राजनीतिक और धार्मिक विवादों के केंद्र में रहने वाला उत्तर प्रदेश का शहर अयोध्या जैन, बौद्ध, सिख धर्मों के लिए भी बहुत अहम है. इसके अलावा गीत-संगीत और अन्य कलाओं की भी बड़ी विरासत यह शहर अपने आप में समेटे हुए है.
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अयोध्या में 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हिंदू-मुस्लिम विवाद बड़ा मुद्दा बन गया. कुछ हिंदू संगठन अयोध्या में राम मंदिर बनाने की पैरवी करते हैं. उनकी दलील है कि अयोध्या में हिंदुओं के भगवान राम का शासन था. रामायण में अयोध्या का उल्लेख कोशल जनपद की राजधानी के रूप में किया गया है. इन सारी बातों के बावजूद ऐसा नहीं है कि इस शहर की महत्ता सिर्फ हिंदुओं और मुस्लिमों तक ही सीमित है. अन्य धर्मों का भी शहर से अपना जुड़ाव है. वहीं कला और संस्कृति के क्षेत्र में भी अयोध्या की मजबूत विरासत रही है.
अन्य धर्मों के लिए क्या
जानकार कहते हैं कि बौद्ध, जैन और सिख समुदायों के लिए अयोध्या की अपनी उपयोगिता है. जैन संप्रदाय मानता है कि जैनियों के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव का जन्म अयोध्या में हुआ था. केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (आईसीपीआर) के मेंबर सेक्रेटरी प्रोफेसर रजनीश कुमार शुक्ला के मुताबिक "जैन समुदाय मानता है कि दुनिया के लिए आचरण और व्यवहार के नियम बनाने वाले ऋषभदेव अयोध्या के राजा थे." जैन संप्रदाय के कई धार्मिक स्थल आज भी अयोध्या में नजर आते हैं.
जैन धर्म के अलावा बौद्ध धर्म भी इसे अपने लिए काफी अहम मानता है. मार्च 2018 में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि जिस स्थल पर बाबरी मस्जिद थी वहां कभी बौद्ध धर्म से संबंधित एक ढांचा था. याचिकाकर्ता ने अपील की थी कि विवादित स्थल को श्रावस्ती, कपिलवस्तु, सारनाथ, कुशीनगर की तरह बौद्ध विहार घोषित किया जाना चाहिए जिसे बाद में कोर्ट ने रद्द कर दिया था.
इन मुस्लिम देशों में हैं हिंदू मंदिर
दुनिया में भारत और नेपाल ही हिंदू बहुल देश हैं, लेकिन हिंदू पूरी दुनिया में फैले हैं. मुस्लिम देशों में भी उनकी अच्छी खासी तादाद है. डालते हैं एक नजर मुस्लिम देशों में स्थित मंदिरों पर.
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पाकिस्तान
पाकिस्तान के चकवाल जिले में स्थित कटासराज मंदिर का निर्माण सातवीं सदी में हुआ था. इस मंदिर परिसर में राम मंदिर, हनुमान मंदिर और शिव मंदिर खास तौर से देखे जा सकते हैं. पुरातात्विक विशेषज्ञ इसके रखरखाव में जुटे हैं.
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मलेशिया
मलेशिया में हिंदू तमिल समुदाय के बहुत से लोग रहते हैं और इसलिए यहां बहुत सारे मंदिर हैं. गोमबाक में बातु गुफाओं में कई मंदिर हैं. गुफा के प्रवेश स्थल पर हिंदू देवता मुरुगन की विशाल प्रतिमा है.
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इंडोनेशिया
आज इंडोनेशिया भले ही दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश है, फिर भी वहां की संस्कृति में हिंदू तौर तरीकों की झलक दिखती है. वहां बड़ी संख्या में हिंदू मंदिर हैं. फोटो में नौवीं सदी के प्रामबानान मंदिर में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को देखा जा सकता है.
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बांग्लादेश
बांग्लादेश की 16 करोड़ से ज्यादा की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी लगभग दस फीसदी है. राजधानी ढाका के ढाकेश्वरी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. देश के विभिन्न हिस्सों में और भी कई मंदिर हैं.
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ओमान
फरवरी 2018 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब ओमान पहुंचे तो वह राजधानी मस्कट के शिव मंदिर में भी गए. इसके अलावा मस्कट में श्रीकृष्ण मंदिर और एक गुरुद्वारा भी है.
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यूएई
संयुक्त अरब अमीरात में अभी सिर्फ एक मंदिर है जो दुबई में है. इसका नाम शिव और कृष्ण मंदिर है. जल्द ही अबु धाबी में पहला मंदिर बनाया जाएगा जिसकी आधारशिला प्रधानमंत्री मोदी ने रखी.
