जापान में आयोजित दो दिवसीय जी-7 सम्मेलन आतंकवाद, वैश्विक शांति और विकास के लिए चुनौतियों से निपटने के एक्शन प्लान की घोषणा के साथ खत्म हुआ. शरणार्थी संकट पर हुई खास चर्चा.
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दुनिया के प्रमुख औद्योगिक देशों के समूद जी-7 के नेताओं ने मंद पड़ती अर्थव्यवस्थाओं में तेजी लाने के लिए नीतियां बनाने की "विशेष जिम्मेदारी" उठाने का प्रण लिया. लेकिन सम्मेलन में जारी इस घोषणा पत्र में उपभोक्ता खर्चे में आई कमी और व्यावसायिक निवेश को बढ़ाने के लिए किए जाने वाले किसी ठोस उपाय का जिक्र नहीं था.
इस बार जी-7 के मेजबान देश जापान में ही इस खर्च को बढ़ाए जाने के मु्द्दे पर गंभीर संकट दिखता है. जापान में सार्वजनिक ऋण देश की अर्थव्यवस्था के दोगुने से भी अधिक है. जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने सभी पार्टनर देशों से कहा कि वे उनकी आर्थिक नीति का समर्थन करें. आबे-नॉमिक्स कही जाने वाली इस नीति की तीन प्रमुख बातें हैं - बेहद लचीली मौद्रिक नीति, सार्वजनिक खर्च और दीर्घकालिक सुधार. इस मौके पर आबे ने कहा, "हम 'आबेनॉमिक्स' के पूरी दुनिया में लागू करेंगे." .
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टीने लगार्द ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि ऐसे तीन आयामी दृष्टिकोण पर सहमति बनी है. लगार्द ने बताया, "कई देश बहुत कुछ कर सकते हैं, वहीं कुछ केवल वर्तमान स्तर से थोड़ा और ज्यादा कर सकते हैं." ऐसे में आईएमएफ इस पर ध्यान देगा कि धीमी वृद्धि दर के लिए कौन से देश क्या कर सकते हैं.
जहां आबे ने मौजूदा स्थितियों को देखते हुए एक बार फिर 2008 जैसे आर्थिक संकट के पैदा होने की आशंका जताई. वही लागार्द ने ऐसी संभावना को हल्के से लेते हुए कहा, "हम उस (2008 के) संकट से बाहर आ चुके हैं लेकिन उसके दुष्प्रभावों से गुजर रहे हैं."
जी-7 के सालाना सम्मेलन में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका जुटते हैं. इन दो दिनों की बैठक के बाद विकासशील देशों के कुछ चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय संगठन वहीं "आउटरीच" सेशन में हिस्सा लेते हैं.
जी-7 में ब्रिटेन के ईयू से बाहर होने की आशंका पर भी चर्चा की. यूके में 23 जून को वोटिंग होनी है जिसके नतीजे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकते हैं. ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने अपना मत साफ किया कि ईयू में रहना "पूरी तरह से ब्रिटेन के राष्ट्रीय हित" में होगा.
भ्रष्टाचार, साइबर अपराध, आतंकवाद, वैश्विक स्वास्थ्य और यूरोपीय देशों का बड़ा सिरदर्द बन चुके आप्रवासन के मुद्दे पर जी-7 में खास तौर पर चर्चा हुई. तय हुआ कि शरणार्थियों और विस्थापितों की ऐसी बाढ़ से निपटने के लिए एक वैश्विक प्रतिक्रिया की जरूरत है. समूह ने दोहराया कि वे सभी फौरी और दीर्घकालीन जरूरतों को पूरा करने में मदद के लिए तैयार हैं. लेकिन इस अतिरिक्त मदद के बारे में किसी ठीक ठीक योजना या उपाय की बात नहीं हुई.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुक्रवार को शीमा से हिरोशिमा की यात्रा की. पहली बार कोई अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर रहते हुए हिरोशिमा गया है.
हिरोशिमा और नागासाकी
जापानी शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर 1945 में हुए परमाणु हमले अब तक अकेले परमाणु हमले हैं. दुनिया भर में बढ़ती हिंसा के बीच जापानी शहरों पर परमाणु हमले मानव सभ्यता के लिए चेतावनी है.
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कयामत
6 अगस्त 1945. जापानी समय के अनुसार सुबह के 8 बजकर 15 मिनट. हिरोशिमा शहर के केंद्र से 580 मीटर की दूरी पर परमाणु बम का विस्फोट हुआ. शहर का 80 प्रतिशत हिस्सा इस विस्फोट की चपेट में आया. जैसे नाभिकीय आग का गोला फूटा हो जिसमें लोग, जानवर और पौधे जल गए. मलबे में तब्दील शहर और लोगों की त्रासदी के बीच मानव सभ्यता को एक नया प्रतीक मिला, परमाणु बम का कुकुरमुत्ते जैसा गुबार.
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फैसला
जर्मनी द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान का पराजित साथी था. उसने मई में ही समर्पण कर दिया था.जुलाई 1945 में अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन युद्ध के बाद की स्थिति पर विचार करने के लिए जर्मनी के पोट्सडम शहर में मिले. प्रशांत क्षेत्र में युद्ध समाप्त नहीं हुआ था. जापान अभी भी मित्र देशों के सामने समर्पण करने से इंकार कर रहा था.
