अरुणाचल के सबसे पूर्वी छोर पर ऐसे पहुंचा मोबाइल व इंटरनेट
७ अगस्त २०२०देश के पूर्वोत्तर में चीन और म्यांमार से सटे अरुणाचल प्रदेश के विजय नगर इलाके तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी शहर से आठ दिनों तक जंगल और पहाड़ों से होकर पैदल चलना पड़ता है. वहां तक कोई सड़क नहीं है. लेकिन अब इलाके में पहली बार मोबाइल और इंटरनेट नेटवर्क पहुंच गया है. हालांकि है यह 2 जी नेटवर्क ही, लेकिन इलाके की बेहद दुर्गम भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह बेहद अहम है. मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने अपने एक ट्वीट में कहा है, "विजयनगर अरुणाचल के सुंदर शहरों में से एक है. इस सीमावर्ती इलाके में मोबाइल पहुंचना अहम उपलब्धि है.” चांगलांग जिले के उपायुक्त देवांश यादव कहते हैं, "यहां मोबाइल टावर की स्थापना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.”
दुर्गम भौगोलिक स्थिति
पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थिति और बनावट कुछ ऐसी है कि इसकी अंतरराष्ट्रीय सीमाएं चीन और म्यांमार से मिलती हैं. राज्य में अब भी कई दुर्गम इलाके ऐसे हैं जहां सड़कें नहीं बनी हैं. राज्य में चांगलांग जिले का विजयनगर ऐसा ही इलाका है. म्यांमार की सीमा के पास यह आखिरी इंसानी बस्ती है. यह जिले का सबसे दूर बसा और दुर्गम इलाका है. विजयनगर तीन ओर से म्यामांर और एक ओर से नामडाफा नेशनल पार्क से घिरा है.
केंद्र सरकार ने 1960 के दशक में असम राइफल्स के दौ से ज्यादा सेवानिवृत्त गोरखा जवानों के परिवारों को विजय नगर में बसाया था. अब इलाके में गोरखा और लीसू जनजाति के लोग ही यहां रहते हैं. इस सर्किल में कुल 16 गांव हैं और उनका मुख्यालय विजय नगर है. तब इलाके में एक सड़क थी जो बाद में बारिश और भूस्खलन के चलते ढह गई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 1961 में मेजर जनरल एएस गुराया के नेतृत्व में इलाके में पहुंचे असम राइफल्स के एक अभियान दल ने सामरिक रूप से अहम इलाके में भारतीय तिरंगा फहराया था. इलाके का नाम पहले जाहू-नातू था जिसे मेजर जनरल के पुत्र के नाम पर बाद में बदल कर विजयनगर कर दिया गया.
विजयनगर तक पहुंचने के लिए फिलहाल कोई सड़क नहीं है. सिर्फ वायु मार्ग से या पैदल ही यहां तक पहुंचा जा सकता है. नजदीकी शहर औ सब-डिवीजनल मुख्यालय मियाओ से यहां तक पहुंचने के लिए सात दिनों तक पैदल चलना पड़ता है. फिलहाल मियाओ से विजयनगर के बीच 157 किमी लंबी सड़क को बनाने का काम चल रहा है. लेकिन दुर्गम पहाड़ी इलाका होने की वजह से कई बार सड़क की डिजाइन में बदलाव करना पड़ा है. बरसात के सीजन में भूस्खलन की वजह से रास्ता बदल जाता है.
वायु सेना ने बीते साल विजय नगर में एक रनवे का उद्घाटन किया था. लेकिन ऊंची पहाड़ियों और तेजी से बदलने वाले मौसम की वजह से यहां विमान उतारना सख्त चुनौती है. राज्य में बीएसएनएल के महाप्रबंधक ए. सिराम बताते हैं, "विजयनगर इलाके में मौसम का मिजाज पल-पल बदलता रहता है. कई बार तो उड़ान भरने तक सब ठीक होता है. लेकिन विमान में सामान लोड करने के दौरान ही मौसम बिगड़ जाता है. यही वजह है कि मोबाइल टावर लगाने वाली टीम को विजयनगर जाने के लिए एक महीने तक अनुकूल मौसम का इंतजार करना पड़ा.”
सौर ऊर्जा से चलेगा मोबाइल टावर
यह जान कर हैरत हो सकती है कि 21वीं सदी के दो दशक बीत जाने के बावजूद इस इलाके में अब तक मोबाइल या इंटरनेट नहीं पहुंचा था. लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीएसएनएल, राज्य सरकार और भारतीय वायु सेना के साझा प्रयासों की वजह से यह इलाका अब मोबाइल औऱ इंटरनेट से जुड़ गया है. विजयनगर में मोबाइल टावर की स्थापना के लिए भारतीय वायु सेना के एक एएन-31 विमान से बीते सप्ताह पांच मजदूरों, दो सौर ऊर्जा तकनीशियनों और बीएसएनएल के दो कर्मचारियों को इलाके में पहुंचाया गया था. इलाके में बिजली भी नहीं है. इसलिए यहां मोबाइल टावर चलाने के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा रहा है. सौर ऊर्जा पैनल अरुणाचल प्रदेश ऊर्जा विकास एजेंसी ने विकसित किया है.
विजयनगर की आबादी बमुश्किल 4,400 है. खेती ही इलाके के लोगों की रोजी-रोटी का प्रमुख जरिया है. कुछ लोग मुर्गीपालन के धंधे से भी जुड़े हैं. इलाके में महज एक स्वास्थ्य केंद्र और दो स्कूल हैं. कोई कालेज नहीं होने की वजह से इलाके के छात्रों को दसवीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए मियाओ जाना पडता है. इलाके में राशन और दूसरी जरूरी चीजों की सप्लाई वायु सेना के विमानों से की जाती है.
जिला उपायुक्त देवांश यादव बताते हैं, "यहां मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं पहुंचने से इलाके में तैनात सुरक्षा बलों, पुलिस और सरकारी अधिकारियों को काफी सहूलियत हो जाएगी. देवांश यादव बताते हैं, "इस मोबाइल सेवा से इलाके के लोगों का जीवन काफी आसान हो जाएगा. पहले यहां एकाध निजी वीसेट के जरिए 2 जी इंटरनेट कनेक्शन मिलता था. लेकिन अब सोलर पावर वाले टावर की वजह से सामान्य कनेक्शन मिलने लगेगा.” उनका कहना है कि पहले आपात मेडिकल सेवाओं के लिए हेलीकाप्टर बुलाने या बाहर रहने वाले अपने परिजनों से बात करने में लोगों को भारी दिक्कत होती थी. विजयनगर के कई लोग सब-डिवीजन मुख्यालय मियाओ में रहते हैं. वह कहते हैं, "कोरोना महामारी के ऑनलाइन पढ़ाई के दौर में छात्रों को इस सेवा से काफी फायदा होगा. अब तक यह संभव नहीं था. इसके अलावा लोग विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे.”
जिला उपायुक्त ने बताया कि इलाके में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़क बनाने का काम हो रहा है. इसके पांच में से दो चरण पूरे हो गए हैं. अरुणाचल पूर्व के सांसद तापिर गाओ कहते हैं, "विजयनगर देश के बाकी हिस्सों से एकदम अलग-थलग है. यहां न तो सड़क है औऱ न ही बिजली. सौर ऊर्जा से कुछ काम होता है. लेकिन इलाके में सोलर पैनल लगाने का कुछ काम बाकी है. बीएसएनएल का मोबाइल टावर अब विजयनगर की जीवनरेखा बन गया है.”
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore