भारत में शादियों का सालाना बाजार लगभग एक लाख करोड़ रुपये का है. यह औसतन 25 से 30 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है. देश में हर साल अममून एक करोड़ शादियां होती हैं.
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एक अध्ययन के मुताबिक, वर्ष 2017 से 2021 के दौरान साढ़े छह करोड़ शादियों का अनुमान है. इन शादियों पर पांच लाख से लेकर पांच करोड़ तक की रकम खर्च होती है. शादी के इस बढ़ते बाजार से मुनाफा कमाने के लिए ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन कंपनियां इस मैदान में कूद रही हैं. इनमें जोड़े मिलाने वाली कंपनियों से लेकर शादी के तमाम आयोजन करने वाली कंपनियां तक शामिल हैं. इस साल हालांकि व्यापार संगठन एसोचैम ने नोटबंदी व जीएसटी की वजह से शादी के कारोबार पर 15 से 20 फीसदी असर पड़ने का अंदेशा जताया है. लेकिन इस कारोबार में सक्रिय आनलाइन कंपनियों के चेहरे एक बार फिर चमकने लगे हैं. बीते साल नोटबंदी की वजह से उनको बुरी तरह मार खानी पड़ी थी.
शाही होती शादियां
देश में हर बीतते साल के साथ शादियों का आयोजन भव्य और शाही होता जा रहा है. यह कहना ज्यादा सही होगा कि पारंपरिक शादियां अब कॉरपोरेट आयोजनों में बदलती जा रही हैं जहां शादी का निमंत्रण पत्र छापने से लेकर तमाम इंतजाम की जिम्मेदारी वधू पक्ष से अपने सिर पर लेने वाली एजंसियों की बाढ़-सी आ गई है. फिलहाल देश की सवा सौ करोड़ की आबादी में प्रति परिवार औसतन पांच सदस्यों के हिसाब कोई 25 करोड़ परिवार हैं. ऐसे हर परिवार में प्रति बीस साल पर एक शादी होने की स्थिति में देश में सालाना कम से कम एक करोड़ शादियां होती हैं. हर शादी में औसतन 30 से 40 ग्राम सोना खर्च होने की स्थिति में महज शादियों में सोने की कुल सालाना खपत तीन से चार सौ टन के बीच होगी. इस कारोबार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगले दो दशकों के दौरान देश में प्रति व्यक्ति आय के कम से कम तिगुनी बढ़ने की संभावना और देश की आधी आबादी के 29 साल की उम्र का होने के कारण अगले पांच से 10 वर्षों के दौरान शादी के बाजार में भारी उछाल की उम्मीद है.
भारत की मशहूर हिंदू-मुस्लिम जोड़ियां
लव जिहाद जैसे जुमले भी भले ही सियासत में उछाले जाते हों, लेकिन अंतर धार्मिक शादियां धर्मों के बीच बढ़ रही दूरी को पाटने का एक अच्छा तरीका है. चलिए डालते नजर कुछ ऐसी ही जोड़ियों पर.
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शाहरुख खान-गौरी खान
बॉलीवुड के किंग कहे जाने वाले शाहरुख खान ने पंजाबी परिवार में जन्मी गौरी छिब्बर से 1991 में शादी की, जिसके बाद वह गौरी खान बन गईं. दोनों के तीन बच्चे हैं.
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ऋतिक रोशन-सुजैन खान
अभिनेता ऋतिक रोशन और सुजैन खान ने 2000 में शादी की. लेकिन 2014 में दोनों नो अलग होने का फैसला किया. सुजैन खान अभिनेता संजय खान की बेटी हैं. यहां उन्हें अभिनेत्री पूजा हेगड़े के साथ देखा जा सकता है.
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सलमान खान का परिवार
सलमान खान ने तो अब तक शादी नहीं की है. लेकिन उनके परिवार में कई शादियां ऐसी हैं जिनमें अलग अलग धर्म के लोग मिले. इसमें सलीम खान-सुशीला चरक, हेलेन, अलवीरा-अतुल अग्निहोत्री, अरबाज-मलाइका, सोहेल खान-सीमा सचदेव जैसी कई जोड़ियां शामिल हैं.
