वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये रूस ने जता दिया है कि इस साल उसकी विदेश नीति कैसी होगी. मॉस्को से निकला संदेश अमेरिका के कानों में जरूर चुभेगा.
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रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को लेकर अमेरिका के बदलते रुख की आलोचना की. सेर्गेई लावरोव ने कहा कि अमेरिका बहुध्रुवीय ताकतों वाली दुनिया को स्वीकार नहीं कर पा रहा है. ईरान के साथ 2015 में छह पश्चिमी देशों ने परमाणु संधि की थी. संधि में अमेरिका, रूस, जर्मनी, फ्रांस, यूके और चीन भी शामिल थे. अब अमेरिका इस संधि को बदलने की बात कर रहा है. वॉशिंगटन ईरान पर प्रतिबंध लगाने की धमकी भी दे चुका है.
रूस के विदेश मंत्री ने अमेरिकी नीतियों को चुनौती देते हुए कहा कि ट्रंप के हालिया रुख के बावजूद मॉस्को परमाणु समझौते को बचाएगा. रूस को उम्मीद है कि फ्रांस, जर्मन और यूके भी अमेरिकी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे. वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेस के दौरान लावरोव ने कहा, "दुर्भाग्य से हमारे अमेरिकी साथी अब भी आदेशात्मक नीति, अल्टीमेटम देने वाली शैली के तहत काम करना चाहते हैं. वह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में दूसरे केंद्रों का नजरिया सुनना ही नहीं चाहते हैं."
लावरोव के मुताबिक अमेरिका दुनिया में उभरती दूसरी ताकतों के अस्तित्व को मामने से इनकार कर रहा है. लावरोव की प्रेस कॉन्फ्रेंस से इस बात के पर्याप्त संकेत मिल रहे हैं कि 2018 में रूस की विदेश नीति कैसी होगी.
कुछ ही दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा था कि ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते में कई "गंभीर खामियां" हैं. इन खामियों को ठीक करने तक ट्रंप तेहरान पर प्रतिबंध लगाने की बात कह चुके हैं. जर्मनी और फ्रांस जैसे देश ट्रंप के रुख से सहमत नहीं हैं. रूसी विदेश मंत्री के मुताबिक ईरान परमाणु समझौते का पूरी तरह से पालन कर रहा है. लावरोव ने कहा, "अमेरिका चाहता है कि ईरान अपने बैलिस्टिक रॉकेटों का विकास बंद कर दे, लेकिन यह तो कभी चर्चा का विषय था ही नहीं और ईरान ने इस बारे में कोई वचन भी नहीं दिया था."
उत्तर कोरिया के मुद्दे पर भी रूस ने अमेरिका को आड़े हाथों लिया. रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका की धमकी भरी भाषा के चलते कोरियाई प्रायद्वीप में भी तनाव गंभीर रूप से बढ़ चुका है. रूस का कहना है कि ईरान के साथ हुआ समझौता अगर नाकाम रहा तो उत्तर कोरिया को भी लगेगा कि ऐसे समझौतों का कोई फायदा नहीं है, "अगर वह समझौते को किनारे कर ईरान से कहते हैं: अगर आप सीमाओं में भी रहें तो भी हम आप पर प्रतिबंध लगाएंगे, अब जरा उत्तर कोरिया के बारे में सोचिये. उससे वादा किया गया है कि अगर वह परमाणु कार्यक्रम छोड़ दे तो प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे."
सीरिया के मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन की आलोचना करते हुए लावरोव ने कहा कि सीरिया जैसे देश के लिहाज से देखें तो वॉशिंगटन की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है. मॉस्को का कहना है कि अमेरिका गृह युद्ध खत्म करने के बजाए सिर्फ सत्ता परिवर्तन चाहता है. लावरोव के मुताबिक चुनावी वादों के उलट ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिकी विदेश नीति "ज्यादा संकीर्ण, ज्यादा दबंग" दिखाई पड़ रही है.
