अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में एक स्कूल में हुई गोलीबारी में कम से कम 17 लोग मारे गए हैं जबकि कई अन्य घायल हो गए हैं. पुलिस ने गोलीबारी करने वाले संदिग्ध युवक को गिरफ्तार कर लिया है.
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गिरफ्तार युवक कभी इसी स्कूल में पढ़ता था. वह बुधवार को स्कूल में घुसा और ताबड़तोड़ गोलियां चलाने लगा जिसमें अब तक 17 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. मरने वालों में बच्चे और वयस्क दोनों शामिल हैं. वहीं बहुत से लोग घायल हैं. अमेरिका में होने वाली गोलीबारी की इस ताजा घटना ने देश को हिला दिया है.
वेलेंटाइन डे के दिन यह गोलीबारी मियामी से 72 किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित पार्कलैंड के मारजोरी स्टोनमैन डगलस हाई स्कूल में हुई. पुलिस अधिकारी स्कॉट इस्राएल ने बताया कि 12 लोग स्कूल की इमारत के भीतर मारे गए, दो स्कूल के बाहर जबकि एक व्यक्ति की मौत सड़क पर हुई. दो घायलों ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ दिया.
आम आदमी को अमेरिका में ऐसे मिलती है बंदूक
गन कंट्रोल, अमेरिकी राजनीति का एक बड़ा मुद्दा बन गया है. हालांकि देश के हर राज्य में बंदूकों पर कानून हैं और इससे जुड़े संघीय कानून भी हैं, लेकिन फिर भी यहां बंदूक रखना अन्य मुल्कों के मुकाबले आसान माना जाता है.
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क्या हो न्यूनतम उम्र
गन कंट्रोल एक्ट 1968 के मुताबिक संघीय स्तर पर यहां रहने वाले नागरिकों और कानूनी तौर पर रह रहे 18 साल के लोग शॉटगन, राइफल और गोला-बारूद खरीद सकते हैं. अन्य बंदूकों (फायरआर्म्स) मसलन हैंडगन सिर्फ 21 वर्ष या इससे अधिक उम्र वालों को ही बेची जा सकती है. राज्य या स्थानीय अधिकारी उच्च आयु प्रतिबंधों को लागू कर सकते हैं लेकिन संघीय कानूनों में शामिल न्यूनतम उम्र को कम करने की अनुमति नहीं है.
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कौन खरीद-बेच नहीं सकता
फेडरल कानून के तहत मानसिक रूप से बीमार और ऐसे भगोड़े लोग जो समाज के लिए खतरा साबित हो सकते हैं, सजा पा चुके अपराधी, गैरकानूनी पदार्थों को रखने में दोषी पाये गये लोग, नागरिकता छोड़ चुके लोग, सेना से निकाले गये पूर्व अधिकारी या अन्य सैन्यकर्मी, अवैध अप्रवासी और अस्थायी रूप से वीजा पर रहे लोग फायरआर्म्स की खरीदी नहीं कर सकते.
दूसरा संशोधन लोगों के हथियार रखने के अधिकार को कानूनी मान्यता देता है. राज्य और स्थानीय स्तर पर यह तय किया जा सकता है कि नागरिक सार्वजनिक रूप से बंदूक लेकर चल सकते हैं या नहीं, लेकिन कौन ये बंदूके रख सकता है और कौन नहीं रख सकता वह संघीय स्तर पर ही निर्धारित होता है. शॉटगन, राइफल, मशीनगन, फायरआर्म का प्रबंधन नेशनल फायरआर्म्स एक्ट 1934 के तहत किया जाता है.
