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अमेरिकी प्रतिबंधों की काट का ईरान ने क्या रास्ता निकाला है

२५ सितम्बर २०१९

ईरान पर अमेरिका ने बेहद कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं लेकिन फिर भी वह झुकने की बजाय और तन कर खड़ा हो रहा है. आखिर ईरान की अर्थव्यवस्था इतने प्रतिबंधों के बावजूद चल कैसे रही है. उसे कहां से कमाई हो रही है?

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तस्वीर: Mehr

ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंधों के जरिए "अधिकतम दबाव" की नीति ने देश की तेल से होने वाली कमाई को बंद करा दिया है, अर्थव्यवस्था मंदी में चली गई है और राष्ट्रीय मुद्रा का भारी अवमूल्यन हो गया है. बावजूद इसके ईरान अमेरिका के सामने सीना ठोंक कर खड़ा है, परमाणु कार्यक्रम पर सीमाओं को नहीं मान रहा है और मध्यपूर्व के विद्रोही गुटों को समर्थन जारी रखे हुए है.

ईरानी अधिकारी, कारोबारी लोग और विश्लेषक मान रहे हैं कि ईरान गैर पेट्रोलियम वस्तुओं के निर्यात और कर राजस्व में इजाफा कर इसकी भरपाई करने की कोशिश में है हालांकि सबसे ज्यादा वह वस्तु विनिमय (मुद्रा की बजाय वस्तुओं से व्यापार), तस्करी और पर्दे के पीछे के समझौतों पर भरोसा कर रहा है.

अमेरिका के बैंकिंग और वित्तीय प्रतिबंधों को तोड़ने के लिए ईरानी शासकों ने कारोबारियों, कंपनियों, एक्सचेंज और धन जमा करने वालों का एक नेटवर्क तैयार किया है. एक वरिष्ठ ईरानी अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, "अमेरिका ईरान को अलग थलग नहीं कर सकता. अगर वो हमारे तेल की बिक्री बंद करने में सफल हो जाते हैं जो कि वो होंगे नहीं तो हम कपड़ा, खाना, पेट्रोकेमिकल्स, सब्जियां आप जिसका भी नाम लेंगे वो बेचने लगेंगे."

तस्वीर: MEHR

इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के ईरान प्रोजेक्ट डायरेक्टर अली वाएज का कहना है कि भले ही ईरानी अर्थव्यवस्था गंभीर तंगहाली में है लेकिन यह पूरी तरह से हारी नहीं है. वाएज ने कहा, "ईरान आर्थिक मुश्किलों में भी जीने के लिए काफी अनुभवी है. पिछले कुछ सालों में ईरान का गैर पेट्रोलियम निर्यात काफी ज्यादा बढ़ा है, साथ ही इराक और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से कारोबार भी. ईरान तेल की तस्करी के जरिए भी कुछ आमदनी जुटा सकता है."

कड़े प्रतिबंध

पश्चिमी देशों की कंपनियों ने 2015 में ईरान पर से प्रतिबंध हटने के बाद बड़ी तेजी से ईरान के बाजार में कदम बढ़ाए थे. राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले साल मई को समझौते से बाहर आने के बाद ईरान पर बहुत कड़े प्रतिबंध लगा दिए. इनका असर ईरान की अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टरों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय कारोबार की वित्त व्यवस्था पर भी पड़ा है. 

तस्वीर: picture alliance/dpa/AP Photo/E. Noroozi

ओपेक के सदस्य देश का कच्चे तेल का निर्यात पिछले साल 80 फीसदी से ज्यादा घट गया. 2012 में ईरान का निर्यात 25 लाख बैरल प्रतिदिन से घटकर 13 लाख बैरल प्रति दिन हो गया था. भोजन और दवाओं को प्रतिबंध से मुक्त रखा गया है लेकिन वैश्विक वित्तीय तंत्र से बाहर कर दिए जाने के कारण ईरान में कुछ खास दवाइयों की किल्लत हो गई है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि 2019 में ईरान की अर्थव्यवस्था में 3.6 फीसदी की कमी आएगी. उधर वर्ल्ड बैंक का कहना है कि 2018-19 में मुद्रा स्फीति की दर 23.8 फीसदी थी जो 2019-20 में बढ़ कर 31.2 फीसदी हो जाएगी. कई अर्थशास्त्री तो यह भी मान रहे हैं कि मुद्रा स्फीति वास्तव में 40 फीसदी से ऊपर चली गई है.

