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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से यूरोप के रिश्ते

१० नवम्बर २०१६

अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने को लेकर यूरोप में हैरानी और अनिश्चितता के भाव हैं. रूस के साथ कठिन रिश्तों के अलावा यूरोपीय संघ को अब नाटो की भूमिका की भी चिंता सता रही है.

US-Präsidentschaftswahl 2016 - Sieg Donald Trump
तस्वीर: Reuters/A. Kelly

पहले ही ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के ब्रेक्जिट फैसले को मानना यूरोप के लिए मुश्किल था और अब इस 28-सदस्यीय संघ के लिए डॉनल्ड ट्रंप के रूप में नई अनिश्चितताएं सामने आ गई हैं. इसके अलावा संघ के भीतर भी सत्ताविरोधी माहौल महसूस किया जा रहा है. जाहिर है कि अमेरिका के 45वें चुने हुए रिपब्लिकन राष्ट्रपति के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलजुलकर काम करने के अलावा यूरोप के पास कोई विकल्प भी नहीं है.

संघ के भीतर ही कुछ लोगों का मानना है कि यूरोप को और मजबूती से साथ उभरना होगा और कहीं ज्यादा बड़ी जिम्मेदारियां उठानी होंगी. उनके विचार में ऐसा करना स्वयं उसकी और विश्व भर में सुरक्षा के लिहाज से जरूरी होगा. इसके अलावा अगर ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका वैश्विक मंच से कदम पीछे खींच ले तो भी यूरोप को व्यापारिक संबंधों, जलवायु परिवर्तन, रूस या फिर इस्लामिक स्टेट से निपटने जैसे सभी मसलों पर अपना खुद का रास्ता तलाशना होगा.

यूरोपीय संसद में कंजरवेटिव पार्टी के नेता मानफ्रेड वेबर कहते हैं, "यह नींद से जगाने के लिए मिला एक और झटका है...अब यूरोप पर निर्भर करता है कि हम और कितना आत्मविश्वासी और जिम्मेदार बन सकते हैं." वेबर ने कहा कि फिलहाल "हम नहीं जानते कि अमेरिका से क्या उम्मीद रखी जाए."

बेल्जियम के विदेश मंत्री डिडिये रेंडर्स ने कहा व्हाइट हाउस में ट्रंप के आने से "शायद यूरोप में कुछ लोगों को यह समझने में मदद मिले कि हमें यूरोपीय देशों के बीच अपने रक्षा समझौते को मजबूत बनाने की कितनी जरूरत है."

ट्रंप की जीत और उससे पहले ब्रेक्जिट से यूरोप में मौजूद ईयू विरोधी रैडिकल पार्टियों का मनोबल काफी बढ़ा है. पूर्वी यूरोपीय देशों को आशंका है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के सहयोग से और मजबूत होकर यूक्रेन जैसे इलाकों में अपना प्रभाव बढ़ा पाएंगे. हालांकि पश्चिमी सैनिक सहबंध नाटो ने भरोसा जताया है कि ट्रंप भी 70 सालों से जारी सुरक्षा गारंटी से पीछे नहीं हटेंगे क्योंकि ऐसा यूरोप ही नहीं अमेरिका के भी हित में होगा.

अमेरिकी चुनाव प्रचार अभियान में नस्लवाद और लिंगवाद की आंधी चलाने के बाद ट्रंप विजयी रहे हैं. 2017 में जर्मनी में भी नए चांसलर का चुनाव होना है. चांसलर अंगेला मैर्केल ने ट्रंप के साथ मिलकर काम करने का आश्वासन देते हुए साफ किया है कि ऐसा उन साझा मूल्यों के आधार पर होगा जिनमें "लोगों के मूल, त्वचा के रंग, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव ना हो और मानव गरिमा का सम्मान हो." यूरोपीय संघ के अध्यक्ष डोनाल्ड टुस्क ने अमेरिका में सत्ता परिवर्तन से पैदा हुई "नई चुनौतियों" और "ट्रांसअटलांटिक संबंधों के भविष्य पर हावी अनिश्चितताओं" से निपटने में सदियों पुराने संबंधों के बरकरार रहने का विश्वास जताया है.

आरपी/एमजे(रॉयटर्स)

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