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अरब लीग ने सीरिया पर प्रतिबंध लगाए

२८ नवम्बर २०११

ना नुकर और मतभेदों पर लंबी बहस के बाद अरब लीग ने सीरिया पर प्रतिबंध लगाए. मिस्र की राजधानी काहिरा में हुई बैठक में सीरिया की संपत्ति जब्त करने और वहां हो रहे सारे निवेश को रोकने करने पर सहमति बनी.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

22 देशों में से 19 ने सीरिया पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में वोट दिया. तीन देश प्रतिबंध के खिलाफ थे. सीरिया के पड़ोसी इराक और लेबनान ने प्रतिबंधों का विरोध किया. दोनों देश सीरिया के मित्र नहीं हैं लेकिन दोनों का तर्क था कि प्रतिबंधों का सीरिया की जनता पर बुरा असर पडे़गा. रविवार को काहिरा में अरब लीग के विदेश मंत्रियों की बैठक में यह फैसला हुआ.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

कैसे हैं प्रतिबंध

दंडात्मक कदमों के तहत सीरिया के अधिकारियों के अरब देशों में घुसने पर प्रतिबंध लगाया गया है. पाबंदियों के तहत सीरिया सरकार की संपत्ति जब्त करने, उड़ानों को निलंबित करने और निगरानी और अतिआवश्यक मामले में ही सीरिया के सेंट्रल बैंक के साथ लेन देन के नियम है. सीरिया में किसी भी तरह की निवेश योजना को रोक करना भी प्रतिबंध में शामिल है.

यह पहला मौका है जब अरब लीग अपने ही किसी सदस्य देश के खिलाफ कदम उठाया है. सीरिया पर यूरोपीय संघ और अमेरिका पहले ही तमाम तरह के प्रतिबंध लगा चुके हैं. लेकिन अरब लीग की पांबदियों का सीरिया पर सबसे गहरा असर पड़ेगा. सीरिया 50 फीसदी उत्पाद अरब देशों को निर्यात करता है, जबकि अरब देशों से उसका आयात 25 फीसदी है.

एक अरब राजनयिक ने कहा, "यह भी देखना होगा कि किस तरह सीरिया के लोगों पर प्रतिबंधों के असर को कम किया जा सकता है."

तस्वीर: picture-alliance/dpa

सीरिया सरकार अरब लीग के प्रतिबंधों की अहमियत जानती है. सीरिया के आर्थिक मामलों के मंत्री मोहम्मद निदाल अल शार ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "अगर ऐसा होता है तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होगा. इससे सभी को नुकसान होगा."

इससे पहले रविवार दोपहर कतर की अध्यक्षता में हुई बैठक में कुछ देश सीरिया को लेकर नरमी दिखाते नजर आए. अधिकारियों के मुताबिक अल्जीरिया और ओमान प्रतिबंधों की व्यवहारिकता पर ही सवाल उठा दिए. दोनों देशों को लगता है सीरिया सरकार से ज्यादा वहां के लोगों पर प्रतिबंधों के नकारात्मक असर बहुत बुरे ढंग से पड़ेगा.

क्यों लगे प्रतिबंध

सीरिया को अरब लीग पहले ही अल्टीमेटम दे चुकी थी. अल्टीमेटम में कहा गया कि सीरिया को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा बंद करनी होगी. सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद ने पहले अरब लीग से कहा कि वह सैन्य कार्रवाई रोकने को तैयार है. बाद में असद अपनी बात से पलट गए. इसके बाद अरब लीग ने सीरिया को निलंबित कर दिया.

इससे पहले शनिवार और रविवार को खाड़ी के देशों ने अपने नागरिकों को सीरिया छोड़ने की सलाह दी है. बहरीन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात ने अपने नागरिकों से सीरिया से दूर रहने को कहा है. दोहा में कतर के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर अपने नागरिकों से 'जितनी जल्द हो सके' सीरिया छोड़ने को कहा. अबु धाबी ने भी लोगों से सीरिया जाने की योजनाएं टालने को कहा है.

सीरिया में बीते हाथ महीने से राष्ट्रपति बशर अल असद और उनकी सत्ता के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. असद पर प्रदर्शनकारियों को बर्बर ढंग से कुचलने के आरोप लग रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक बीते आठ महीनों में सीरिया में 3,500 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.

असद के खिलाफ देश के जिस भी छोटे बड़े शहर, कस्बे या गांव में प्रदर्शन हो रहा है वहां सेना कार्रवाई कर रही है. देश के उत्तरी इलाके के कई गांवों में सेना टैंकों तक का इस्तेमाल कर चुकी है. लेकिन इसके बावजूद असद के खिलाफ प्रदर्शन थम नहीं रहे हैं.

रिपोर्ट: एएफपी, रॉयटर्स/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन

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