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अरब के शाह को सुनाई खरी खोटी

३० मार्च २००९

अरब लीग सम्मेलन के पहले दिन ही ज़ोरदार ड्रामा हुआ. लीबियाई नेता मुअम्मर गद्दाफी ने लीबियाई नेता मुअम्मर गद्दाफी ने सम्मेलन में सऊदी अरब के शाह अबदु्ल्लाह को खूब खरी खोटी सुनायी.

अरब लीग के पहले ही दिन ड्रामातस्वीर: AP

अरब के शाह अब्दुल्लाह की लानत मलानत करने के बाद गद्दाफी सम्मेलन से निकल गए. सम्मेलन में सबकी निगाहें सूडानी राष्ट्रपति ओमर अल बशीर पर लगी रही. उन पर अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत का गिरफ्तारी वारंट है. लेकिन वो बेरोकटोक ये कहते हुए घूम रहे हैं कि जिसे जो करना है करके देख ले. उन्होंने अरब देशों से भी अपने खिलाफ हुए कथित अन्याय के खिलाफ और आवाज़ उठाने की अपील की. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून भी बैठक में थे. उन्होंने कहा कि सूडान संयुक्त राष्ट्र का सदस्य देश है.

अरब लीग का वार्षिक शिखर सम्मेलन कतार की राजधानी दोहा में शुरू हो चुका है. 22 अरब राष्ट्रों के इस सम्मेलन में अरब दुनिया की आंतरिक समस्याओं पर बात की जाएगी. इस्राएल फिलस्तीन विवाद, सुदान की चरमराती हालत और अरब राष्ट्रों के आंतरिक मतभेद, यह सब इस बार के अहम मुद्दे बन कर उभरेंगे. लेकिन इन मुद्दों से इतर बैठक का पहला दिन तो कहा सुनी और आरोप प्रत्यारोप में बीता.

सम्मेलन में हिस्सा लेने सुडान के राष्ट्रपति ओमर अल बशीर भी आए हैं. अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत ने बशीर के ख़िलाफ़ युद्ध अपराध के मामले में वारंट जारी किया है. बशीर को सुडान में 2003 से जारी भीषण नरसंहार के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया था. बशीर ने सम्मेलन के पहले दिन सारे अरब देशों को अंतराष्ट्रीय अपराध अदालत द्वारा दिए इस वारंट के खिलाफ ठोस प्रस्ताव ज़ारी करने को कहा. उन्होंने दारफूर में विद्रोहियों का साथ देने के लिए इस्राएल को भी कसूरवार ठहराया. सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने भी अपने वक्तव्य में बशीर का साथ देने पर ज़ोर दिया.

वारंट के बावजूद सूडानी राष्ट्रपति बशीर भी सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं.तस्वीर: picture-alliance/ dpa

सम्मेलन में मिस्र के राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक शरीक नही हुए हैं. माना जाता है कि कतर के साथ वैचारिक मतभेद के चलते उन्होंने ऐसा किया है.

सम्मेलन में ईरान के मसले के लेकर पनप रहे आंतरिक मतभेद को सुलझाने की भी कोशिश कि जाएगी. ईरान की बढ़ती ताकत को लेकर अरब देशों में दरारे हैं. कतर के ईरान के साथ अच्छे रिश्ते हैं तो वहीं मिस्र और सऊदी अरब ईरान के एकदम खिलाफ हैं.

खाड़ी देश ईरान को लेकर काफी चिंता में हैं. वे ईरान के परमाणु इरादों को लेकर चिंतित हैं. इरान में जो पारसी होने की जो एक सांस्कृतिक श्रेष्ठता की भावना है, उसे लेकर भी उन्हें आपत्ति है. उन्हें यह भी लगता है कि इस पूरे क्षेत्र के लेकर इरान के भू राजनीतिक इरादे भी हैं, वे मानते हैं कि इरान अपनी और अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित कर अरबियों से फिलिस्तीन का उद्देश्य छीन रहा है. और फिर इस पूरे मतभेद का एक धार्मिक आयाम भी है, इरान के सुन्नी शिया.

अरब देशों की दो दिन की बैठक में एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है जिसके मुताबिक अरब देश आपसी मतभेद भुलाने के लिए संवाद और सुझाव का रास्ता अपनाएंगें. ये ड्राफ्ट सऊदी अरब ने तैयार किया है लेकिन लीबिया के साथ उसके टकरावों को देखते हुए अंतिम नतीजा क्या निकलता है इस पर सबकी निगाहें हैं. गद्दाफी ने बैठक में सऊदी अरब के शाह अबदुल्ला को ब्रिटिश उत्पाद कहकर उनकी खिल्ली उड़ाने की कोशिश की. अरब देशों का ये झगड़ा संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून की मौजूदगी में हुआ. बान की मून सूडान मामले पर खामोश ही रहे. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत अलग अलग संस्थाओं हैं. क्योंकि सूडान यूएन का सदस्य है लिहाज़ा संयुक्त राष्ट्र को उससे मेल मुलाकात करने में परहेज़ नहीं.

रिपोर्ट- एजेंसियां, रति अग्निहोत्री

संपादन- आभा मोंढे

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