व्हाइट हाउस में गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों का एलान किया. बाइडेन का कहना है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने "इस जंग को चुना" है और अब उनके देश को उनकी करनी का फल भुगतना होगा.
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नए अमेरिकी प्रतिबंधों में रूसी बैंकों, ओलिगार्कों और हाइटेक सेक्टर को निशाना बनाया गया है. बाइडेन ने कहा है कि अमेरिका और उसके सहयोगी चार बड़े रूसी बैंकों की संपत्ति जब्त कर लेंगे, निर्यात पर नियंत्रण लग जाएगा और ओलिगार्क प्रतिबंधित होंगे. नए प्रतिबंधों का एलान पुतिन, उनके करीबियों और रूसी आर्थिक तंत्र को निशाना बनाने की अमेरिका की नीति के तहत ही किया गया है. बाइडेन का कहना है कि नए प्रतिबंध रूस के आर्थिक तंत्र पर प्रहार करेंगे और साथ ही पुतिन के करीबियों को भी. अमेरिकी सरकार का लक्ष्य निर्यात को नियंत्रित कर रूसी उद्योग, सेना और दूसरे हाइटेक सेक्टरों को घुटनों पर लाने का है.
बाइडेन ने कहा है कि उनकी सरकार रूस की डॉलर के साथ ही दूसरी मुद्राओं में कारोबार करने की क्षमता को भी सीमित कर देगी. उन्होंने वीटीबी सहित रूस के कई और बैंकों को प्रतिबंधित करने का एलान किया है. बाइडेन ने पुतिन और उनकी सरकार को अलग थलग कर देने की बात कही. हालांकि इन प्रतिबंधों में अंतरराष्ट्रीय भुगतान तंत्र स्विफ्ट को शामिल नहीं किया गया है. बाइडेन का कहना है कि जो प्रतिबंध उन्होंने लगाए हैं वो स्विफ्ट से ज्यादा बड़े हैं. माना जा रहा है कि पश्चिमी देशों से बातचीत करने के बाद ही स्विफ्ट पर कोई फैसला होगा.
राष्ट्रपति पुतिन पर प्रतिबंध की आंच
अमेरिका पुतिन पर प्रतिबंध लगाने के बारे में भी विचार कर रहा है. एक पत्रकार के सवाल पूछने पर बाइडेन ने यह जानकारी दी. रूस के खिलाफ कार्रवाई में चीन को साथ लेने के सवाल पर बाइडेन ने कहा कि वो इस वक्त इसका जवाब नहीं दे सकते. एक पत्रकार ने यह भी पूछा कि क्या भारत उनकी मुहिम में उनका साथ दे रहा है. बाइडेन का जवाब था, "हमने अभी भारत से इस बारे में बात नहीं की है." बाइडेन ने साफ तौर पर माना है कि प्रतिबंध रूसी हमले का जवाब हैं और "उनका असर यूक्रेन पर हो रहे सैन्य हमले से कहीं ज्यादा होगा."
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बाइडेन का कहना है कि रूस का "अभियान ज्यादा दिन नहीं चलेगा बशर्ते कि हम प्रतिबंधों पर बने रहें. प्रतिबंधों का असर पूरे देश को लंबे समय तक भुगतना होगा. पुतिन अपने ही देश में बिल्कुल कमजोर पड़ जाएंगे." अमेरिकी राष्ट्रपति ने माना है कि पुतिन का लक्ष्य यूक्रेन से कहीं ज्यादा बड़ा है. उन्होंने यह भी कहा कि पुतिन सोवियत संघ को दोबारा खड़ा करना चाहते हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध में कौन सा देश किसके साथ है
रूस कई फ्रंट से यूक्रेन पर हमला कर रहा है. हवाई बमबारियों के अलावा यूक्रेन पर क्रूज और बलिस्टिक मिसाइल भी दागे जाने की खबर है. पुतिन ने यूक्रेन की सेना से समर्पण करने को कहा है.
