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अयोध्या विवाद में कुछ हफ्तों में आएगा फैसला

१६ अक्टूबर २०१९

सुप्रीम कोर्टम में अयोध्या की विवादित जमीन के मालिकाना हक के बारे में चल रही सुनवाई बुधवार को पूरी हो गई है. पांच जजों की बेंच अगले महीने तक इस मामले में फैसला सुना सकती है.

Die Babri-Moschee vor der Zerstörung 1992
तस्वीर: CC-BY-SA-Shaid Khan

विवादित जमीन को हिंदू अपने अराध्य राम की जन्मभूमि बताते हैं जबकि ढाई दशक पहले तक वहां एक मस्जिद थी जो बाबर के सिपहसलार मीर बाकी ने बनवाई थी.16वीं सदी की इस मस्जिद को 1992 में उग्र हिंदू कारसेवकों ने तोड़ दिया और एक अस्थायी मंदिर बना कर वहां भगवान राम की मूर्ति स्थापित कर दी. हिंदू पक्ष वहां विशाल मंदिर बनवाना चाहता है जबकि मुसलमान अपनी मस्जिद की जमीन देने को तैयार नहीं हैं. मुसलमान चाहते हैं कि विवादित जमीन पर फिर से मस्जिद बनवाई जाए. 1992 में मस्जिद टूटने के बाद देश में दंगे फैल गए थे. इन दंगों में करीब 2000 लोगों की मौत हुई थी.

पांच जजों की बेंच ने 2010 में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली 14 याचिकाओं पर सुनवाई की है. निचली अदालत ने विवादत जमीन को तीन हिस्से में बांटने का फैसला सुनाया था. इसमें दो हिस्से हिंदुओं को और एक हिस्सा मुसलमानों को देने की बात कही गई थी. दोनों पक्षों के बीच सहमति से कोई फैसला नहीं होने के बाद इसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की प्रतिदिन सुनवाई शुरू की.

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Armangue

हिंदुओं की दलील है कि यह जमीन उनके अराध्य की जन्मभूमि है और मुस्लिम आक्रमणकारियों ने पहले से मौजूद मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई थी. हिंदुओं के वकील के परासरण ने कोर्ट से कहा कि अयोध्या में कई मस्जिद हैं जहां मुसलमान नमाज पढ़ सकते हैं लेकिन हिंदू अपने अराध्य की जन्मभूमि को नहीं बदल सकते हैं.

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई के दौरान बड़ा नाटक भी हुआ. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने विवादित जमीन के एक नक्शे को फाड़ दिया. यह नक्शा हिंदू पक्ष की तरफ से आगे बढ़ाया गया था. धवन ने इस बात का विरोध किया कि मुकदमे के आखिरी चरण में इस तरह का नक्शा पेश किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने खचाखच भरी अदालत में कहा, "बस बहुत हुआ. इस मामले की सुनवाई आज ही पूरी होगी."

तस्वीर: Getty Images/AFP/D. E. Curran

मुसलमानों की तरफ से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का पक्ष कर रहे वकील जफरयाब जिलानी ने कहा, "हमने अपनी बात रख दी है अब जो कुछ होगा वह ईश्वर के हाथ में है."

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनावों में वादा किया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो वे अयोध्या में मंदिर बनवाएंगे. हालांकि बाद में उन्होंने कोर्ट का फैसला आने तक इंतजार करने की बात कही. इस बीच हिंदू पक्षकार अपनी तरफ से कानून बना कर मंदिर बनवाने के लिए दबाव बनाने की कोशिश करते रहे.

इस बीच अयोध्या में एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त दुरूस्त किया जा रहा है. अतिरिक्त पुलिसकर्मियों और सुरक्षाबलों की तैनाती के साथ ही 4 से ज्यादा लोगों के एक जगह जमा होने पर रोक लगा दी गई है. 55,000 की आबादी वाले शहर में करीब 6 फीसदी मुसलमान हैं.

एनआर/आईबी (एपी, रॉयटर्स)

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