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सैफ अली खान-अमृता सिंह-करीना कपूर
अभिनेता सैफ अली खान और अमृता सिंह की शादी लगभग 13 साल चली. 2004 में वे अलग हो गए. इसके बाद उन्होंने 2012 में करीना कपूर से शादी की.
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इमरान हाशमी-परवीन साहनी
बॉलीवुड में अपने किसिंग सीन के लिए मशहूर इमरान हाश्मी ने 2006 में परवीन साहनी से शादी की. यह तस्वीर "डर्टी पिक्चर" की प्रमोशन के वक्त है जिसमें वह अभिनेत्री विद्या बालन के साथ दिख रहे हैं.
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मुमताज-मयूर माधवानी
गुजरे जमाने की सबसे हिट अभिनेत्रियों में से एक मुमताज का संबंध एक मुस्लिम परिवार से रहा है. 1974 में उन्होंने कारोबारी मयूर माधवानी से शादी कर अपना घर बसाया.
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नरगिस दत्त-सुनील दत्त
नरगिस का नाम पहले फातिमा राशिद था. पर्दे पर तो उनकी जोड़ी राजकपूर के साथ हिट थी लेकिन असल जिंदगी में उन्होंने सुनील दत्त को अपना हमसफर बनाया.
हरफनमौला गायक और अभिनेता किशोर कुमार ने मशहूर अभिनेत्री मधुबाला से शादी की. मधुबाला का नाम पहले मुमताज जहान देहलवी था और उन्हें हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में गिना जाता है. मुगले आजम में अनारकली के किरदार में उन्होंने बखूबी जान डाली.
साठ और सत्तर के दशक की ग्लैमरस अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने भी भारतीय क्रिकेट के कप्तान मंसूर अली खान पटौदी को अपने जीवन साथी के रूप में चुना. पटौदी ने 70 साल की उम्र में 2011 में दुनिया को अलविदा कह दिया.
अपनी मुस्कान और शानदार अभिनय के लिए मशहूर वहीदा रहमान ने 1974 में अभिनेता शशि रेखी से शादी की जो बतौर अभिनेता कमलजीत के नाम से जाने जाते थे. लंबी बीमारी के बाद 2000 में उनके पति का निधन हो गया.
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उस्ताद अमजद अली खान- शुभालक्ष्मी
सरोद के सुरों से जादू करने वाले उस्ताद अमजद अली खान ने 1976 में भारतनाट्यम नृत्यांगना शुभलक्ष्मी बरुआ से शादी की. उनके दो बेटे अमान और अयान भी सरोद बजाते हैं.
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जरीना वहाब-आदित्य पंचोली
1980 के दशक की एक जानी मानी अभिनेत्री जरीना वहाब ने फिल्म अभिनेता आदित्य पंचोली के साथ विवाह रचाया. उनके बेटे सूरज पंचोली ने हीरो के साथ बॉलीवुड में कदम रखा.
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फराह खान-शिरीष कुंदर
कोरियोग्राफर से निर्देशन में उतरीं फराह खान ने 2004 में शिरीष कुंदर से शादी की. अपने बयानों से कई विवादों में रहे कुंदर की मुलाकात फराह से उनकी फिल्म मैं हूं ना पर काम करने के दौरान हुई.
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सुनील शेट्टी-माना शेट्टी
अभिनेता सुनील शेट्टी की पत्नी माना शेट्टी मुस्लिम पिता और हिंदू मां की संतान हैं. शादी से पहले उनका नाम माना कादरी था. 1991 में दोनों एक दूसरे के हो गए.
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मनोज बाजपेयी-शबाना रजा
सत्या, शूल, कौन, वीर-जारा, अलीगढ़ और राजनीति जैसी फिल्मों में अपने जौहर दिखाने वाले अभिनेता मनोज बाजपेयी ने 2006 में शबाना रजा से शादी की, जिसके बाद उन्होंने अपना नाम नेहा रख लिया.
