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अरविंद केजरीवाल साबित करेंगे बहुमत

२ जनवरी २०१४

दिल्ली में करिश्मे की तरह कौंधने वाले अरविंद केजरीवाल का पहला इम्तिहान होने वाला है, जब उन्हें आज सरकार का विश्वासमत हासिल करना है. आप पार्टी की सरकार अल्पमत की है और किसी पार्टी से औपचारिक गठबंधन नहीं हुआ है.

तस्वीर: RAVEENDRAN/AFP/Getty Images

पूरी राजनीति कांग्रेस और बीजेपी के विरोध के दम पर करने वाले अरविंद केजरीवाल को आज इन्हीं दोनों पार्टियों में से किसी एक का सहारा लेना होगा. दिल्ली विधानसभा में 70 सीटें हैं और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के पास सिर्फ 28. यानी बहुमत से आठ विधायक कम. हालांकि मुख्यमंत्री बनने के बाद केजरीवाल ने विश्वासमत को "बहुत छोटी बात" कहा था, "विश्वासमत गिरे या विश्वासमत पास हो, ये बहुत छोटी बात है, हम देश को बचाने के लिए चले हैं. अगर विश्वासमत गिरेगा, हम जनता के बीच में वापस आ जाएंगे. जनता अगले चुनाव के लिए तैयार है."

कौन देगा समर्थन

कांग्रेस ने संकेत दिया है कि वह आम आदमी पार्टी को समर्थन देगी, हालांकि विश्वासमत के बारे में उसका कोई बयान खुल कर नहीं आया है. पहली बार जब आप ने 18 शर्तें सामने रखी थीं, तो कांग्रेस के कई नेता भड़क गए थे लेकिन बाद में उन्होंने 16 शर्तों को मान लेने की बात कही थी. फिर भी किसी औपचारिक जगह पर दोनों पार्टियों की बातचीत नहीं हुई है और 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित सार्वजनिक तौर पर कह चुकी हैं, "हम बिना शर्त समर्थन नहीं दे रहे हैं." कांग्रेस के पास आठ विधायक हैं, जिनके समर्थन से आप पार्टी को 36 विधायकों का समर्थन हो जाएगा, जो सामन्य बहुमत है.

जहां तक बीजेपी का सवाल है, 31 सीटों के साथ वह दिल्ली विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है. लेकिन संख्याबल में पांच की कमी रहने के बाद उसने सरकार नहीं बनाने का फैसला किया है. बीजेपी ने कहा है कि वह विपक्ष में बैठेगी. लेकिन विश्वासमत के दौरान उसका क्या रुख होगा, इस पर उसने कोई टिप्पणी नहीं की है.

भ्रष्टाचार के खिलाफ

दो साल पहले अन्ना हजारे के आंदोलन से उभरे अरविंद केजरीवाल ने पिछले साल एक राजनीतिक पार्टी का गठन किया और साल भर में वह मुख्यमंत्री के पद तक पहुंच गए. उन्होंने अपना सारा ध्यान कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ समान रूप से आवाज उठाने में लगाया और बार बार कहा कि "ये दोनों पार्टियां भ्रष्ट हैं और वे इनसे समर्थन न लेंगे न देंगे." लेकिन आखिरकार उन्हें इनमें से किसी एक के मौन स्वीकृति की जरूरत पड़ने वाली है. केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ खास तौर पर मुहिम चलाई है.

मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए भी उन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों को सचेत किया और वहां जमा जनता से कहा, "आप अगर किसी दफ्तर में जाएं और अगर कोई आपसे पैसे मांगे, तो मना मत करना. उससे सेटिंग कर लेना. हम आपको एक फोन नंबर देंगे. दो दिन के अंदर नंबर एलान कर देंगे. आप तुरंत फोन नंबर पर बता देना और हम सभी रिश्वत लेने वालों को रंगे हाथों पकड़वाएंगे." केजरीवाल शपथ लेने के लिए दिल्ली मेट्रो पर सवार होकर रामलीला ग्राउंड पहुंचे थे. उन्होंने अपने और दिल्ली के दूसरे मंत्रियों के लिए निजी सुरक्षा और लाल बत्ती की गाड़ियां लेने से भी इनकार कर दिया. विश्लेषक इसे भारतीय राजनीति में आया "भूचाल" बता रहे हैं.

आप को वादों पर भरोसातस्वीर: RAVEENDRAN/AFP/Getty Images

वादों पर अमल

मुख्यमंत्री बनने के तीन चार दिन के अंदर केजरीवाल ने कुछ बड़े वादों को पूरा कर दिया है, जिनमें बिजली और पानी का प्रमुख वादा शामिल है. उन्होंने दिल्ली में प्रतिदिन औसत 700 लीटर पानी मुफ्त देने का वादा पूरा किया है, जबकि बिजली की दर भी आधी कर दी गई है. हालांकि फिलहाल इसे सरकार की तरफ से सब्सिडी के तौर पर दिया जा रहा है. केजरीवाल ने विश्वासमत हासिल करने से पहले ही बिजली कंपनियों के ऑडिट के आदेश दे दिए हैं. आप ने अपने फेसबुक पेज पर मुख्यमंत्री के हवाले से लिखा है कि सीएजी बिजली कंपनियों के ऑडिट करने को तैयार है, "खराब सेहत के बावजूद केजरीवाल ने सीएजी शशिकांत शर्मा से मुलाकात की और बिजली कंपनियों के ऑडिट पर बात की, जो हमारे घोषणापत्र में मुख्य वादा रहा है."

दिल्ली के बाद आप की नजर इस साल होने वाले आम चुनावों पर लगी है. पार्टी पहले ही कह चुकी है कि वह लोकसभा चुनाव में हिस्सा लेगी और उसने अलग अलग राज्यों में कैडरों को तैयार करने की शुरुआत कर दी है. सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से सक्रिय आप ने उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों के लिए फेसबुक पेज बना दिए हैं और मुख्यमंत्री से लेकर दूसरे बड़े नेताओं के बयान वहां सार्वजनिक कर रही है.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ

संपादनः महेश झा

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