अमेरिकी स्कूल में गोलीबारी, छठी क्लास की लड़की हिरासत में
७ मई २०२१
अमेरिका में स्कूल में हुई गोलीबारी के बाद छठी क्लास की एक लड़की को हिरासत में लिया गया है. इस साल अमेरिका में अब तक बंदूकों से हुई हिंसा में 14 हजार 940 लोग मारे जा चुके हैं.
तस्वीर: Getty Images/C. Somodevilla
विज्ञापन
पुलिस के मुताबिक छठी क्लास की एक लड़की ने पूर्वी आइडहो स्थित अपने स्कूल में गुरुवार को बस्ते से हैंडगन निकालकर गोलियां चला दीं. गोलियां दो छात्रों और एक स्कूल कर्मचारी को लगीं जिनका इस वक्त इलाज चल रहा है. हालांकि उनके घाव जानलेवा नहीं हैं. यह घटना राज्य के पूर्वी इलाके में एक दूर-दराज कस्बे रिग्बी में हुई. रिग्बी मिडल स्कूल के एक अध्यापक ने लड़की से बंदूक छीनी और पुलिस के आने तक उसे पकड़ कर रखा गया. जेफरसन काउंटी के शेरिफ स्टीव एंडरसन ने यह जानकारी दी लेकिन लड़की की उम्र या नाम उजागर नहीं किए.
शेरिफ एंडरसन ने बताया, "उसने स्कूल के अंदर और बाहर कई गोलियां चलाईं. अभी हमें इस बारे में ज्यादा नहीं पता है कि उसने ऐसा क्यों किया. इसकी जांच की जा रही है."
सुबह सुबह हुई वारदात
शेरिफ एंडरसन के मुताबिक घटना सुबह करीब नौ बजे हुई. घटना की जांच में कई एजेंसियां शामिल की गई हैं. काउंटी के सरकारी वकील मार्क टेलर का कहना है कि जांच के नतीजों के आधार पर लड़की पर हत्या की कोशिश के तीन मामलों में मुकदमा दर्ज किया जा सकता है.
घटना के बाद छात्रों को उनके माता-पिता के साथ घर भेज दिया गया. जेफरसन के स्कूल डिस्ट्रिक्ट सुपरिंटेंडेंट चैड मार्टिन ने कहा कि शुक्रवार को भी कक्षाओं को रद्द कर दिया गया है. उन्होंने कहा, "किसी भी स्कूल के लिए इससे बुरा सपना कोई नहीं हो सकता. हम इसके लिए तैयारी तो करते हैं लेकिन सच में इसके लिए तैयार कभी नहीं होते."
राज्य के ग्रामीण मेडिकल सेंटर के निदेशक माइकल लीमन ने कहा कि किसी भी घायल की जान को खतरा नहीं है. उन्होंने कहा, "ये (घाव) कहीं ज्यादा बुरे हो सकते थे. हम सच में किस्मत वाले हैं."
घायलों में से एक स्कूल के कर्मचारी को शुरुआती मरहम-पट्टी के बाद छुट्टी दे दी गई है लेकिन दोनों घायल छात्रों को निगरानी के लिए रातभर के लिए अस्पताल में रखा गया है.
आइडहो के गवर्नर ब्रैड लिटल ने इस घटना पर बयान जारी कर कहा कि वह हालात पर नजर रखे हुए हैं. उन्होंने कहा, "कानूनपालक एजेंसियों और स्कूल के अधिकारियों का घटना के बाद प्रतिक्रिया की उनकी कोशिशों के लिए शुक्रिया है. हम हालात की जानकारी ले रहा हूं."
बंदूकें ले चुकी हैं हजारों जानें
अमेरिका में हथियार खरीदना और रखना कमोबेश आसान है और देश में इस तरह की हिंसा की सैकड़ों घटनाएं हर साल होती हैं. गन वॉयलेंस आर्काइव नामक संस्था के मुताबिक इस साल अमेरिका में अब तक बंदूकों से हुई हिंसा में 14 हजार 940 लोग मारे जा चुके हैं. इनमें से 8,382 लोगों ने आत्महत्या की थी. बड़े पैमाने पर गोलीबारी की इस साल अब तक 182 घटनाएं हो चुकी हैं.
सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ मार्च महीने में बंदूक से हिंसा की 45 घटनाएं हुई थीं.
वीके/आईबी (रॉयटर्स)
दुनिया की 10 दिल दहला देने वाली हत्याएं
कुछ हत्याओं ने इतिहास का रुख बदल दिया. अमेरिका से ले कर भारत तक, जानिए वे कौन से मशहूर नेता हैं, जिन्हें जनता अपना हीरो मानती रही और यही उनकी मौत का कारण भी बन गया.
तस्वीर: Getty Images/Keystone
राजीव गांधी
21 मई 1991 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी चुनाव प्रचार के लिए चेन्नई के करीब श्रीपेरंबुदूर पहुंचे. वे भाषण देने के लिए मंच की ओर बढ़े, इस दौरान कई लोगों ने उनके गले में फूलों के हार डाले. तभी भीड़ में भानु नाम की एक महिला ने उनके पैर छूए और अपने शरीर पर लगी बारूद की बेल्ट से विस्फोट किया. इस आत्मघाती हमले में 14 अन्य लोगों की जान गयी.