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सचिन पायलट-सारा पायलट
कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट की पत्नी का नाम सारा पायलट हैं. सारा कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला की बेटी हैं. दोनों के दो बेटे आरान और विहान हैं.
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उमर अब्दुल्ला-पायल नाथ
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने 1994 में पायल नाथ से शादी की. लेकिन 2011 में वे अलग हो गए.
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मुख्तार अब्बास नकवी-सीमा नकवी
मुख्तार अब्बास नकवी बीजेपी नेता और पार्टी का एक अहम मुस्लिम चेहरा हैं. उनकी पत्नी का नाम सीमा नकवी है, जिनका संबंध एक हिंदू परिवार से रहा है.
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जहीर खान-सागरिका घटके
मशहूर क्रिकेटर जहीर खान ने अभिनेत्री सागरिका घटके के साथ शादी की है. सागरिका घटके चक दे, रश और जी भर के जी ले जैसी कई फिल्मों में काम कर चुकी हैं.
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व्यापार संगठन एसोचैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मैट्रीमोनी डॉट कॉम, शादी डॉट कॉम व भारत मैट्रीमोनियल्स समेत शादी कराने वाले आनलाइन पोर्टलों का सालाना कारोबार तीन से साढ़े तीन सौ करोड़ के बीच है और यह हर साल बढ़ रहा है. एक निजी संस्था केपीएमजी की ओर से हाल में जारी मार्केट स्टडी ऑफ ऑनलाइन मैट्रीमोनी एंड मैरेज सर्विसेज शीर्षक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2016 के दौरान देश के 10.7 करोड़ अविवाहाति लोगों में से लगभग 6.3 करोड़ को शादी के लिए लड़के या लड़की की तलाश थी. इसमें कहा गया है कि देश में शादी लायक लड़के-लड़कियों की आबादी वर्ष 2021 तक सालाना औसतन 0.84 फीसदी की दर से बढ़ेगी. इस हिसाब से वर्ष 2017 से 2021 के बीच साढ़े छह करोड़ शादियां होंगी.
लौटती रौनक
बीते साल नवंबर में देश में शादी का सीजन शुरू होने के ठीक पहले आए नोटबंदी के फैसले ने शादियों की रौनक हर ली थी. लेकिन अब यह खोई रौनक धीरे-धीरे लौट रही है. ऑनलाइन वेडिंग पोर्टल बैंड बाजा के सह-संस्थापक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी सचिन सिंघल बताते हैं, "बीते साल के झटके के बाद अब शादियों की रौनक दोबारा लौटने लगी है. लोग तमाम भुगतान ऑनलाइन करने लगे हैं और उनका बजट भी बढ़ गया है." ब्राइडल एशिया के चीफ आपरेटिंग आफिसर धुव्र गुरवारा कहते हैं, "शाही शादियों का फैशन फिर लौट आया है. बाजार में पर्याप्त नकदी आने और आनलाइन लेन-देन बढ़ने से मुश्किलें दूर हो गई हैं. इससे वेडिंग इंडस्ट्री यानी शादी उद्योग को नया जीवन मिला है."
धुव्र गुरवारा को भरोसा है कि यह उद्योग किसी भी तरह के संकट से शीघ्र उबरने में सक्षम है. मसाल के तौर पर वर्ष 2008 की विश्वव्यापी मंदी के बावजूद इस उद्योग का वजूद बना रहा. वह कहते हैं कि नोटबंदी तो एक सामयिक दौर था. देश में शादियों की भव्यता भविष्य में भी बढ़ती रहेगी और इसके साथ यह उद्योग दिन दूना रात चौगुना प्रगति करेगा.
अविवाहित नेताओं का 'बैचलर मुख्यमंत्री' क्लब
भारत में तथाकथित 'बैचलर मुख्यमंत्री' क्लब में उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ के रूप में एक और नया सदस्य जुड़ गया है. आज तक मुख्यमंत्री बने ज्यादातर अविवाहित नेता बीजेपी के रहे हैं.