तस्वीर: Anatolii Stepanov/AFP
अमेरिका
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि दुनिया की प्रार्थना यूक्रेनी जनता के साथ है. उन्होंने रूस को चेताया, "राष्ट्रपति पुतिन ने जानबूझकर युद्ध शुरू किया है. इसके चलते होने वाली मौतों और बर्बादी का जिम्मेदार केवल रूस होगा. अमेरिका और साथी देश संगठित होकर मजबूती से इसका जवाब देंगे. पूरी दुनिया रूस को जिम्मेदार मानेगी."
तस्वीर: Alex Brandon/AP Photo/picture alliance
जर्मनी
चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा, "24 फरवरी की यह तारीख यूक्रेन के लिए भीषण और यूरोप के लिए मायूस करने वाली है. हम रूस पर सख्त प्रतिबंध लगाएंगे, ताकि रूसी नेतृत्व के आगे साफ हो जाए कि उन्हें इस हमले की बड़ी कीमत चुकानी होगी. पुतिन ने यह युद्ध शुरू करके गंभीर चूक की है. जर्मनी नाटो की प्रतिबद्धताओं के साथ खड़ा है."
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ब्रिटेन
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, "यूक्रेन में हो रही भीषण घटनाओं से मैं स्तब्ध हूं. आगे क्या करना है, इसपर मैंने राष्ट्रपति जेलेन्स्की से बात की है. बिना किसी उकसावे के यूक्रेन पर हमला करके राष्ट्रपति पुतिन ने खूनखराबे और बर्बादी का रास्ता चुना है. ब्रिटेन और हमारे सहयोगी डटकर इसका जवाब देंगे."
तस्वीर: Matt Dunham/AP Photo/picture alliance
फ्रांस
राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद एक आपातकालीन बैठक बुलाई. इस मुद्दे पर राष्ट्र के नाम उनका एक संदेश टीवी पर भी प्रसारित हुआ. इसमें माक्रों ने कहा, "फ्रांस, यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा." फ्रेंच विदेश मंत्री जॉं ईव लु द्रियॉं ने भी कहा कि फ्रांस, हर तरह से यूक्रेन को समर्थन देगा.
तस्वीर: John Thys/AP/picture alliance
चीन
चीन ने यूक्रेन पर किए गए रूसी हमले को 'आक्रमण' कहे जाने का विरोध किया है. विदेश मंत्री वांग यी ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को फोन भी किया. इसमें उन्होंने कहा कि चीन समझता है कि यूक्रेन मामले का अपना एक जटिल इतिहास है. उन्होंने लावरोव से यह भी कहा कि चीन सुरक्षा से जुड़ी रूस की जायज चिंताओं को भी समझता है.
तस्वीर: Keith Tsuji/ZUMA/picture alliance
कनाडा
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने रूसी हमले की निंदा की. उन्होंने कहा कि रूस को इस आक्रामकता की सजा मिलेगी. ट्रूडो बोले, "बिना किसी उकसावे के किया गया यह हमला यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है. हम रूस से अपील करते हैं कि वह अपनी सेना और प्रॉक्सी फोर्स को यूक्रेन से निकाल ले."
तस्वीर: Adrian Wyld/empics/picture alliance
तुर्की
राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन ने हमले की निंदा की. टीवी पर प्रसारित अपने भाषण में एर्दोआन ने कहा, "हम यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करना जारी रखेंगे." एर्दोआन ने यह भी कहा कि रूस और यूक्रेन, दोनों से तुर्की के करीबी संबंध हैं. ऐसे में दोनों देशों के बीच संघर्ष देखकर उन्हें बहुत निराशा हो रही है.