तस्वीर: Imago/Sven Simon
इंदिरा गांधी
ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद इंदिरा गांधी देश भर में सिख समुदाय में काफी अलोकप्रिय हो गईं. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने सिख सुरक्षाकर्मियों को नहीं हटाया. 31 अक्टूबर 1984 को सतवंत सिंह और बेअंत सिंह नाम के उनके सुरक्षाकर्मियों ने उन पर गोलियां बरसाईं. सतवंत सिंह ने उन पर मशीन गन से गोलियों के 30 राउंड दागे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
बेनजीर भुट्टो
वे पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के संस्थापक और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी थीं. 1988 में वे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. दो साल बाद उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया. 1993 में एक बार फिर उन्होंने सत्ता संभाली और 1996 में फिर से बर्खास्ती हुई. 27 दिसंबर 2007 को एक चुनावी रैली के बाद आत्मघाती हमलें में उनकी जान गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
महात्मा गांधी
बापू ने भारत को आजादी तो दिलाई लेकिन आजाद भारत में वे बहुत लंबा समय नहीं बिता पाए. 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे से उनके सीने में तीन गोलियां दागी. गोडसे का आरोप था कि बापू ने मुसलमानों को हिन्दुओं की तुलना में ज्यादा तवज्जो दी.
तस्वीर: Imago/UIG
अब्राहम लिंकन
वे अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति थे. अमेरिका में चल रहे गृह युद्ध के दौरान वे सत्ता में आए. उन्होंने देश में कई बड़े बदलाव किए और सबसे बढ़ कर गुलामी पर रोक लगाई. 15 अप्रैल 1865 को जॉन बूथ नाम के व्यक्ति ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी. वह अश्वेत लोगों को मताधिकार देने की बात पर लिंकन से नाराज था.
तस्वीर: National Archives/Newsmakers
मार्टिन लूथर किंग जूनियर
अमेरिका में नागरिक अधिकारों के लिए चले आंदोलन में वे सबसे अहम शख्स थे. अमेरिका में अश्वेत लोगों को मुख्य धारा में लाने में उनकी बड़ी भूमिका रही. 1963 का उनका भाषण "आय हैव अ ड्रीम" आज भी लोगों की जबान पर है. 4 अप्रैल 1968 को जेम्स अर्ल रे ने उन पर गोली चलाई. मार्टिन लूथर किंग जूनियर उस वक्त अपने होटल की बालकनी में खड़े थे.
तस्वीर: The Dennis Hopper Trust
जॉन एफ केनेडी
वे अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति थे. 22 नवंबर 1963 को वे टेक्सास राज्य में चुनाव प्रचार कर रहे थे. इस दौरान उनकी कार की छत खुली हुई थी. पास ही में मौजूद एक इमारत के छठे माले से गोलियां चलाई गयी थीं. हार्वे ऑस्वाल्ड नाम के शख्स को इस मामले में गिरफ्तार किया गया. दो दिन बाद जेल ले जाते वक्त ऑस्वाल्ड की भी गोली मार कर हत्या कर दी गयी.
तस्वीर: Reuters/Walt Cisco/Dallas Morning News
रॉबर्ट एफ केनेडी
वे जॉन एफ केनेडी के छोटे भाई थे और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार. 5 जून 1968 को लॉस एंजेलेस के होटल एम्बैसेडर में उन पर गोली चलाई गयी. अगले दिन अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया. उन पर महज एक इंच की दूरी से तीन गोलियां चलाई गयी थीं. हमलावर की पहचान फलस्तीनी आप्रवासी सिरहन सिरहन के रूप में हुई.
तस्वीर: AP
शेख मुजीबुर रहमान
वे बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति थे और हत्या के वक्त देश के प्रधानमंत्री. 15 अगस्त 1975 को बांग्लादेशी सेना के कुछ अधिकारी प्रधानमंत्री निवास में घुस आए और उनके पूरे परिवार पर हमला कर दिया. इरादा देश में सैन्य शासन लागू करने का था. इस तख्तापलट में प्रधानमंत्री समेत उनकी पत्नी, बेटे, छोटे भाई और नौकरों की भी जान गयी.
तस्वीर: AP
जनरल आंग सान
वे म्यांमार की नेता आंग सान सू ची के पिता थे. उन्हें बर्मा को अंग्रेजों से आजादी दिलाने का श्रेय जाता है. लेकिन आजादी की घोषणा से छह महीने पहले ही उनकी हत्या कर दी गयी. 19 जुलाई 1947 को रंगून में बैठक चल रही थी जिसमें ब्रिटिश सरकार द्वारा सत्ता के समर्पण पर चर्चा चल रही थी. इसी दौरान बंदूकधारियों ने जनरल आंग सान समेत उनके छह मंत्रियों, भाई और पिता की हत्या कर दी.