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योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश)
महंत से बीजेपी नेता बने 44 साल के योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार संसद के सदस्य रहे हैं. अब उन्हें उत्तर प्रदेश में बीजेपी की भारी जीत के बाद प्रांत का मुख्यमंत्री बनाया गया है. भारत में पहले से ही कई राज्यों में अविवाहित मुख्यमंत्रियों की लंबी सूची है.
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त्रिवेंद्र सिंह रावत (उत्तराखंड)
लंबे समय तक आरएसएस से जुड़े रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मार्च 2017 में उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद संभाला. मुख्यमंत्री बनने से पहले वह बीजेपी में कई अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं.
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एमएल खट्टर (हरियाणा)
62 साल के खट्टर हरियाणा के मुख्यमंत्री हैं और उत्तराखंड के नये सरकार प्रमुख की तरह वे भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रचारक रहे हैं. बीजेपी आरएसएस का ही राजनीतिक फ्रंट है और आरएसएस के वर्तमान प्रमुख मोहन भागवत ने भी कभी विवाह नहीं किया.
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सर्बानंद सोनोवाल (असम)
पूर्वोत्तर राज्य असम के 54 साल के मुख्यमंत्री सोनोवाल भी अविवाहित हैं. सोनोवाल 2011 में बीजेपी के सदस्य बने और 2016 में सीएम बनाये जाने से पहले वे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में खेल और युवा मामलों के मंत्री भी रहे. बहुत बाद में बीजेपी से जुड़े सोनोवाल ने भी कई पुराने बीजेपी नेताओं की तरह कभी शादी नहीं की.
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नवीन पटनायक (ओडीशा)
बीजू जनता दल के प्रमुख और सन 2000 से राज्य के मुख्यमंत्री रहे 70 साल के नवीन पटनायक हमेशा से अपने वोटरों को कहते आए हैं कि चूंकि उन्होंने शादी नहीं की और उनके बच्चे नहीं हैं, वे अपने राज्य में कांग्रेस की तरह कभी परिवारवाद नहीं चलाएंगे. उनके पिता बीजू पटनायक दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे.
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ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल)
पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी भी अविवाहित गैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं. 2011 में 33 सालों से जारी वामपंथी शासन को समाप्त कर सत्ता में 62 साल की बनर्जी का कहना है कि वे केवल अपने राज्य के बारे में सोचती हैं, इसीलिए उन्हें अपने बारे में सोचने का समय नहीं मिला.
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मायावती (उत्तर प्रदेश)
61 साल की मायावती प्रभु दास चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री मायावती प्रशिक्षित वकील हैं और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख भी. कभी शादी ना करने वाली मायावती अपनी चुनावी रैलियों में कहती आई हैं, "मैं नीची जाति की हूं, अविवाहित हूं, और आपकी हूं."
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जे जयललिता (तमिलनाडु)
देश की जानी मानी राजनेता रहीं स्वर्गीय जे जयललिता पांच बार दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं. कभी विवाह ना करने वाली जयललिता का देहांत दिसंबर 2016 में 68 साल की उम्र में हुआ. अभिनेत्री से नेता बनी जयललिता 1982 में अपने सह अभिनेता से नेता बने एमजी रामचंद्रन की पार्टी में शामिल हुई थीं.
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नोटबंदी व जीएसटी
व्यापार संगठन एसौचैम ने अपने एक ताजा अध्ययन में कहा है कि नोटबंदी और वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) का शादी उद्योग पर 10 से 15 फीसदी असर पड़ सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि शादी में जरूरी विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दर बढ़ने से इन पर होने वाला खर्च बढ़ेगा. इसके चलते कुछ खर्चों में कटौती करनी पड़ सकती है. संगठन ने कहा है कि देश में गोवा के समुद्र तट और राजस्थान के शाही किले शादियों के लिए सबसे पसंदीदा ठिकाने के तौर पर उभरे हैं. कई जानी-मानी विदशी हस्तियां भी शादी करने यहां पहुंच रही हैं. इसी तरह विदेशों में बाली और दुबई जाकर शादी करने वाले भारतीयों की भीड़ लगातार बढ़ रही है.
