अयोध्या विवाद पर फैसले से पहले शांति की अपील
१७ सितम्बर २०१०प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई जिसमें एक प्रस्ताव पारित हुआ और फैसला आने के बाद शांति बनाए रखने की अपील की गई. सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने मीडिया को बताया, "यह सभी को समझने की जरूरत है कि अदालत के फैसले को आदर के साथ सुना जाना चाहिए. हमें यह भी याद रखना चाहिए कि यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया में एक कदम है. इस फैसले से मुद्दे पर अंतिम मुहर तब तक नहीं लग सकती जब तक यह हर पक्ष को स्वीकार्य न हो."
सरकार ने साफ किया है कि अगर किसी पक्ष को लगता है कि इस मुद्दे पर न्यायालय को और विचार करना चाहिए तो उस संबंध में कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जा सकता है. "यह जरूरी है कि भारत में हर वर्ग यह समझे की फैसले के बाद देश में शांति और सौहार्द का वातावरण बनाए रखना बेहद जरूरी है." हाल के दिनों में चिंता जाहिर की गई है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है.
कैबिनेट की ओर से जारी प्रस्ताव में कहा गया है कि किसी भी गुट, संगठन या समूह को दूसरे वर्ग की भावनाओं को भड़काने या फिर उन्हें चोट पहुंचाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
उधर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा है कि अगर कोर्ट का फैसला उनके खिलाफ भी आता है तो आपाधापी में कोई कदम नहीं उठाया जाएगा. "कोर्ट के फैसले का आदर करते हुए आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोगों की भावनाएं हिंदू संगठनों के खिलाफ न हो जाएं."
60 साल पुराने विवाद पर फैसले से कुछ दिन पहले हाई कोर्ट की स्पेशल बेंच ने दोनों पक्षों के वकीलों को बैठक के लिए बुलाया ताकि आपसी मेलमिलाप से मामले को सुलझाया जा सके. हाई कोर्ट को इस विवाद पर 24 सितम्बर को फैसला देना है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: आभा एम