अमेरिकी सीनेट में ट्रंप के खिलाफ महाभियोग का मुकदमा शुरू
१७ जनवरी २०२०
अमेरिकी सीनेट में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग का मुकदमा शुरू हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में सीनेट सदस्यों ने जूरी के सदस्यों की नई भूमिका में "निष्पक्ष न्याय" करने की शपथ ली.
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अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट में गुरुवार 16 जनवरी को राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग का मुकदमा शुरू हो गया. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स की अध्यक्षता में अभियोजकों ने आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति के खिलाफ आरोप पढ़ कर सुनाए.
सीनेट के सार्जेंट एट आर्म्स ने जोर से "सुनिए, सुनिए, सुनिए" कह कर कार्यवाही शुरू की. कक्ष धीरे धीरे सीनेट सदस्यों से भर गया, जो कि अपने आप में एक असामान्य नजारा है. बातचीत पर पाबंदी और मोबाइल फोन ले जाने पर मनाही जैसे कड़े नियमों की वजह से सभी सदस्य चुपचाप बैठे थे. अमेरिकी इतिहास में यह तीसरा मौका है जब किसी राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग का मुकदमा शुरू हुआ है.
अमेरिकी संविधान के अनुसार मुख्या न्यायाधीश महाभियोग के मुकदमों की अध्यक्षता करते हैं. इस बार ये जिम्मेदारी निभाने रॉबर्ट्स सड़क के उस पार स्थित सुप्रीम कोर्ट से इस पार कैपिटल तक आए. वो बहुत पहले से कहते रहे हैं कि जज राजनेता नहीं होते. उम्मीद है कि वे कार्यवाही के दौरान एक रेफरी की भूमिका में नजर आएंगे. रॉबर्ट्स के अपनी सादी काली पोशाक में नजर आते ही सभी सीनेटर उनके सम्मान में खड़े हो गए. फिर उन्होंने सभी को शपथ दिलाई और सभी सीनेटरों ने एक शपथ पुस्तिका में हस्ताक्षर किए.
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उधर ट्रंप ने व्हाइट हाउस में एक बार फिर मुकदमे को अस्वीकार करते हुए कहा, "ये पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है. ये नकली है." शपथ-ग्रहण से पहले, निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के डेमोक्रैट सदस्य जो मुकदमे में अभियोजक हैं, वे सीनेट के सामने खड़े हुए और इंटेलिजेंस समिति के रिपब्लिकन एडम शिफ्फ ने महाभियोग की धाराओं को औपचारिक रूप से पढ़कर सुनाया. सात सांसद दूसरी बार कैपिटल के इस पार से उस पार से चल कर गए.
सभी निगाहें शिफ्फ पर थीं जब वो सदन के वेल में खड़े हुए, एक ऐसा स्थान जो सामान्यतः सीनेटरों के लिए आरक्षित रहता है. फिर उन्होंने नौ पन्नों के आरोपों को पढ़ कर सुनाया. सीनेटरों ने बाद में कहा कि रॉबर्ट्स के आने के बाद मौके की गंभीरता स्थापित हुई. कैपिटल में कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था थी.
सीनेट अब व्हाइट हाउस को सुनवाई में आने के लिए औपचारिक समन भेजेगा. राष्ट्रपति की कानूनी टीम से शनिवार तक उत्तर मिलने की अपेक्षा है. शुरूआती दलीलें मंगलवार को दी जाएंगी.
अमेरिका के इतिहास में डॉनल्ड ट्रंप से पहले किसी भी राष्ट्रपति पर दो बार महाभियोग नहीं लगा है. अगर ट्रंप दोषी साबित होते हैं, तो सांसद ट्रंप को भविष्य में दोबारा चुनाव लड़ने से रोकने पर एक और मतदान करा सकते हैं.
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दो बार लगा महाभियोग
महाभियोग एक संवैधानिक प्रक्रिया है जिसमें अमेरिकी कांग्रेस उन सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय करती है जिन पर किसी तरह के गैर कानूनी काम करने का आरोप लगता है. डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन पर दो बार महाभियोग लगा है.
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किस किस के खिलाफ
अमेरिका के संस्थापकों ने कांग्रेस को "राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और संयुक्त राज्य अमेरिका के सभी सरकारी अधिकारियों" को पद से हटाने की शक्ति दी है, जिसके तहत उन अभियुक्तों पर महाभियोग चलाया जा सकता है, जो "देशद्रोह, रिश्वतखोरी या दूसरे बड़े अपराध या दुराचार के दोषी माना जाते हैं."
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इसके मायने क्या हैं
सीधे शब्दों में कहें तो महाभियोग का मतलब है अदालत में अभियोग के समान आरोप होना. हालांकि, "उच्च अपराध और दुष्कर्म" की परिभाषा की व्याख्या के तरीके अलग हो सकते हैं. कभी कभी इसका मतलब यह भी होता है कि जरूरी नहीं कि अधिकारी ने कानून को तोड़ा ही हो.
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ट्रंप पर पहला महाभियोग
डॉनल्ड ट्रंप पर 18 दिसंबर 2019 को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने महाभियोग लगाया गया था. ट्रंप पर दो मुख्य आरोप थे. पहला, 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिद्वंदी जो बाइडेन की छवि खराब करने के लिए यूक्रेन से मदद मांगी और दूसरा, संसद के काम में अड़चन डालने की कोशिश की. राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ पहले महाभियोग की कार्रवाई जनवरी 2020 में हुई.
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कैसे चलाया जाता है महाभियोग
अमेरिकी संसद के निचले सदन के पास ही "महाभियोग लगाने की शक्ति" है. हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी आमतौर पर महाभियोग की कार्यवाही के लिए जिम्मेदार होती है. सदन के 435 सदस्यों के साधारण बहुमत से आरोप लाने के लिए सदन बहस और फिर वोट करता है. इस भूमिका में, सदन एक अधिकारी के खिलाफ आरोप लाने वाली एक जूरी के रूप में काम करता है.
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आखिर में गेंद सीनेट के पाले में
संसद के उच्च सदन यानि सीनेट के पास "सभी महाभियोगों की एकमात्र शक्ति है," जिसका अर्थ है कि इसमें अधिकारी को दोषी करार देने की शक्ति है. जब राष्ट्रपति पर मुकदमा चलाया जाता है, तो सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कार्यवाही की अध्यक्षता करते हैं.
अमेरिका के आज तक के इतिहास में अब तक कुल तीन राष्ट्रपतियों पर महाभियोग चलाया गया है. एंड्रयू जॉनसन, बिल क्लिंटन और डॉनल्ड ट्रंप. एंड्रयू जॉनसन, बिल क्लिंटन दोनों को ही सीनेट ने पद से नहीं हटाया. एक और राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने महाभियोग से बचने के लिए पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया था.
राष्ट्रपतियों के अलावा
सदन ने 60 से अधिक बार महाभियोग की कार्यवाही की है. सिर्फ एक तिहाई मामलों में पूर्ण महाभियोग लाया जा सका है. केवल आठ अधिकारियों को अब तक दोषी ठहराया गया है और पद से हटाया भी गया है. यह सभी अधिकारी संघीय न्यायाधीश थे.
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राष्ट्रपति को पद से कैसे हटाया जा सकता है
राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए 100 सीटों वाली सीनेट में दो-तिहाई बहुमत को राष्ट्रपति को दोषी ठहराने के लिए वोट देना होता है. ऐसा होने पर राष्ट्रपति को पद छोड़ना पड़ता है. हालांकि यह जरूरी नहीं है कि राष्ट्रपति अदालत में भी उसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो या फिर भविष्य में दोषी ठहराया जाए.