समाजिक संगठनों का कहना है कि दहेज प्रथा की तमाम बुराइयों के बावजूद देश में शाही शादियों का चलने लगातार बढ़ रहा है. इसकी वजह यह है कि शादियां अब महज एक सामाजिक रस्म ही नहीं रहीं, बल्कि व्यक्ति विशेष के सामाजिक और आर्थिक रुतबे का प्रतीक भी बन गई हैं. ऐसे में आने वाले समय में शादियों के इस कारोबार के लगातार भव्य होने की उम्मीद है.
(पत्नी पाने के लिए जापानी कुंवारे करते हैं ऐसे जतन)
पत्नी पाने के लिए जापानी कुंवारे करते हैं ऐसे जतन
शादी करना तो हर किसी के लिए बड़ा फैसला होता है, लेकिन कहीं कहीं तो ये बहुत मुश्किल भी होता है. जापान के अविवाहित लड़के शादी के लायक बनने के लिए सीखते हैं कुछ खास कौशल भी. जानिए इस अनोखी परंपरा 'इकुमेन' के बारे में.
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शादी की संभावना बढ़े
इसके लिए जापान में युवा अविवाहित लड़के व्यक्तित्व के बाकी गुणों के अलावा कुछ खास गुण भी विकसित कर रहे हैं. इसे 'इकुमेन' कहा जाता है और इसके बाकायदा कोर्स कराए जाते हैं.
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बच्चे पालने की कला
ऐसे युवाओं की शादी की संभावना बढ़ जाती है जिन्हें बच्चे पालने का सलीका आाता हो. जापान में केवल पुरुषों के लिए चलने वाले 'इकुमेन' कोर्स में शिक्षक उन्हें बच्चों को नहलाने, कपड़े बदलने से लेकर महिलाओं की मनोस्थिति और उनका नजरिया समझने की ट्रेनिंग भी देते हैं.
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गर्भ का बोझ
जापान के ओसाका स्थित "इकुमेन यूनिवर्सिटी" नाम की कंपनी ने इसकी शुरुआत की है. कोर्स करने वाले पुरुषों को शरीर पर करीब सात किलो भारी प्रेगनेंसी जैकेट बांध कर अभ्यास कराया गया जिससे उन्हें उस बोझ का अंदाजा लगे जो गर्भवती महिलाएं ढोती हैं.
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महिलाओं की पसंद
शारीरिक बोझ के अलावा होने वाली मानसिक परेशानियों से जूझने के गुर भी सिखाए जाते हैं. जैसे कि संभावित पार्टनर से अच्छा संवाद स्थापित करना और उनकी पसंद नापसंद को समझने का तरीका इत्यादि.
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सर्टिफाइड दूल्हा
पुरुषों से उन गुणों की एक लंबी सूची भरवाई जाती है जिन्हें आम तौर पर महिलाएं नापसंद करती हैं और उन्हें दूर कर पुरुषों को एक तरह का सर्टिफिकेट मिल जाता है कि वे शादी के लिए एक सुयोग्य उम्मीदवार हैं.
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बाजार में मांग
शादी के विज्ञापन देने वाले अखबार, पत्रिकाओं या वेबसाइटों पर लड़कों के परिचय में इस सर्टिफिकेशन का जिक्र करने से उन्हें बाकियों के मुकाबले ज्यादा अहमियत मिलती है. यह दिखाता है कि ना केवल वे शादी और परिवार को संभालने के लायक हैं बल्कि बच्चे संभालने में भी चैंपियन हैं.
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जापान में ही क्यों
हाल में आया एक सर्वेक्षण दिखाता है कि जापान में विवाह योग्य आयु वाले यानी 18 से 34 की उम्र के करीब 70 फीसदी पुरुष और 60 फीसदी महिलाएं अविवाहित हैं. जापान में बुजुर्ग लोगों की तादाद युवाओं और बच्चों के मुकाबले बहुत अधिक है. देश को अगली पीढ़ी की सख्त जरूरत है.