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अरब वसंत के लीडरों को सखारोव पुरस्कार

२७ अक्टूबर २०११

मानवाधिकारों के लिए यूरोपीय संसद द्वारा दिया जाने वाला सखारोव पुरस्कार इस बार अरब वसंत की अगुआई करने वाले पांच कार्यकर्ताओं को दिया जा रहा है. उनमें दो महिलाएं और तीन पुरुष हैं.

संसदीय दल के नेताओं द्वारा लिए गए फैसले के बाद संसद अध्यक्ष जैर्जी बूजेक ने कहा, "यह अरब दुनिया के साथ हमारी एकजुटता का संकेत है." उन्होंने कहा कि यूरोपीय संसद द्वारा दिए जाने वाले इस सबसे महत्वपूर्ण पुरस्कार के साथ उन लोगों के प्रति अपना सम्मान दिखा रहे हैं जिंहोंने हमारे पड़ोस में स्थिति बदल दी है.

पुरस्कार विजेताओं में मिस्र की 26 वर्षीया असमा महफूज, लीबिया के अहमद अल जुबैर अहमद अल सानूसी, सीरिया की वकील रजान जैतूनेह और कार्टूनिस्ट अली फरजत शामिल हैं. ट्यूनीशिया के मोहम्मद बुआजीजी को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया जा रहा है. उन्होंने 2010 में आत्मदाह कर लिया था. उसके बाद ही उनके देश में विद्रोह शुरू हो गया.

अरब वसंत के नाम से जाने वाली क्रांतियां ट्यूनीशिया में जन प्रदर्शनों के साथ शुरू हुई. उसके परिणामस्वरूप 2011 में ट्यूनीशिया के शासक जिने अल अबीदीन बेन अली सउदी अरब भाग गए. उसके बाद विरोध प्रदर्शन पहले अल्जीरिया में और उसके बाद मिस्र में फैल गया. फरवरी में कई सप्ताह के प्रदर्शनों के बाद मिस्र में राष्ट्रपति होस्नी मुबारक का पतन हो गया. लीबिया में तानाशाह मुअम्मर अल गद्दाफी की मौत के साथ वहां कई महीनों से चल रहा सत्ता संघर्ष समाप्त हुआ. यमन, बहरीन, जॉर्डन या सीरिया जैसे कई दूसरे अरब देशों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं.

मॉस्को वापसी पर सखारोवतस्वीर: picture alliance/dpa

50,000 यूरो की पुरस्कार राशि वाला सखारोव पुरस्कार 14 दिसंबर को विजेताओं को स्ट्रासबुर्ग में प्रदान किया जाएगा. यह पुरस्कार सोवियत युग के सरकार विरोधी और नोबेल पुरस्कार विजेता आंद्रेई सखारोव के सम्मान में 1988 से दिया जाता है.

भौतिकशास्त्री आंद्रेई सखारोव को सोवियत परमाणु बम के जनकों में गिना जाता है. अपनी अंतरराष्ट्रीय ख्याति का इस्तेमाल कर उन्होंने 70 के दशक में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक समिति का गठन किया. 1975 में उन्हें सरकार विरोधियों की मदद के प्रयासों के लिए नोबेल पुरस्कार मिला लेकिन इसने उन्हें सोवियत संघ में सरकार का दुश्मन नंबर एक बना दिया. 1979 में उन्हें मॉस्को से निष्कासित कर दिया गया और अंत में उन्हें जेल भेज दिया गया. 1986 में उनका पुनर्वास हुआ, लेकिन तीन ही साल बाद दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.

50,000 यूरो की पुरस्कार राशि वाला सखारोव पुरस्कार उन व्यक्तियों या संगठनों को दिया जाता है जो मानवाधिकारों के लिए और दमन के खिलाफ लड़ते हैं. अब तक पुरस्कार विजेताओं में दक्षिण अफ्रीका के नेल्सन मंडेला (1988), चीन के नागरिक संघर्षकर्ता हू जिया (2008) और क्यूबा के सरकार विरोधी गिलेर्मो फरिनास (2010) शामिल हैं.

रिपोर्ट: डीपीए/महेश झा

संपादन: ओ सिंह

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