ईरानी अधिकारी बार बार यह कह रहे हैं कि उनका देश इस तूफान को झेल लेगा, हालांकि जमीनी सच्चाई थोड़ी अलग है. ईरान की राष्ट्रीय मुद्रा की कीमत गिरने और जरूरी आयात के लिए तत्काल भुगतान करने की प्रतिबद्धता के कारण ब्रेड, चावल और दूसरी जरूरी चीजों की कीमत काफी ज्यादा बढ़ गई है. तेहरान में रहने वाले रिटायर्ड टीचर 63 साल के अली कमाली कहते हैं, "अधिकारियों के लिए अमेरिकी दबाव का सामना करने की बात करना आसान है, उन्हें किराए या फिर खाने पीने की चीजों की बढ़ती कीमत से कोई असर नहीं पड़ता. कीमतें हर दिन ऊपर जा रही हैं." ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि वह ईरान पर और दबाव बढ़ाएंगे. ऐसे में प्रतिबंधों के जल्दी ही हटने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही.

पैसा खत्म हो गया है

वित्तीय प्रतिबंधों ने ईरान के बैंकों, संस्थाओं, आम लोगों और तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और कतर समेत कई देशों में फ्रंट कंपनियों (असल कंपनी की जगह काम करने वाली कंपनियां) पर असर डाला है. ईरान प्रतिबंधों को बेअसर करने के लिए पहले वस्तु विनिमय का इस्तेमाल करता रहा है लेकिन इस बार यह काम बड़े स्तर पर हो रहा है, खासतौर से इराक, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में.

एक और ईरानी अधिकारी ने बताया, "हम एक अमीर देश हैं जिसकी लंबी सीमा कई देशों से लगती है. अगर आप बाजार से सस्ती कीमत पर बेचो तो आपको दर्जनों खरीदार मिल जाएंगे. नगदी को जमीन, सागर या फिर किसी तीसरे देश के जरिए यहां ट्रांसफर किया जा सकता है." इस अधिकारी ने बताया कि उन्होंने बीते महीनों में "कई टन सामान" बेचा है और हर महीने तीन बार दुबई गया है ताकि "काम हो जाए."

तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Kenare

ईरान के गैर पेट्रोलियम निर्यातों में बड़ी हिस्सेदारी पेट्रोकेमिकल की है. पिछले साल के पहले 10 महीने में  पेट्रोकेमिकल का उत्पादन करीब 4.48 करोड़ टन था. ईरानी कैलेंडर के हिसाब से पिछले साल इस साल मार्च में खत्म हुआ. इससे करीब 9.7 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात हुआ.

ईरान अब भी पेट्रोकेमिकल से लदे कार्गो को एशिया के कई देशों में भेज पा रहा है जिसमें चीन और मलेशिया भी शामिल हैं. एक और अधिकारी ने बताया, "हमारे ग्राहक ईरान आते हैं या फिर हम उनसे किसी पड़ोसी देश में मिलते हैं. यह व्यापार है और जब कीमतें बाजार भाव से कम होती हैं तो आप को कई खरीदार मिल जाते हैं."

हाल ही में तीन युवा ईरानियों के एक छोटे से व्यापारिक दल ने गैर पेट्रोलियम निर्यात के लिए इस्तांबुल में होने वाली बातचीत के लिए समाचार एजेंसी रॉयटर्स को भी बुलाया. कई घंटों की बातचीत और ईरान में कई फोन कॉल पर कीमत, डिलीवरी की जगह के लिए निर्देश हासिल करने के बाद दो करार हुए जिनकी कीमत करीब 2 अरब डॉलर थी. सरकार से जुड़ी एक्सपोर्ट इम्पोर्ट कंपनी चलाने वाले एक ईरानी ने कहा, "ना इंश्योरेंस, ना बैंक...केवल नकद."

एनआर/आरपी (रॉयटर्स)

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