अल्जाइमर की नई दवा कामयाब
२६ जनवरी २०१८बढ़ती उम्र के साथ कई तरह की दिक्कतें सामने आने लगती हैं. आपने कई बार देखा होगा कि बुजुर्ग लोग कोई किस्सा सुनाना शुरू करते हैं और खत्म करते ही, उसे फिर से शुरू कर देते हैं. कई बार किस्सा सुनाते सुनाते बीच में ही भूल जाते हैं कि कहां थे. यह अल्जाइमर का लक्षण है.
115 साल पहले मनोचिकित्सक आलॉयस अल्जाइमर ने सबसे पहले उस बीमारी को खोजा था जिसे आज उनके नाम से जाना जाता है. बीमारी का पता तो चल गया लेकिन अल्जाइमर अपने मरीजों की मदद नहीं कर पाए. आज भी इस बीमारी को पूरी तरह समझने में कामयाबी नहीं मिली है.
सिर्फ जर्मनी में ही 10 लाख से ज्यादा लोग अल्जाइमर और डिमेंशिया के शिकार हैं. अभी तक इसका कोई कारगर इलाज नहीं है, लेकिन अब उम्मीद जगी है. अमेरिका और स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने एक साल तक अल्जाइमर के मरीजों का नई दवा एडु-कैनू-मैब से इलाज किया है. उन्हें कामयाबी मिली है.
अल्जाइमर के मुख्य कारणों में लंबे समय से शरीर के अपने प्रोटीन, एमिलॉयड प्लेक्स, संदेह के घेरे में रहे हैं. ये नर्वस सिस्टम की कोशिकाओं पर जमा हो जाते हैं और दिमाग में जाने वाले सिग्नलों में बाधा डालते हैं. नई थेरेपी में एंटीबॉडी इन प्लेक्स पर हमला करते हैं और उन्हें गला देते हैं.
इस स्टडी के लिए अल्जाइमर के 165 मरीजों को या तो एंटी बॉडी का इंजेक्शन दिया गया या प्लासिबो सॉल्यूशन दिया गया. दवा पाने वाले मरीजों के दिमाग का स्कैन, एडुकैनूमैब दवा की खुराक जितनी ज्यादा थी, और इलाज जितना लंबा हुआ, प्लेक में उतनी ही ज्यादा कमी देखी गई.
इंस्टीट्यूट ऑफ रिजेनरेटिव मेडिसीन के रोगर निच बताते हैं, "एडुकैनूमैब दवा की सबसे बड़ी खुराक का ये असर हुआ कि एक साल के अंदर एमिलॉयड प्लेक को करीब पूरी तरह कम किया जा सका. ऊंची खुराक वाले मरीज क्लिनिकल और मानसिक रूप से पूरे स्थिर थे. अपने रोजमर्रा की गतिविधियों में भी. जब कि प्लासेबो ग्रुप वाले मरीजों की स्थिति बिगड़ती गई. जैसा कि उपचार नहीं पाने वाले अल्जाइमर मरीजों में देखा जाता है."
वैज्ञानिकों ने अब तक मुख्य रूप से एंटीबॉडी थेरेपी की सुरक्षा और खुराक पर शोध किया है. 2700 मरीजों के साथ एक और स्टडी में वे एडुकैनूमैब दवा के सकारात्मक असर की पुष्टि करना चाहते हैं.यदि इसमें कामयाबी मिल जाती है तो अल्जाइमर मरीजों के लिए नई दवा जल्द ही बाजार में होगी.
रिपोर्ट: थॉमस हिल्ब्रांट