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अमेरिकी सांसदों ने कश्मीरी नेताओं को रिहा करने की मांग की

२० फ़रवरी २०२०

आधिकारिक दौरे पर भारत आए वरिष्ठ अमेरिकी सांसदों ने कश्मीर के हालात पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कश्मीर में राजनीतिक कारणों से हिरासत में लिए गए जन प्रतिनिधियों को रिहा करने की अपील की है.

Omar Abdullah
तस्वीर: Imago/Hindustan Times

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के भारत दौरे से ठीक पहले अमेरिकी संसद के एक प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर में राजनीतिक कैदियों को लेकर एक अहम बयान दिया है. भारत सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने के बाद इन अमेरिकी सांसदों ने कहा है कि वे कश्मीर में राजनीतिक कारणों से हिरासत में रखे गए जन प्रतिनिधियों को अभी तक रिहा नहीं किए जाने पर चिंतित हैं. 

इस दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में डेमोक्रैटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता एमी बेरा और रिपब्लिकन पार्टी के नेता जॉर्ज होल्डिंग शामिल हैं. बेरा अमेरिकी कांग्रेस की हाउस कमिटी ऑन एशिया एंड एशिया पैसिफिक के अध्यक्ष हैं. दोनों सांसद कांग्रेस में इंडिया कॉकस में शामिल हैं. 

मुलाकात के बाद बेरा ने पत्रकारों से कहा, "कश्मीर में सामान्य हालात बहाल हों, ये हमारे हित में है. वहां राजनीतिक नेता अब भी हिरासत में हैं, इस बात से हम चिंतित हैं." उन्होंने भारत सरकार से कहा है कि वह अमेरिकी कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर ले कर जाएं ताकि सदस्य खुद स्थिति का जायजा ले सकें. बेरा का पूरा नाम अमरीश बाबूलाल है और वह भारतीय मूल के हैं. उनके पिता बाबूलाल बेरा गुजरात के राजकोट से 1958 में अमेरिका चले गए थे. 

होल्डिंग ने पत्रकारों से कहा, "हमारे पास कश्मीर को लेकर कई सवाल हैं. मेरा ढृढ़ विश्वास है कि कश्मीर में आर्थिक अवसरों को बढ़ाने से ही सफलता मिलेगी और यह तभी हो पाएगा जब वहां एक स्थिर राजनितिक व्यवस्था हो जो पूंजी को आकर्षित कर सके."

तस्वीर: Getty Images/S. Hussain

ट्रंप के दौरे के ठीक पहले आये अमेरिकी सांसदों का यह बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है. कश्मीर में तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों - उमर अब्दुल्लाह, फारूक अब्दुल्लाह और मेहबूबा मुफ्ती - समेत कई नेता अभी भी हिरासत में हैं. हाल ही में उमर और मुफ्ती पर कश्मीर के सख्त कानून पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत आरोप लगाकर उनकी हिरासत को बढ़ा दिया गया था. उमर कि हिरासत को उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और अदालत ने जम्मू और कश्मीर प्रशासन को 29 फरवरी तक जवाब देने का समय दिया है.

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