तस्वीर: Irina Yakovleva/ITAR-TASS/imago images
भारत
इस मामले पर अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान नहीं आया है. मगर यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने यूएनएससी में भारत का रुख स्पष्ट किया. उन्होंने मौजूदा घटनाक्रम पर दुख जताते हुए तनाव को तत्काल घटाने की अपील की. यह भी कहा कि सभी संबंधित पक्षों की जायज सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
दक्षिण कोरिया
राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा कि उनका देश रूस पर लगाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंधों का साथ देगा. राष्ट्रपति आवास ने एक बयान जारी कर कहा, "यूक्रेन की आजादी, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रहनी चाहिए. ताकत का इस्तेमाल करके निर्दोषों को नुकसान पहुंचाने का किसी हाल में समर्थन नहीं किया जा सकता है."
तस्वीर: Yonhap/REUTERS
ईरान
विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दोल्लाहियां ने एक ट्वीट में लिखा कि ईरान समस्या सुलझाने के लिए युद्ध का सहारा लेने में यकीन नहीं करता है. ईरान ने नाटो के उकसावे को यूक्रेन संकट की जड़ बताते हुए राजनैतिक और कूटनीतिक समाधान की अपील की.
तस्वीर: Michael Gruber/AP Photo/picture alliance
इटली
इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्रागी ने कहा कि सारे सहयोगी एकजुट हैं. यूक्रेन की संप्रभुता, यूरोपीय सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और साझा मूल्य बनाए रखने के लिए जो भी करना पड़े, वे साथ मिलकर करेंगे. पीएम द्रागी ने यह भी कहा कि समय आ गया है कि यूरोपीय संघ रूस पर बेहद सख्त प्रतिबंध लगाए.
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हंगरी
प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने कहा कि यूरोपीय संघ और नाटो के अपने साथियों के साथ मिलकर हंगरी भी रूस के हमले की निंदा करता है. उन्होंने यह भी कहा कि हंगरी के लिए अपने लोगों की सुरक्षा सबसे जरूरी है. इसीलिए इस सैन्य संघर्ष से बाहर रहते हुए वह यूक्रेन को मानवीय सहायता देने के लिए तैयार है.
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ग्रीस
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद ग्रीस ने अपनी सेना और एनर्जी स्टाफ की आपातकालीन बैठक बुलाई. इसमें प्रधानमंत्री किरयेकोस मित्सोताइकिस ने रूसी हमले की निंदा की. राष्ट्रपति कैटरीना सैकलारापुलू ने भी कहा कि एक आजाद देश पर किए गए रूसी हमले की वह कड़ी निंदा करती हैं.
तस्वीर: Ludovic Marin/AFP/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने रूसी हमले को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का उल्लंघन बताया. विदेश मंत्री याइर लैपिड ने रूस की निंदा करते हुए यह भी कहा कि इस्राएल के रूस और यूक्रेन, दोनों के साथ अच्छे रिश्ते हैं. उन्होंने दोनों देशों में रहने वाले यहूदियों की भी बात की. कहा कि उनकी सुरक्षा इस्राएल के लिए अहम है.
तस्वीर: Jalal Morchidi/AA/picture alliance
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बेलारूस पर भी लगे प्रतिबंध
अमेरिका ने बेलारुस के रक्षा उद्योग पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. इसके साथ ही रक्षा अधिकारी और बेलारूस के नेता लुकाशेंको के करीबियों को भी प्रतिबंधों की आंच झेलनी पड़ेगी. बाइडेन का यह भी कहना है कि इस वक्त दुनिया के ज्यादातर देश उनके साथ हैं और सहयोगी देशों का उन्हें भरपूर समर्थन मिल रहा है.
रूस के हमले के कारण ऊर्जा संकट के सवाल पर बाइडेन ने कहा कि अमेरिका दुनिया भर के देशों के साथ मिल कर उनके रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व को उपलब्ध कराने पर काम कर रहा है. बाइडेन का कहना है कि अमेरिका भी अपने रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व से अतिरिक्त बैरल निकालेगा. अमेरिका ने कहा है कि वह यूक्रेन पर रूस के हमले को देखते हुए अतिरिक्त सेना जर्मनी पहुंचा रहा है. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक करीब 7000 अमेरिकी सैनिक जो अलर्ट पर थे उन्हें जर्मनी भेजा जाएगा.