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कौन बेच सकते हैं फायरआर्म्स
हैंडगन मालिकों की ही तरह, फेडरल फायरआर्म लाइसेंस प्राप्त करने में दिलचस्पी रखने वाले डीलरों की उम्र कम से कम 21 साल होनी चाहिए. उनके पास कारोबार के लिए जगह होनी चाहिए. हैंडगन मालिकों की भी मानसिक और कानूनी स्थिति ठीक होनी चाहिए. फायरआर्म्स को ऑनलाइन बेचना इसी नियमन के तहत आता है. लेकिन ये बंदूकें लाभ के लिए बेची जा सकती है या नहीं इस पर कानून स्पष्ट नहीं है.
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बैकग्राउंड चेक और बंदूक खरीद
गन कंट्रोल एक्ट 1968 के तहत यहां बैकग्राउंड चेक आवश्यक है. जो भी फायरआर्म खरीदना चाहते हैं उन्हें एक फेडरल फॉर्म भरना होता है और जो व्यक्ति के अतीत से जुड़ा होता है. इसके बाद बैकग्राउंड चेक के लिए उस जानकारी का इस्तेमाल किया जाता है. राज्य यह तय करता है कि बैकग्राउंड चेक में कौन सी एजेंसियां शामिल होंगी.
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राज्यों को खरीद के लिए परिमट की आवश्यकता?
अमेरिका के 50 राज्यों में से महज एक दर्जन राज्यों में ही हैंडगन खरीदने के लिए परमिट आवश्यक है. तीन राज्यों मसलन, कैलोफोर्निया, हवाई, क्नॉटिकट में राइफल और शॉटगन खरीद के लिए परमिट की आवश्यकता है. मसलन कैलोफोर्निया में खरीद का परमिट हासिल करने के लिए आवेदकों को लिखित परीक्षा और गन सेफ्टी क्लास में दाखिला लेना आवश्यक है.
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राज्यों के पास फायरआर्म्स के लिए परमिट
अधिकतर राज्यों को परमिट की आवश्यकता होती है. फायरआर्म्स रखने को लेकर हर राज्य के अपने कानून है. कुछ राज्यों में लोग बिना परमिट के हैंडगन लेकर घूम सकते हैं. वहीं किसी राज्य पर राइफिल और शार्टगन को लेकर कोई कानून नहीं है.
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गन-शो का मसला?
फायरआर्म को बेचने, प्राप्त करने और रखने का कानून स्पष्ट है. हालांकि, प्रत्येक व्यक्ति को बंदूक हस्तांतरण में एफएफएल (फेडरल फायरआर्म लाइसेंस) की आवश्यकता नहीं है, जिसका मतलब है कि प्रत्येक खरीदार कानूनी तौर पर पृष्ठभूमि की जांच के अधीन नहीं है. ऐसे में संभावित रूप से बंदूकों का उन लोगों के हाथों में जाने का खतरा रहता है, जिन्हें बंदूक रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती. (काथलीन शुस्टर/एए)
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संदिग्ध का नाम निकोलस क्रूज बताया जा रहा है, जिसे गोलीबारी होने के एक घंटे बाद गिरफ्तार कर लिया गया. उसकी उम्र 19 साल है और वह इसी स्कूल का छात्र रह चुका है. पुलिस अधिकारी इस्राएल का कहना है कि उसे इस स्कूल से निकाल दिया गया था. पुलिस के मुताबिक क्रूज के पास कई कारतूस और एआर-15 राइफल मिली है.
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह इस घटना को लेकर गवर्नर रिक स्कॉट के संपर्क में हैं. उन्होंने मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की है और कहा है कि अमेरिकी स्कूलों में किसी भी छात्र, अध्यापक या किसी अन्य को असुरक्षित महसूस नहीं करना चाहिए.
अमेरिका में आए दिन होने वाली गोलीबारी की घटनाओं के कारण वहां गन कल्चर का मुद्दा हमेशा बहस में रहता है. इस साल यह किसी स्कूल में होने वाली गोलीबारी की 18वीं घटना है. इसमें आत्महत्या और ऐसे मामले भी शामिल हैं जिनमें कोई घायल नहीं हुआ. कभी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी हासिल करने की रेस में शामिल रहे बर्नी सैंडर्स ने कांग्रेस ने बंदूक से जुड़े कानून में बदलाव करने की मांग की है.
