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अमेरिका को भारत की चेतावनी

६ फ़रवरी २०१४

अमेरिका अपनी हाई टेक कंपनियों के लिए वीजा नियम कड़े कर रहा है. इसका बुरा असर भारत के तकनीकी पेशेवरों और सॉफ्टवेयर उद्योग पर पड़ सकता है. भारत ने अमेरिका को इस सिलसिले में कड़ी चेतावनी दी है.

Einreise Kontrolle USA
तस्वीर: Getty Images

अमेरिका में भारत के राजदूत सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा है कि अगर अमेरिका भारत से कुशल पेशेवरों के लिए अस्थायी वीजा को सीमित करता है तो भारत सरकार इससे यही समझेगी कि अमेरिका व्यापार के लिए बंद हो रहा है. समाचार एजेंसी एएफपी के साथ इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि यह हमें नुकसान पहुंचाएगा. यह अमेरिका को नुकसान पहुंचाएगा और यह हमारे संबंधों के लिए भी नुकसानदेह होगा."

सुब्रमण्यम का कहना है, "अगर मुझे लगता है कि मुझे अच्छी डील नहीं मिल रही तो मैं दूसरी पार्टी की बात भी नहीं सुनूंगा. एक अमेरिकी कंपनी आकर अपनी परेशानियों के बारे में बताने की कोशिश करेगी तो मेरा कहने का मन करेगा, मैं तो लंच करने गया हूं."

एच 1 बी में दिक्कत

हाल ही में अमेरिका के प्रतिनिधि सदन ने प्रवासन कानूनों को सुधारने के लिए कुछ सिद्धांत पेश किए. इसका मकसद है देश में रह रहे करीब एक करोड़ दस लाख गैर कानूनी प्रवासियों को कानूनी दर्जा देना. पिछले साल सिनेट ने नए नियमों वाला एक संस्करण पारित किया जिसके मुताबिक जो विदेशी अमेरिकी विश्वविद्यालयों में विज्ञान की डिग्री हासिल करते हैं, उन्हें तुरंत प्रवासी वीजा मिल जाएगा. लेकिन एच 1 बी वीजा के कानून बदल दिए गए हैं. भारत से अमेरिका जाने वाले आईटी इंजीनियर अक्सर एच 1 बी वीजा के लिए आवेदन करते हैं.

कई आईटी कंपनियों में चलता है 24 घंटे कामतस्वीर: STR/AFP/Getty Images

एच 1 बी वीजा की संख्या तो बढ़ा दी गई है लेकिन जो कंपनियां विदेशी मजदूरों पर निर्भर हैं उनके लिए वीजा शुल्क बढ़ा दिए जाएंगे और वीजा की कुल संख्या भी कम कर दी जाएगी. कई अमेरिकी कंपनियों ने शिकायत की थी कि अमेरिका में काम कर रहीं भारतीय आईटी कंपनियां कम पैसे में भारत से मजदूर लाती हैं.

भारत में बौद्धिक संपत्ति कानून

भारतीय राजदूत जयशंकर का कहना है कि भारतीय कंपनियों की खास बात है कि वह अमेरिकी कंपनियों की मदद करती हैं क्योंकि वह दिन में 24 घंटे काम करती हैं. जयशंकर का कहना है कि उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस के कई सदस्यों से इस सिलसिले में मुलाकात की है. अमेरिकी वाणिज्य चेंबर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बौद्धिक संपदा की सुरक्षा की हालत दुनिया में 25 सबसे खराब देशों में से है. सिनेटर ओरिन हैच भारत की दवा कंपनियों पर आरोप लगा रहे थे. भारत की दवा कंपनियां सस्ते दामों में दवाएं मुहैया कराती हैं और उनका पेटेंट अक्सर विदेशी कंपनियों के पास होता है. इन दवाओं में कैंसर और एड्स की दवा शामिल है.

जयशंकर का कहना है भारत की तरह अमेरिका में भी सस्ती दवाएं लोगों तक पहुंचाना एक अहम मुद्दा है. राजदूत जयशंकर हाल ही में अमेरिका आए हैं. उनके नियुक्त होते ही उन्हें वाणिज्य दूत देवयानी खोबरागड़े विवाद को संभालना पड़ा. खोबरागड़े विवाद के बाद भारत और अमेरिका के बीच संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं. हाल ही में सिनेटर ओरिन हैच ने भारत पर आरोप लगाया कि देश में पाइरेसी का चलन है और इससे भारतीय उद्योग अपना फायदा निकाल रहे हैं.

अमेरिका में भारतीय दूत खोबरागड़े पर हुए विवाद का दिख रहा है असरतस्वीर: Reuters

एमजी/एएम (एएफपी, एपी)

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