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अमेरिकी विदेश नीति को चुनौती देगा रूस

१५ जनवरी २०१८

वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये रूस ने जता दिया है कि इस साल उसकी विदेश नीति कैसी होगी. मॉस्को से निकला संदेश अमेरिका के कानों में जरूर चुभेगा.

Österreich Rex Tillerson (L) und Sergei Lavrov (R) in Wien
तस्वीर: imago/ITAR-TASS/A. Shcherbak

रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को लेकर अमेरिका के बदलते रुख की आलोचना की. सेर्गेई लावरोव ने कहा कि अमेरिका बहुध्रुवीय ताकतों वाली दुनिया को स्वीकार नहीं कर पा रहा है. ईरान के साथ 2015 में छह पश्चिमी देशों ने परमाणु संधि की थी. संधि में अमेरिका, रूस, जर्मनी, फ्रांस, यूके और चीन भी शामिल थे. अब अमेरिका इस संधि को बदलने की बात कर रहा है. वॉशिंगटन ईरान पर प्रतिबंध लगाने की धमकी भी दे चुका है.

रूस के विदेश मंत्री ने अमेरिकी नीतियों को चुनौती देते हुए कहा कि ट्रंप के हालिया रुख के बावजूद मॉस्को परमाणु समझौते को बचाएगा. रूस को उम्मीद है कि फ्रांस, जर्मन और यूके भी अमेरिकी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे. वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेस के दौरान लावरोव ने कहा, "दुर्भाग्य से हमारे अमेरिकी साथी अब भी आदेशात्मक नीति, अल्टीमेटम देने वाली शैली के तहत काम करना चाहते हैं. वह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में दूसरे केंद्रों का नजरिया सुनना ही नहीं चाहते हैं."

लावरोव के मुताबिक अमेरिका दुनिया में उभरती दूसरी ताकतों के अस्तित्व को मामने से इनकार कर रहा है. लावरोव की प्रेस कॉन्फ्रेंस से इस बात के पर्याप्त संकेत मिल रहे हैं कि 2018 में रूस की विदेश नीति कैसी होगी.

वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लावरोवतस्वीर: Getty Images/AFP/Y. Kadobnov

कुछ ही दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा था कि ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते में कई "गंभीर खामियां" हैं. इन खामियों को ठीक करने तक ट्रंप तेहरान पर प्रतिबंध लगाने की बात कह चुके हैं. जर्मनी और फ्रांस जैसे देश ट्रंप के रुख से सहमत नहीं हैं. रूसी विदेश मंत्री के मुताबिक ईरान परमाणु समझौते का पूरी तरह से पालन कर रहा है. लावरोव ने कहा, "अमेरिका चाहता है कि ईरान अपने बैलिस्टिक रॉकेटों का विकास बंद कर दे, लेकिन यह तो कभी चर्चा का विषय था ही नहीं और ईरान ने इस बारे में कोई वचन भी नहीं दिया था."

उत्तर कोरिया के मुद्दे पर भी रूस ने अमेरिका को आड़े हाथों लिया. रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका की धमकी भरी भाषा के चलते कोरियाई प्रायद्वीप में भी तनाव गंभीर रूप से बढ़ चुका है. रूस का कहना है कि ईरान के साथ हुआ समझौता अगर नाकाम रहा तो उत्तर कोरिया को भी लगेगा कि ऐसे समझौतों का कोई फायदा नहीं है, "अगर वह समझौते को किनारे कर ईरान से कहते हैं: अगर आप सीमाओं में भी रहें तो भी हम आप पर प्रतिबंध लगाएंगे, अब जरा उत्तर कोरिया के बारे में सोचिये. उससे वादा किया गया है कि अगर वह परमाणु कार्यक्रम छोड़ दे तो प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे."

सीरिया के मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन की आलोचना करते हुए लावरोव ने कहा कि सीरिया जैसे देश के लिहाज से देखें तो वॉशिंगटन की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है. मॉस्को का कहना है कि अमेरिका गृह युद्ध खत्म करने के बजाए सिर्फ सत्ता परिवर्तन चाहता है. लावरोव के मुताबिक चुनावी वादों के उलट ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिकी विदेश नीति "ज्यादा संकीर्ण, ज्यादा दबंग" दिखाई पड़ रही है.

ओएसजे/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)

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