एके/एनआर (एपी, एएफपी)
कहां कहां हैं बच्चों के हाथों में बंदूकें
दुनिया के अलग अलग हिस्सों में जारी संघर्षों में बच्चे न सिर्फ पिस रहे हैं, बल्कि उनके हाथों में बंदूकें भी थमाई जा रही हैं. एक नजर उन देशों पर जहां बच्चों को लड़ाई में झोंका जा रहा है.
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अफगानिस्तान
तालिबान और अन्य कई आतंकवादी गुट बच्चों को भर्ती करते रहे हैं और उनके सहारे कई आत्मघाती हमलों को अंजाम भी दे चुके हैं. कई बार अफगान पुलिस पर भी बच्चों को भर्ती करने के आरोप लगते हैं.
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बर्मा
बर्मा में बरसों से हजारों बच्चों को जबरदस्ती फौज में भर्ती लड़ाई के मोर्चे पर भेजने का चलन रहा है. इनमें 11 साल तक के बच्चे भी शामिल होते हैं.
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सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक
इस मध्य अफ्रीकी देश में 12-12 साल के बच्चे विभिन्न विद्रोही गुटों का हिस्सा रहे हैं. लॉर्ड रजिस्टेंस ग्रुप पर बच्चों को इसी मकसद से अगवा करने के आरोप लगते हैं.
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चाड
यहां विद्रोही ही नहीं बल्कि सरकारों बलों में भी बच्चों को भर्ती किया जाता रहा है. 2011 में सरकार ने सेना में बच्चों को भर्ती न करने का एक समझौता किया था.
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कोलंबिया
इस दक्षिण अमेरिकी देश में पिछले दिनों गृहयुद्ध खत्म हो गया. लेकिन उससे पहले फार्क विद्रोही गुट में बड़े पैमाने पर बच्चों को भर्ती किया गया था.
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डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन ऑफ कांगो
संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि एक समय तो इस देश में तीस हजार लड़के लड़कियां विभिन्न गुटों की तरफ से लड़ रहे थे. कई बार तो लड़कियों को यौन गुलाम की तरह इस्तेमाल किया जाता है.
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भारत
छत्तीसगढ़ जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में कई बच्चों के हाथों में बंदूक थमा दी जाती है. कई बार सुरक्षा बलों से मुठभेड़ों मे बच्चे भी मारे जाते हैं.
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इराक
अल कायदा बच्चों को लड़ाके ही नहीं, बल्कि जासूसों के तौर पर भी भर्ती करता रहा है. कई बार सुरक्षा बलों पर होने वाले आत्मघाती हमलों को बच्चों ने अंजाम दिया है.
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सोमालिया
कट्टरपंथी गुट अल शबाब 10 साल तक के बच्चों को जबरदस्ती भर्ती करता रहा है. उन्हें अकसर घरों और स्कूलों से अगवा कर लिया जाता है. कुछ सोमाली सुरक्षा बलों में भी बच्चों को भर्ती किए जाने के मामले सामने आए हैं.
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दक्षिणी सूडान
2011 में दक्षिणी सूडान के अलग देश बनने के बाद वहां की सरकार ने कहा था कि अब बच्चों को सैनिक के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, लेकिन कई विद्रोही गुटों में अब भी बच्चे हैं.
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सूडान
सूडान के दारफूर में दर्जनों हथियारबंद गुटों पर बच्चों को भर्ती करने के आरोप लगते हैं. इनमें सरकार समर्थक और विरोधी, दोनों ही तरह के मिलिशिया गुट शामिल है.
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यमन
यमन में अरब क्रांति से पहले 14 साल तक के बच्चों को सरकारी बलों में भर्ती किया गया था. हूथी विद्रोहियों के लड़ाकों में भी ऐसे बच्चे शामिल हैं जिनके हाथों में बंदूक हैं.