अमेरिकी रूसी निरस्त्रीकरण समझौते पर हस्ताक्षर
८ अप्रैल २०१०इस समझौते के तहत दोनों देश सन 2002 में तय की गई इन अस्त्रों की सीमा से 30 प्रतिशत तक अपने ज़खीरे घटाएंगे. राष्ट्रपति ओबामा ने इसे एक ऐतिहासिक घटना कहते हुए बताया कि इससे सारी दुनिया में सुरक्षा बढ़ेगी.
आज का दिन परमाणु सुरक्षा, परमाणु प्रसार व अमेरिकी-रूसी संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. इसके ज़रिये एक नई सामरिक अस्त्र परिसीमन संधि का हमारा संयुक्त लक्ष्य हासिल हुआ है. इसके फलस्वरूप तैनात किए जाने वाले हमारे परमाणु अस्त्रों में उल्लेखनीय कमी की जाएगी. उन्हें ढोने वाली प्रणालियों में आधी कमी की जाएगी. इस संधि में जांच की एक व्यापक व्यवस्था भी शामिल है, जिससे दोनों पक्षों के बीच विश्वास बढ़ाया जा सकेगा. इससे सुरक्षा के लिए दोनों देशों की नमनीयता बनी रहेगी और साथ ही यूरोपीय साझेदारों की सुरक्षा के लिए अमेरिका की अलंघनीय प्रतिबद्धता की रक्षा की जा सकेगी. - बराक ओबामा
नई संधि के अनुसार अमेरिका और रूस अधिक से अधिक 1550 परमाणु आयुध शीर्ष तैनात कर सकेंगे. रूसी राष्ट्रपति मेद्वेदेव ने कहा कि इस संधि के ज़रिये रूस और अमेरिका के बीच सहयोग को एक नए स्तर पर लाया जा सकेगा. साथ ही उन्होंने स्वीकार किया कि संधि के लिए वार्ताएं आसान नहीं रही हैं.
दोनों नेताओं के हस्ताक्षर के बाद अब अमेरिकी सेनेट और रूसी संसद द्वारा इसकी पुष्टि की जानी है. रिपब्लिकन दल के सेनेटरों ने कहा है कि वे किसी ऐसी संधि का समर्थन नहीं करेंगे, जिससे अमेरिकी मिसाइल भेदी प्रणाली को नुकसान पहुंचता हो. इसी तरह रूस की ओर से कहा गया है कि अगर उसे यूरोप में अमेरिकी मिसाइल भेदी प्रणाली की योजना से ख़तरा महसूस हुआ, तो वह इस संधि से बाहर हो जाएगा.
अगले हफ़्ते अमेरिकी राष्ट्रपति के आमंत्रण पर वाशिंगटन में एक परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन होने जा रहा है. आज प्राग में ओबामा ने कहा कि परमाणु अस्त्र सिर्फ़ अमेरिका और रूस का मामला नहीं है. वे सभी देशों की सुरक्षा को ख़तरा पहुंचाते हैं. किसी आंतकवादी के हाथों में अगर ये हथियार आ जाएं, तो वे मास्को से न्युयार्क तक, यूरोप से दक्षिण एशिया के शहरों तक लोगों के लिए ख़तरा बनेंगे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: राम यादव