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लिटल बॉय
पोट्सडम में ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन को यह खबर मिली कि न्यू मेक्सिको में परमाणु बम का परीक्षण सफल रहा है और लिटल बॉय नाम का बम प्रशांत क्षेत्र की ओर भेजा जा रहा है. परमाणु बम के इस्तेमाल की तैयारी पूरी हो चुकी थी और पोट्सडम में ही ट्रूमैन और चर्चिल के बीच इस बात पर सहमति बनी कि यदि जापान फौरन बिना शर्त हथियार डालने से इंकार करता है तो उसके खिलाफ परमाणु बम का इस्तेमाल किया जाएगा.
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इनोला गे
जापान के समर्पण नहीं करने पर हिरोशिमा पर हमले के लिए पहली अगस्त 1945 की तारीख तय की गई. लेकिन तूफान के कारण इस दिन हमले को रोक देना पड़ा. पांच दिन बाद इनोला गे विमान 13 सदस्यों वाले कर्मीदल लेकर हमले के लिए रवाना हुआ. लड़ाकू विमान के कर्मियों को उड़ान के दौरान पता लगा कि उन्हें लक्ष्य पर परमाणु बम गिराना है
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भारी नुकसान
कहते हैं कि परमाणु बम हमले के बाद हिरोशिमा के ढाई लाख निवासियों में 70-80 हजार की फौरन मौत हो गई. धमाके के कारण पैदा हुई गर्मी में पेड़ पौधे और जानवर भी झुलस गए. इस इमारत को छोड़कर कोई भी इमारत परमाणु बम की ताकत को बर्दाश्त नहीं कर पाई. यह इमारत थी धमाके से 150 मीटर दूर शहर के वाणिज्य मंडल की. लकड़ी के बने कुछ पुराने मकान परमाणु हमले और उसके बाद हुई तबाही की दास्तान सुनाने के लिए बच गए.
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हमले के शिकार
हिरोशिमा में परमाणु धमाके के आस पास के लोगों के लिए मौत से बचने की कोई गुंजाइश नहीं थी. दूर में जो बच गए उनका शरीर बुरी तरह जल गया था. जलने, विकिरण का शिकार और घायल होने के कारण लोगों का मरना कई दिनों और महीनों में भी जारी रहा. यह महिला सौभाग्यशाली रही, बच गई लेकिन गर्मी की वजह से शरीर पर कपड़ा चिपक गया. पांच साल बाद परमाणु हमलों में मरने वालों की संख्या 230,000 आंकी गई.
दूसरा हमला
हिरोशिमा पर हुए हमले के बावजूद जापान समर्पण के लिए तैयार नहीं था. संभवतः अधिकारियों को हिरोशिमा में हुई तबाही की जानकारी नहीं मिली थी, लेकिन उसके तीन दिन बाद अमेरिकियों ने नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया. पहले क्योटो पर हमला होना था लेकिन अमेरिकी रक्षा मंत्री की आपत्ति के बाद नागासाकी को चुना गया. फैट मैन नामका बम 22,000 टन टीएनटी की शक्ति का था. हमले में करीब 40,000 लोग तुरंत मारे गए.
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सामरिक चुनाव
नागासाकी 1945 में मित्सुबिशी कंपनी के हथियार बनाने वाले कारखानों का केंद्र था. नागासाकी के बंदरगाह पर उसका जहाज बनाने का कारखाना था. एक अन्य कारखाने में टारपीडो बनाए जाते थे जिनसे जापानियों ने पर्ल हार्बर में अमेरिकी युद्धपोतों पर हमला किया था. शहर में बहुत ज्यादा जापानी सैनिक तैनात नहीं थे, लेकिन युद्धपोत बनाने वाले कारखाने के छुपे होने के कारण उस पर सीधा हमला करना संभव नहीं था.
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समर्पण
नागासाकी पर परमाणु हमले के एक दिन बाद जापान के सम्राट हीरोहीतो ने अपने कमांडरों को देश की संप्रभुता की रक्षा की शर्त पर मित्र देशों की सेना के सामने समर्पण करने का आदेश दिया. मित्र देशों ने शर्त मानने से इंकार कर दिया और हमले जारी रखे. उसके बाद 14 अगस्त को एक रेडियो भाषण में सम्राट हीरोहीतो ने प्रतिद्वंद्वियों के पास "अमानवीय" हथियार होने की दलील देकर बेशर्त समर्पण करने की घोषणा की.
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स्मारक
औपचारिक रूप से युद्ध 12 सितंबर 1945 को समाप्त हो गया. लेकिन हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु हमलों का शिकार होने वालों की तकलीफ का अंत नहीं हुआ है. इस तकलीफ ने जापान के बहुमत को युद्धविरोधी बना दिया है. हमले में बच गया हिरोशिमा के वाणिज्य मंडल की इमारत का खंडहर आज युद्ध और परमाणु हमले की विभीषिका की याद दिलाने के लिए स्मारक का काम करता है.
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भयावह यादें
अगस्त 1945 के हमले के बाद से दुनिया भर के लोग इस हमले की याद करते हैं. हिरोशिमा में बड़ी स्मारक सभा होती है जहां दुनिया को चेतावनी देने जीवित बचे लोगों के अलावा राजनीतिज्ञ और दुनिया भर के मेहमान भी आते हैं. बहुत से जापानी अब परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए सक्रिय हैं. ध्वस्त हिरोशिमा की तस्वीर के सामने सहमे हुए पिता-पुत्री.