अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा
२५ मई २०२२![Indien Neu Delhi | Gericht verkündet lebenslange Haftstrafe für Separatistenführer Yasin Malik](https://static.dw.com/image/61931657_800.webp)
सजा सुनाए जाने के बाद श्रीनगर में यासीन मलिक के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. पुलिस ने पत्थर फेंक रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले और पैलेट गन से गोलियां दागी हैं.
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख मलिक ने इससे पहले नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए के लिए गठित विशेष अदालत से कहा था कि वह 1990 के दशक में हथियार छोड़ने के बाद गांधीवादी सिद्धांतों पर चल रहे हैं और कश्मीर में अहिंसक राजनीति में शामिल हैं.
यासीन मलिक की बीवी मुशाल हुसैन मलिक ने कहा कि उन्हें सुनाई गई सजा उचित नहीं है. मुशाल मलिक ने ट्वीटर पर लिखा है, "भारतीय कंगारू कोर्ट ने मिनटों में फैसला कर दिया. प्रतिष्ठित नेता कभी सरेंडर नहीं करेंगे."
पिछले हफ्ते ही यासीन मलिक को दोषी करार दिया गया था. दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद जज प्रवीन सिंह ने बुधवार को सजा सुनाने का दिन तय किया था. मोहम्मद यासीन मलिक को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने, अवैध तरीके से धन जुटाने, आतंकवादी संगठन का सदस्य होने, आपराधिक साजिश रचने और देशद्रोह से जुड़े आरोप लगाये गये थे. जज ने यासीन मलिक को अपने संपत्तियों के ब्यौरे के साथ एक हलफनामा दायर करने का भी आदेश दिया था.
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सुनवाई के दौरान मलिक ने आरोपों से इनकार किया और खुद को स्वतंत्रता सेनानी बताया. मलिक के संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के मुताबिक उन्होंने कोर्ट में जज से कहा, "मेरे खिलाफ आतंकवाद से जुड़े आरोप मनगढ़ंत, रचे हुए और राजनीति से प्रेरित हैं. अगर आजादी मांगना अपराध है तो मैं इस अपराध और उसके नतीजे को स्वीकार करने के लिए तैयार हूं."
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट भारतीय कश्मीर में सबसे पहले सामने आए हथियारबंद विद्रोही गुटों में से एक था. इसने स्वतंत्र और एकजुट कश्मीर का समर्थन किया. मलिक के नेतृत्व में इस गुट ने 1994 में अपनी हथियारबंद विद्रोही गतिविधियां बंद कर दीं.
एनआर/आरएस (रॉयटर्स, एपी)