सुप्रीम कोर्टम में अयोध्या की विवादित जमीन के मालिकाना हक के बारे में चल रही सुनवाई बुधवार को पूरी हो गई है. पांच जजों की बेंच अगले महीने तक इस मामले में फैसला सुना सकती है.
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विवादित जमीन को हिंदू अपने अराध्य राम की जन्मभूमि बताते हैं जबकि ढाई दशक पहले तक वहां एक मस्जिद थी जो बाबर के सिपहसलार मीर बाकी ने बनवाई थी.16वीं सदी की इस मस्जिद को 1992 में उग्र हिंदू कारसेवकों ने तोड़ दिया और एक अस्थायी मंदिर बना कर वहां भगवान राम की मूर्ति स्थापित कर दी. हिंदू पक्ष वहां विशाल मंदिर बनवाना चाहता है जबकि मुसलमान अपनी मस्जिद की जमीन देने को तैयार नहीं हैं. मुसलमान चाहते हैं कि विवादित जमीन पर फिर से मस्जिद बनवाई जाए. 1992 में मस्जिद टूटने के बाद देश में दंगे फैल गए थे. इन दंगों में करीब 2000 लोगों की मौत हुई थी.
पांच जजों की बेंच ने 2010 में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली 14 याचिकाओं पर सुनवाई की है. निचली अदालत ने विवादत जमीन को तीन हिस्से में बांटने का फैसला सुनाया था. इसमें दो हिस्से हिंदुओं को और एक हिस्सा मुसलमानों को देने की बात कही गई थी. दोनों पक्षों के बीच सहमति से कोई फैसला नहीं होने के बाद इसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की प्रतिदिन सुनवाई शुरू की.
हिंदुओं की दलील है कि यह जमीन उनके अराध्य की जन्मभूमि है और मुस्लिम आक्रमणकारियों ने पहले से मौजूद मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई थी. हिंदुओं के वकील के परासरण ने कोर्ट से कहा कि अयोध्या में कई मस्जिद हैं जहां मुसलमान नमाज पढ़ सकते हैं लेकिन हिंदू अपने अराध्य की जन्मभूमि को नहीं बदल सकते हैं.
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई के दौरान बड़ा नाटक भी हुआ. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने विवादित जमीन के एक नक्शे को फाड़ दिया. यह नक्शा हिंदू पक्ष की तरफ से आगे बढ़ाया गया था. धवन ने इस बात का विरोध किया कि मुकदमे के आखिरी चरण में इस तरह का नक्शा पेश किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने खचाखच भरी अदालत में कहा, "बस बहुत हुआ. इस मामले की सुनवाई आज ही पूरी होगी."
मुसलमानों की तरफ से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का पक्ष कर रहे वकील जफरयाब जिलानी ने कहा, "हमने अपनी बात रख दी है अब जो कुछ होगा वह ईश्वर के हाथ में है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनावों में वादा किया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो वे अयोध्या में मंदिर बनवाएंगे. हालांकि बाद में उन्होंने कोर्ट का फैसला आने तक इंतजार करने की बात कही. इस बीच हिंदू पक्षकार अपनी तरफ से कानून बना कर मंदिर बनवाने के लिए दबाव बनाने की कोशिश करते रहे.
इस बीच अयोध्या में एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त दुरूस्त किया जा रहा है. अतिरिक्त पुलिसकर्मियों और सुरक्षाबलों की तैनाती के साथ ही 4 से ज्यादा लोगों के एक जगह जमा होने पर रोक लगा दी गई है. 55,000 की आबादी वाले शहर में करीब 6 फीसदी मुसलमान हैं.
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1528
कुछ हिंदू नेताओं का दावा है कि इसी साल मुगल शासक बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी.
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1853
इस जगह पर पहली बार सांप्रदायिक हिंसा हुई.
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1859
ब्रिटिश सरकार ने एक दीवार बनाकर हिंदू और मुसलमानों के पूजा स्थलों को अलग कर दिया.
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1949
मस्जिद में राम की मूर्ति रख दी गई. आरोप है कि ऐसा हिंदुओं ने किया. मुसलमानों ने विरोध किया और मुकदमे दाखिल हो गए. सरकार ने ताले लगा दिए.
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1984
विश्व हिंदू परिषद ने एक कमेटी का गठन किया जिसे रामलला का मंदिर बनाने का जिम्मा सौंपा गया.
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1986
जिला उपायुक्त ने ताला खोलकर वहां हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी. विरोध में मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.
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1989
विश्व हिंदू परिषद ने मस्जिद से साथ लगती जमीन पर मंदिर की नींव रख दी.
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1992
वीएचपी, शिव सेना और बीजेपी नेताओं की अगुआई में सैकड़ों लोगों ने बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई की और उसे गिरा दिया.
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जनवरी 2002
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दफ्तर में एक विशेष सेल बनाया. शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुस्लिम नेताओं से बातचीत की जिम्मेदारी दी गई.
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मार्च 2002
गोधरा में अयोध्या से लौट रहे कार सेवकों को जलाकर मारे जाने के बाद भड़के दंगों में हजारों लोग मारे गए.
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अगस्त 2003
पुरातात्विक विभाग के सर्वे में कहा गया कि जहां मस्जिद बनी है, कभी वहां मंदिर होने के संकेत मिले हैं.
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जुलाई 2005
विवादित स्थल के पास आतंकवादी हमला हुआ. जीप से एक बम धमाका किया गया. सुरक्षाबलों ने पांच लोगों को गोलीबारी में मार डाला.
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2009
जस्टिस लिब्रहान कमिश्न ने 17 साल की जांच के बाद बाबरी मस्जिद गिराये जाने की घटना की रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया गया.
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सितंबर 2010
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विवादित स्थल को हिंदू और मुसलमानों में बांट दिया जाए. मुसलमानों को एक तिहाई हिस्सा दिया जाए. एक तिहाई हिस्सा हिंदुओं को मिले. और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए. मुख्य विवादित हिस्सा हिंदुओं को दे दिया जाए.
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मई 2011
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित किया.
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मार्च 2017
रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को यह विवाद आपस में सुलझाना चाहिए.
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मार्च, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की मध्यस्थता के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई. श्रीश्री रविशंकर, श्रीराम पांचू और जस्टिस खलीफुल्लाह इस समिति के सदस्य थे. जून में इस समिति ने रिपोर्ट दी और ये मामला मध्यस्थता से नहीं सुलझ सका. अगस्त, 2019 से सुप्रीम कोर्ट ने रोज इस मामले की सुनवाई शुरू की.
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नवंबर, 2019
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला दिया कि विवादित 2.7 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनेगा जबकि अयोध्या में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन सरकार मुहैया कराएगी.
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अगस्त, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.