गंभीर मामला है." पाकिस्तान इस हमले को,"जान बूझ कर किया गया आक्रमण" बता रहा है. सेना प्रमुख जनरल अशफाक कियानी पर सेना के जूनियर अफसरों का भारी दबाव है. कियानी ने सैनिकों से अब कोई हमला होने पर जवाबी कार्रवाई की छूट दे दी है. स्थानीय मीडिया इसे रुख में बड़ा बदलाव मान रहा है. किर्बी ने सलाह दी है कि अमेरिकी सेना को भी उत्तरी अफगानिस्तान में अपनी कार्रवाइयों और रणनीतियों की समीक्षा करनी चाहिए.

रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन

संपादनः एमजी

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