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अमेरिकी फैसले से परेशान बांग्लादेश

६ जुलाई २०१३

अमेरिका की घोषणा कि वह बांग्लादेश के साथ विशेष व्यापार समझौता निलंबित कर रहा है. इसकी बांग्लादेश ने कड़ी आलोचना की है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अर्थव्यवस्था को फर्क पड़ेगा.

तस्वीर: AFP/Getty Images

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हाल में घोषणा की कि वह बांग्लादेश को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस (जीएसपी) के तहत मिलने वाले लाभ को निलंबित करने का इरादा रखते हैं. जीएसपी के कारण बांग्लादेश कुछ उत्पादों को शून्य टैरिफ या कम टैरिफ पर आयात कर सकता था. ओबामा ने अंतरराष्ट्रीय मजदूर अधिकारों में कमी का हवाला दिया.

हालांकि जीएसपी कार्यक्रम कपड़ा उद्योग के लिए नहीं है लेकिन इसे निलंबित करने का मतलब होगा कि दूसरे बांग्लादेशी उत्पादों को आयात करने के लिए ड्यूटी देनी होगी. अब तक बांग्लादेश अमेरिका को 5,000 अलग अलग उत्पाद बिना किसी आयात ड्यूटी के भेजता था.

फॉरेन रिलेशन्स के लिए बनाई गई अमेरिकी परिषद के आंकड़ों के मुताबिक इस ड्यूटी को निलंबित करने के कारण अमेरिका को बांग्लादेश के साढ़े तीन करोढ़ डॉलर की कीमत का सामान लेने पर उन्होंने 20 लाख डॉलर बचाए. इस सामान में अधिकतर तंबाकू, खेल का सामान, किचन और प्लास्टिक का सामान था.

राना प्लाजा के ढहने से 1,000 मजदूरों की मौत हुईतस्वीर: Reuters

अभी तक इसके कोई संकेत नहीं है कि निलंबन कब तक चलेगा. लेकिन अमेरिकी व्यापार विशेषज्ञ एडवर्ड एल्डन को लगता है कि बांग्लादेश को ठोस सुधार करने होंगे. "कांग्रेस के कई सदस्यों ने जरूरी कदमों की सूची दी है. इनमें इमारतों में आग से सुरक्षा के नियम, असुरक्षित इमारतों में मजदूरों को काम के लिए मना करने का अधिकार होना शामिल है."

भले ही ओबामा की घोषणा से सीधे कपड़ा उद्योग प्रभावित नहीं होता हो लेकिन मजदूरों के लिए यह निश्चित ही बुरा है. बांग्लादेश की कपड़ा फैक्ट्रियों में लगातार हुई गंभीर दुर्घटनाओं के बाद यह फैसला लिया गया है. 24 अप्रैल को कपड़ा फैक्ट्रियों वाला कॉम्प्लेक्स धंसने के कारण एक हजार से कर्मचारियों की जान चली गई. इन घटनाओं के कारण दुनिया का ध्यान "मेड इन बांग्लादेश" के उन कपड़ों पर गया जो अक्सर पश्चिमी देशों में बेचे जाते हैं. साथ ही लोगों ने यह भी देखा कि मजदूर कैसी स्थितियों में काम करते हैं.

ढाका के लिए शर्मनाक

तस्वीर: Reuters

अमेरिका का यह फैसला ढाका के लिए निश्चित ही शर्म का विषय है. बांग्लादेश की सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह सुधारों के लिए काम करेगी. विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, "बांग्लादेश के मजदूरों के लिए इससे बुरी खबर कुछ नहीं हो सकती कि जीएसपी ऐसे समय निलंबित किया गया है जब सरकार हालात सुधारने के लिए ठोस कदम उठा रही है.

हालांकि बांग्लादेश मामले के विशेषज्ञ सरकार के धीमे कदमों की निंदा करते हैं. अर्थशास्त्री खोंदोकर गुलाम मोआज्जेम सेंटर फॉर पॉलिसी डायलॉग में हैं. ताजा स्थिति को काबू करने में असमर्थ सरकार और कपड़ा उत्पादकों की कड़ी आलोचना करते हैं. "अगर उन्होंने मुद्दे को महत्व दिया होता तो बांग्लादेश जीएसपी निलंबन जैसे फैसले से नहीं जूझ रहा होता."

विशेषज्ञों का मानना है कि इस निलंबन का असर मजदूरों पर भी होगा. कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर जगदीश भगवती का मानना है कि ओबामा प्रशासन अमेरिकी मजदूर संघ का अहसानमंद है, खासकर एएफल सीआईओ का, क्योंकि उनका मानना है कि बांग्लादेश जैसे गरीब देशों के साथ व्यापार करने से अमीर देशों में गरीबी पैदा होगी. "देखिए सुरक्षा पर शोर मचाने का उनका लक्ष्य है कि बांग्लादेशी कामगार संगठित हों. इससे उनकी मजदूरी बढ़ेगी और बाजार में उनकी कीमत भी. इससे वह खुद के लिए प्रतियोगिता कम कर लेंगे. मजदूरी बढ़ने से सिर्फ बांग्लादेशी कपड़ों की मांग कम होगी. इससे मजदूरों को ही नुकसान होगा.

तस्वीर: picture alliance/AP Photo

वहीं अमेरिकी जानकार एल्डन मानते हैं कि इस कदम का तुरंत प्रभाव ज्यादा नहीं होगा और कि यह फैसला प्रतीकात्मक है. इससे बांग्लादेश की टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

अमेरिकी फैसले से बिलकुल अलग यूरोपीय कंपनियों ने बांग्लादेश के संगठनों के साथ प्रतिबद्ध करने वाले समझौते साइन किए हैं कि मजदूर संगठन और गैर सरकारी संगठन देश में मजदूर सुरक्षा के लिए निवेश करें.

रिपोर्टः गाब्रिएल डोमिंगेज/एएम

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

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