व्लादिमीर पुतिन के अलग अलग चेहरे
फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2016 के सबसे ताकतवर इंसान हैं. उनके बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप हैं. आइए, देखते पुतिन की शख्सियत के अलग-अलग पहलू.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
केजीबी से क्रेमलिन तक
पुतिन 1975 में सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी में शामिल हुए थे. 1980 के दशक में उन्हें जर्मनी के ड्रेसडेन में एजेंट के तौर पर नियुक्त किया गया. यह विदेश में उनकी पहली तैनाती थी. बर्लिन की दीवार गिरने के बाद वह वापस रूस चले गए. बाद में वे येल्त्सिन की सरकार में शामिल हो गए. बोरिस येल्त्सिन ने घोषणा की कि पुतिन उनके उत्तराधिकारी होंगे और उन्हें रूस का प्रधानमंत्री बनाया गया.
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पहली बार राष्ट्रपति
प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्ति के समय पुतिन आम लोगों के लिए एक अनजान चेहरा थे. लेकिन अगस्त 1999 में सब बदल गया जब चेचन्या के कुछ हथियारबंद लोगों ने रूस के दागेस्तान इलाके पर हमला किया. राष्ट्रपति येल्त्सिन ने पुतिन को काम सौंपा कि चेचन्या को वापस केंद्रीय सरकार के नियंत्रण में लाया जाए. नए साल की पूर्व संध्या पर येल्त्सिन ने अचानक इस्तीफे का ऐलान किया और पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया.
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दमदार व्यक्तित्व
मीडिया में पुतिन की अकसर ऐसी तस्वीरें छपती रहती हैं जो उन्हें एक दमदार व्यक्तित्व का धनी दिखाती हैं. उनकी यह तस्वीर सोची में एक नुमाइशी हॉकी मैच की है जिसमें पुतिन की टीम 18-6 से जीती. राष्ट्रपति ने आठ गोल किए.
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बोलने पर बंदिशें
रूस में एक विपक्षी रैली में एक व्यक्ति ने मुंह पर पुतिन के नाम की टेप लगा रखी है. 2013 में क्रेमलिन ने घोषणा की कि सरकारी समाचार एजेंसी रियो नोवोस्ती को नए सिरे से व्यवस्थित किया जाएगा. उसका नेतृत्व एक क्रेमलिन समर्थक अधिकारी को सौंपा गया जो अपने पश्चिम विरोधी ख्यालों के लिए मशहूर था. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर नाम की संस्था प्रेस आजादी के मामले में रूस को 178 देशों में 148वें पायदान पर रखती है.
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पुतिन की छवि
पुतिन को कदम उठाने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है. केजीबी का पूर्व सदस्य होना भी इसमें मददगार होता है. इस छवि को बनाए रखने के लिए अकसर कई फोटो भी जारी होते हैं. इन तस्वीरों में कभी उन्हें बिना कमीज घोड़े पर बैठा दिखाया जाता है तो कभी जूडो में अपने प्रतिद्वंद्वी को पकटते हुए. रूस में पुतिन को देश में स्थिरता लाने का श्रेय दिया जाता है जबकि कई लोग उन पर निरंकुश होने का आरोप लगाते हैं.
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सवालों में लोकतंत्र
जब राष्ट्रपति पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी ने 2007 के चुनावों में भारी जीत दर्ज की तो आलोचकों ने धांधली के आरोप लगाए. प्रदर्शन हुए, दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया और पुतिन पर लोकतंत्र को दबाने के आरोप लगे. इस पोस्टर में लिखा है, “आपका शुक्रिया, नहीं.”
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खतरों के खिलाड़ी
काले सागर में एक पनडुब्बी की खिड़की से झांकते हुए पुतिन. क्रीमिया के सेवास्तोपोल में ली गई यह तस्वीर यूक्रेन से अलग कर रूस में मिलाए गए इस हिस्से पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन का पूरी तरह नियंत्रण होने का भी प्रतीक है.