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अलग रास्तों और मंजिलों से असमंजस में ब्रिक्स

२८ मार्च २०१२

भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, रूस और चीन के नेता नई दिल्ली में मिल रहे हैं. ब्रिक्स नाम के पांच देशों का गुट अपनी बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर साझा फैसले लेने की कोशिश करेगा.

भारत, रूस, ब्राजील, चीन, दक्षिण अफ्रीका(ब्रिक्स)तस्वीर: AP

ब्राजील, चीन, रूस, भारत और दक्षिण अफ्रीका में विश्व भर की 40 प्रतिशत आबादी रहती है लेकिन गुट के हर एक सदस्य की अलग अलग प्राथमिकताएं हैं. आपस में इन देशों के बीच कारोबार अच्छा चल रहा है लेकिन विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश के प्रमुखों और विश्व व्यापार को अगर देखा जाए तो इन देशों की भागीदारी अब भी बहुत कम है.

मतभेद से मुश्किल

रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्मा चेल्लानी कहते हैं कि ब्रिक्स अपने सदस्य देशों की वह भावना दर्शाता है जिसके जरिए यह पांचों देश विश्व प्रणाली में बहुलता लाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उनका मानना है कि इस गुट के सदस्य शायद ही कभी एक ऐसा संगठन बने जिसके लक्ष्य और काम करने का तरीका समान हो. विश्लेषकों का कहना है कि ब्रिक्स गुट की सबसे बड़ी परेशानी उसके सदस्यों के बीच मतभेद हैं. रूस और चीन को लोकतंत्र की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, वहीं भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में लोकतंत्र अच्छी तरह स्थापित हो गया है. और इन सारी देशों की अर्थव्यवस्थाएं अलग अलग तरीके से काम करती हैं.

और भागीदारी

हालांकि गुट के सदस्य चाहते हैं कि वैश्विक आर्थिक संगठनों को विकासशील देशों के लिए कुछ और खोला जाए और उनके नेता भी इसमें शामिल हों. लेकिन इनमें से किसी भी देश ने खुल कर यह बात नहीं की है और न ही उन्होंने किसी पश्चिमी देश के उम्मीदवार को खुल कर चुनौती दी है. पिछले साल फ्रांस की क्रिस्टीन लागार्द अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश की प्रमुख बनी और इस साल विश्व बैंक के प्रमुख का पद खाली है. ब्रिक्स देशों ने जहां अपना उम्मीदवार सामने नहीं रखा है, वहीं अमेरिका ने अर्थशास्त्री जिम यांग किम, कोलोंबिया ने खोसे आंतोनियो ओकैंपो और विकासशील देशों ने नाइजीरिया के वित्त मंत्री न्गोजी ओकोंजो इवियेला को नामांकित किया है. लेकिन विश्व बैंक के प्रमुख को लेकर कोई भी सहमति नहीं बन पाई है. भारतीय विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी सुधीर व्यास कहते हैं, "मुझे किसी साझे उम्मीदवार के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है."

विकासशील देशों का समूह ब्रिक्स

ब्रिक से ब्रिक्स

2009 में बने ब्रिक समूह में दक्षिण अफ्रीका शामिल नहीं था लेकिन पिछले साल वह भी इस समूह का हिस्सा बन गया है. नई दिल्ली में शुरू हो रहे शिखर सम्मेलन में सदस्य देश ब्रिक्स संस्थाओं के बारे में बात करेंगे जिसमें सबसे पहले एक बैंक के गठन की याजना है जो इन देशों में मूलभूत संसाधनों पर निवेश करेगा. ब्रिक्स नेता, यानी ब्राजील की डिल्मा रूसेफ, रूस के दिमित्री मेद्वेदेव, चीन के हू जिनताओ, दक्षिण अफ्रीका के जैकब जूमा और भारत के मनमोहन सिंह दिल्ली घोषणापत्र पर भी हस्ताक्षर करेंगे जिसमें बैठक के दौरान हुए समझौतों को देखा जा सकेगा.

पिछले साल चीन में हुई बैठक के दौरान पांचों देशों ने लीबिया में अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई के खिलाफ एक बयान जारी किया था हालांकि पश्चिमी देशों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. विश्लेषक डीएच पाई पनंडिकर का कहना है कि अब तक गुट केवल आर्थिक मुद्दों पर ध्यान दे रहा है. कहना मुश्किल हैं कि यह पांच देश एक समूह की हैसियत से कितने प्रभावशाली होंगे.

रिपोर्टः एएफपी/रॉयटर्स/एमजी      

संपादनः आभा मोंढे

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