"भारत में कोरोना की आड़ में हो रहा है धार्मिक भेदभाव"
जॉन सिल्क
१८ अप्रैल २०२०
भारतीय उपन्यासकार और एक्टिविस्ट अरुंधति रॉय का कहना है कि भारत सरकार कोविड-19 का फायदा उठा कर मुसलमानों का दमन बढ़ा रही है. रॉय ने इन तरीकों की तुलना होलोकॉस्ट के दौरान नाजी जर्मनी में यहूदियों से हुए बर्ताव से की है.
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लेखिका और राजनीतिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने भारत सरकार पर आरोप लगाया है कि वह कोरोना के संक्रमणकाल का इस्तेमाल हिन्दू और मुसलमानों के बीच तनाव को भड़काने के लिए कर रही है. डीडब्ल्यू से बातचीत में रॉय ने कहा कि हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार अपनी इस कथित रणनीति को "इस बीमारी के साथ जोड़ कर कुछ और बनाने की कोशिश में है जिसे लेकर विश्व को अपनी नजर बनाए रखनी चाहिए." रॉय ने आगे बताया कि "स्थिति जनसंहार की ओर बढ़ रही है.” रॉय ने कहा, "मुझे लगता है कि कोविड-19 के चलते भारत के बारे में ऐसी कई चीजें उजागर हो गई हैं जो हम पहले से जानते थे." भारत के बारे में उनका कहना है कि "हम केवल कोविड ही नहीं बल्कि नफरत और भूख का संकट झेल रहे हैं."
भारत के करीब 1.3 अरब लोग इस समय छह सप्ताह लंबे देशव्यापी लॉकडाउन में हैं. जॉन्स हॉपकिन्स इंस्टीट्यूट के अनुसार, दुनिया के दूसरे सबसे बड़ी आबादी वाले देश में अब तक नोवेल कोरोना वायरस के 13,835 मामले सामने आए हैं और इसके कारण 452 जानें गई हैं. भारत को अकसर उन देशों में गिना जाता है जहां आधिकारिक आंकड़ों और संक्रमितों की असल तादाद में काफी अंतर है. रॉय ने कहा, "मुसलमानों के खिलाफ इस तरह की घृणा सामने आने से पहले हमने दिल्ली में हुआ जनसंहार देखा था, जो कि लोगों के मुस्लिम-विरोधी नागरिकता कानून का विरोध करने का नतीजा था.” रॉय ने कहा, "कोविड-19 की आड़ में सरकार युवा छात्रों को गिरफ्तार कर रही है, वकीलों, वरिष्ठ संपादकों, एक्टिविस्टों और बुद्धिजीवियों के खिलाफ के खिलाफ केस दायर रही है. कुछ को तो हाल ही में जेल में डाला गया है."
विवादास्पद टाइफस से की तुलना
रॉय का मानना है कि सरकार वायरस का इस्तेमाल कुछ उस तरह से कर रही है जिससे होलोकॉस्ट के दौर में नाजियों के हथकंडों की याद ताजा हो जाती है. उन्होंने कहा, "जिस आरएसएस संगठन [राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ] से खुद मोदी आते हैं और जो बीजेपी की मातृ संस्था है, उसका हमेशा से कहना रहा है कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र होना चाहिए.” रॉय ने बताया कि "इसके विचारक भारत के मुसलमानों को जर्मनी के यहूदियों जैसा मानते हैं. और अगर आप देखें कि जिस तरह से वे कोविड का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो ये वैसा ही है जैसा टाइफस का इस्तेमाल यहूदियों के खिलाफ उन्हें अलग थलग करने और कलंकित करने के लिए हुआ था."
भारत में 24 मार्च से अगले 21 दिनों के लिए लॉकडाउन है लेकिन उसके अगले दिन 25 मार्च से ही लोग पैदल अपने गांवों और कस्बों की तरफ जाने लगे. यह सिलसिला जारी है. देखिए...किस तरह से लोग जान जोखिम में डाल कर सफर कर रहे हैं.
तस्वीर: DW/A. Ansari
घर जाने की बेताबी क्या होती है जरा इन लोगों से पूछिए. यह समूह किसी भी तरह से अपने घर, अपने गांव जाना चाहता है. जिंदगी को लॉकडाउन से बचाने लोग सिर पर गठरी और गोद में बच्चा लिए निकल पड़े हैं.
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परेशान हाल मजदूर और उनके परिवार पिछले कुछ दिनों से इसी तरह से बदहवास हैं, पहले जनता कर्फ्यू और उसके बाद 21 दिनों का लॉकडाउन. उन्हें कोई भी गाड़ी नजर आती है तो वे उसे रुकने का इशारा करते हैं.
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कुछ लोगों के पैरों में चलते-चलते छाले पड़ गए हैं. हाथों में एक बैग है. पानी-बिस्कुट के सहारे वह सफर तय करना चाहते हैं.
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मुंबई, अहमदाबाद, सूरत, गुड़गांव, दिल्ली, नोएडा में हजारों लोग किसी तरह से अपने घरों को पहुंचना चाहते हैं. वे कहते हैं कि शहर में अब रहकर क्या करना जब कोई काम ही नहीं है.
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कई लोगों का कहना है कि वे पिछले कुछ दिनों से भरपेट खाना नहीं खा पाए हैं. उन्होंने बताया कि वे जहां काम करते थे, वहां से उन्हें पांच-पांच सौ रुपये देकर जाने को कह दिया गया.
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यह परिवार नोएडा में रहता था, लेकिन तालाबंदी की वजह से उसके पास काम नहीं है और ना ही इतने पैसे कि आगे का खर्च निकल पाए. इसलिए पति-पत्नी ने झांसी के लिए पैदल ही चलने का फैसला किया.
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कुछ दिनों पहले तक यह लोग इस शहर का हिस्सा हुआ करते थे, लेकिन अब उन्हें इस शहर में अपना भविष्य नजर नहीं आता है. वे कहते हैं, “कोरोना से पहले, हमें भूख मार डालेगी.“
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कई प्रवासी मजदूर छोटे बच्चे और महिलाओं के साथ सफर कर रहे हैं. सफर में जंगल से भी गुजरना होगा और सुनसान हाइवे से भी. खतरों के साथ उन्हें सैकड़ों किलोमीटर सफर तय करना है.
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जो लोग अपने गांवों के लिए निकले हैं, उनके पास खाने-पीने का पर्याप्त इंतजाम नहीं है. ऐसे में कुछ लोग उन्हें खाने के पैकेट देकर मदद कर रहे हैं.
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राज्य सरकारों ने ऐसे लोगों के खाने पीने का इंतजाम किया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए बसों का इंतजाम किया है. दिल्ली सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे जहां हैं, वहीं रहें.