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बहरीन
काम की तलाश में बहुत से लोग भारत से बहरीन जाते हैं, जिनमें बहुत से हिंदू भी शामिल हैं. उनकी धार्मिक आस्थाओं के मद्देनजर वहां शिव मंदिर और अयप्पा मंदिर बनाए गए हैं. (तस्वीर सांकेतिक है)
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अफगानिस्तान
अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की संख्या अब लगभग 1000 ही बची है. इनमें से ज्यादातर काबुल या अन्य दूसरे बड़े शहरों में रहते हैं. अफगानिस्तान में जारी उथल पुथल का शिकार हिंदू मंदिर भी बने. लेकिन काबुल में अब भी कई मंदिर बचे हुए हैं.
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लेबनान
लेबनान के जाइतून में भी हिंदू मंदिर मौजूद है. वैसे लेबनान में रहने वाले भारतीयों की संख्या ज्यादा नहीं है. 2006 के इस्राएल-हिज्बोल्लाह युद्ध के बाद वहां भारतीयों की संख्या में कमी आई.
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शुक्ला कहते हैं, "बौद्ध समुदाय मानता है कि बुद्ध की 50 वर्षों की परिव्राजक के रूप में जो यात्रा थी उसका यह अहम प्रमाण है." परिव्राजक का अर्थ है एक ऐसा व्यक्ति जो धार्मिक मान्यताओं का अनुसरण करने के लिए जीवन की सभी सुविधाओं को त्याग देता है. माना तो यह भी जाता है कि कोसल के राजा प्रसेनजित उन चंद राजाओं में से हैं जिन्होंने बौद्ध धर्म के नियमों के मुताबिक शासन करना सीखा. शुक्ला बताते हैं कि राजा प्रसेनजित ने कृषि और व्यापार की नीतियों को बौद्ध शिक्षाओं के अनुरूप स्थापित किया. उन्होंने कहा कि सिखों के लिए यह जगह इसलिए महत्व रखती है क्योंकि गुरु नानक ने अयोध्या की यात्रा की थी.
कैसी है सांस्कृतिक विरासत
उत्तर प्रदेश सरकार की वेबसाइट के अनुसार अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत अतीत में सूर्यवंशी राजाओं से प्रारंभ होती है. अब तक अयोध्या, फैजाबाद जिले के तहत आता था. लेकिन 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या करने का फैसला किया. इतिहास कहता है कि फैजाबाद अवध की पहली ऐसी राजधानी था जिसकी नींव नवाबों ने रखी थी. नवाब सआदत खान बुरहान उल मुल्क ने 1722 में यहां नगर बसाया. सआदत खान के उत्तराधिकारियों ने फैजाबाद को इसका पूरा स्वरूप दिया. इसके चलते फैजाबाद को नवाबों का शहर कहा गया जबकि अयोध्या धार्मिक नगर के रूप में विकसित हुआ.
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त कर चुके अयोध्या राजपरिवार के सदस्य और वरिष्ठ साहित्यकार यतींद्र मिश्र अयोध्या को गंगा-जमुनी तहजीब का उदाहरण कहते हैं. मिश्र बताते हैं कि अयोध्या को बागों का शहर कहा गया और यहां स्थित गुलाबबाड़ी, मोतीबाड़ी, महलबाग नवाबों की संस्कृति को दिखाते थे. उन्होंने बताया, "यहां हस्तलेखन कला, जरदोजी, दस्तकारी, संगीत और कविता पाठ की संस्कृति शुरू हुई लेकिन जब नवाब फैजाबाद से अपनी राजधानी लखनऊ ले गए तो सब वहां चला गया." लखनऊ जाने के बाद 200-250 साल तक इसका प्रभाव फैजाबाद में बना रहा. इन सब के बीच अयोध्या धार्मिक बना रहा जिसका वैष्णव भक्ति शाखा की ओर झुकाव नजर आता है.
कुछ बड़े कलाकार
मिश्र डॉयचे वेले को फैजाबाद की जमीन से निकले शेख निसार के बारे में भी बताते हैं. उन्होंने बताया, "युसुफ-जुलेखा कृति की रचना करने शेख निसार भी फैजाबाद की भूमि से निकले. सूफी परंपरा में शेख निसार को काफी अहम माना जाता है. फैजाबाद फिल्म स्टार नाम से मशहूर बेगम अख्तर का जन्म 1914 में फैजाबाद में ही हुआ था. उन्होंने युवावस्था में कई फिल्मों में काम किया है. इसके अलावा उन्होंने दादरा-ठुमरी, कजरियां और गजल गायन के क्षेत्र में भी सफलता की मिसाल कायम की. मिश्र बताते हैं, "जब मेगाफोन कंपनी उनके रिकॉर्ड बजाती थी तो उसे कंपनी फैजाबाद फिल्म स्टार के नाम से जारी करती थी."
उर्दू कवि मीर बाबर अली अनीसतस्वीर: Wikipedia/Dr. Syed Taqi Abedi
माना जाता है कि मिर्जा हादी रुसवा ने अपने उपन्यास में जिस उमराव जान का जिक्र किया है उसका अंदाज बेगम अख्तरी बाई से प्रेरित रहा. इसके अलावा मशहूर उर्दू कवि मीर बाबर अली अनीस का जन्म भी फैजाबाद में हुआ था. पंडित ब्रजनारायण चकबस्त भी अयोध्या में पैदा हुए थे जिन्होंने रामायण का उर्दू में तर्जुमा किया.
