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अमेरिकी सैनिकों का बर्बर चेहरा

२१ मार्च २०११

जर्मनी की पत्रिका डेय स्पीगल ने अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सैनिकों की कुछ तस्वीरें छापी हैं. तस्वीरों में अमेरिकी सैनिक आम लोगों को मारते और शवों के साथ दुर्व्यवहार करते दिख रहे हैं. अमेरिकी सेना ने माफी मांगी.

तस्वीर: AP

एक तस्वीर में दो अमेरिकी सैनिकों को अफगानी लोगों के शवों के पास खड़ा दिखाया गया है. तस्वीर में एक अमेरिकी सैनिक के एक हाथ में सिगरेट है दूसरे हाथ में एक अफगानी का सिर है. दूसरे फोटो में दूसरा सैनिक उसी शव के साथ ऐसा करता दिखाई पड़ रहा है.

तीसरे फोटो में दो लोगों को पोल पर लटकाया गया है. ऐसा लग रहा है कि दोनों व्यक्ति मरे हुए हैं. पत्रिका का कहना है कि अमेरिकी प्रशासन ने उससे तस्वीरों को गोपनीय रखने के लिए भी कहा. ऐसे भी आरोप हैं कि तस्वीरों में आए दोनों अमेरिकी सैनिकों ने आम नागरिकों की हत्या भी की.

आम नागरिकों की मौत से करजई नाराजतस्वीर: AP / Fotomontage: DW

स्पीगल के खुलासे के बाद अमेरिकी सेना को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी है. अमेरिकी सेना ने एक बयान जारी कर कहा है, ''हम इन तस्वीरों की वजह से उपजे तनाव के लिए माफी मांगते हैं.''

अमेरिकी फौज का कहना है कि तस्वीरों की जांच की जा रही है. यह देखा जा रहा है कि तस्वीरों के आधार पर आरोपी सैनिकों के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही हो सकती है या नहीं. बयान में अमेरिकी सेना ने कहा है, ''फोटो से ऐसा लगता है कि अनुशासन, पेशेवर रुख और हमारे सैनिकों के चरित्र के विपरीत काम किए गए.''

अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सेना पर आम लोगों को मारने के आरोप लगते रहे हैं. हाल के दिनों में यह मुद्दा खूब गरमाया हुआ है. ऐसे आरोप लग रहे हैं कि अमेरिकी सैनिक शवों को ट्रॉफी की तरह मानते हैं. तस्वीरों में आए एक जवान के खिलाफ मुकदमा शुरू हो चुका है. जेरी मोरलॉक नाम के एक सैनिक पर जानबूझ कर तीन अफगान नागरिकों की हत्या करने के आरोप हैं.

स्पीगल के मुताबिक अमेरिकी सेना उसे तस्वीरें छापने से रोकने की कोशिश करती रही. पत्रिका के मुताबिक उनके पत्रकारों की टीम ने पांच महीने तक रिसर्च करके ये तस्वीरें जुटाईं. पत्रिका के मुताबिक अभी ऐसी 4,000 तस्वीरें और वीडियो हैं, जिनमें अमेरिकी जवानों की करतूतें दिख रही हैं. मैग्जीन का कहना है, ''स्पीगल ने अभी 4,000 फोटो और वीडियो में से सिर्फ तीन तस्वीरें छापी हैं. ये वो तस्वीरें है जो खबर को बताने के लिए जरूरी हैं.''

रिपोर्ट: एजेसियां/ओ सिंह

संपादन: उ भट्टाचार्य

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