कोरिया से संबंध
कोरिया और अयोध्या के रिश्तों के बारे में मिश्र कहते हैं, "एक पौराणिक कथा है कि अयोध्या से दो हजार साल पहले एक राजकुमारी कोरिया गई और वहां के एक राजकुमार से उसने शादी रचाई, जिसके बाद वहां किम राजवंश चला." यह संबंध आज के दक्षिण कोरिया से निकाला जाता है. आज भी दक्षिण कोरिया के लोग अपने ननिहाल वालों से मिलने आते हैं और अयोध्या में कार्यक्रम करते हैं. हालांकि इसका कोई लिखित दस्तावेज उपलब्ध नहीं है.
इस पर रजनीश शुक्ला कहते हैं कि भारत की परंपरा वाचन की रही है जिसके चलते कोई लिखित दस्तावेज नहीं मिलते. शुक्ला के मुताबिक, "दक्षिण कोरिया के राजवंश से जुड़े लोगों ने भी स्वयं को उसी राजवंश से जुड़ा माना है जिसका अयोध्या के साथ संबंध है. इसका असर दोनों देशों के बीच संबंधों पर भी पड़ा है."
अयोध्या: कब क्या हुआ
भारतीय राजननीति में अयोध्या एक ऐसा सुलगता हुआ मुद्दा रहा है जिसकी आग ने समाज को कई बार झुलसाया है. जानिए, कहां से कहां तक कैसे पहुंचा यह मुद्दा...
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1528
कुछ हिंदू नेताओं का दावा है कि इसी साल मुगल शासक बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी.
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1853
इस जगह पर पहली बार सांप्रदायिक हिंसा हुई.
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1859
ब्रिटिश सरकार ने एक दीवार बनाकर हिंदू और मुसलमानों के पूजा स्थलों को अलग कर दिया.
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1949
मस्जिद में राम की मूर्ति रख दी गई. आरोप है कि ऐसा हिंदुओं ने किया. मुसलमानों ने विरोध किया और मुकदमे दाखिल हो गए. सरकार ने ताले लगा दिए.
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1984
विश्व हिंदू परिषद ने एक कमेटी का गठन किया जिसे रामलला का मंदिर बनाने का जिम्मा सौंपा गया.
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1986
जिला उपायुक्त ने ताला खोलकर वहां हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी. विरोध में मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.
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1989
विश्व हिंदू परिषद ने मस्जिद से साथ लगती जमीन पर मंदिर की नींव रख दी.
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1992
वीएचपी, शिव सेना और बीजेपी नेताओं की अगुआई में सैकड़ों लोगों ने बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई की और उसे गिरा दिया.
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जनवरी 2002
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दफ्तर में एक विशेष सेल बनाया. शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुस्लिम नेताओं से बातचीत की जिम्मेदारी दी गई.
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मार्च 2002
गोधरा में अयोध्या से लौट रहे कार सेवकों को जलाकर मारे जाने के बाद भड़के दंगों में हजारों लोग मारे गए.
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अगस्त 2003
पुरातात्विक विभाग के सर्वे में कहा गया कि जहां मस्जिद बनी है, कभी वहां मंदिर होने के संकेत मिले हैं.
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जुलाई 2005
विवादित स्थल के पास आतंकवादी हमला हुआ. जीप से एक बम धमाका किया गया. सुरक्षाबलों ने पांच लोगों को गोलीबारी में मार डाला.
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2009
जस्टिस लिब्रहान कमिश्न ने 17 साल की जांच के बाद बाबरी मस्जिद गिराये जाने की घटना की रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया गया.
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सितंबर 2010
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विवादित स्थल को हिंदू और मुसलमानों में बांट दिया जाए. मुसलमानों को एक तिहाई हिस्सा दिया जाए. एक तिहाई हिस्सा हिंदुओं को मिले. और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए. मुख्य विवादित हिस्सा हिंदुओं को दे दिया जाए.
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मई 2011
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित किया.
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मार्च 2017
रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को यह विवाद आपस में सुलझाना चाहिए.
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मार्च, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की मध्यस्थता के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई. श्रीश्री रविशंकर, श्रीराम पांचू और जस्टिस खलीफुल्लाह इस समिति के सदस्य थे. जून में इस समिति ने रिपोर्ट दी और ये मामला मध्यस्थता से नहीं सुलझ सका. अगस्त, 2019 से सुप्रीम कोर्ट ने रोज इस मामले की सुनवाई शुरू की.
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नवंबर, 2019
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला दिया कि विवादित 2.7 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनेगा जबकि अयोध्या में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन सरकार मुहैया कराएगी.
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अगस्त, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.