अल्जाइमर: 10 साल पहले सिकुड़ने लगता है दिमाग
१७ अप्रैल २०११![](https://static.dw.com/image/3817360_800.webp)
अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक रिसर्च न्यूरोलॉजी नाम की पत्रिका में छपी है. यह रिसर्च अल्जाइमर का पता लगाने का नया तरीका ईजाद करने में मदद कर सकती है. यानी सालों पहले पता चल जाएगा कि किसी व्यक्ति को अल्जाइमर हो सकता है और उसका इलाज जल्दी शुरू हो जाएगा.
लाइलाज बीमारी
अल्जाइमर एक खतरनाक बीमारी है जिसमें इंसान सब कुछ भूल जाता है. आमतौर पर यह बीमारी 65 साल की उम्र के बाद होती है. फिलहाल दुनिया में दो करोड़ 60 लाख लोग अल्जाइमर से पीड़ित हैं और एक अनुमान के मुताबिक 2050 तक हर 85 में से एक इंसान इस बीमारी से पीड़ित होगा. सबसे खतरनाक बात है कि अब तक भी यह बीमारी लाइलाज है.
शिकागो के रश यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर की लेला डे टोलेडो मोरेल ने अल्जाइमर पर रिसर्च की है. वह कहती हैं, "किसी व्यक्ति में अल्जाइमर पैदा होने के खतरे का पता लगाने के लिए मैग्नेटिक रेजोनेंस मापना काफी अहम साबित हो सकता है. अगर भविष्य में अल्जाइमर की कोई दवाई या इलाज मिलता है तो उन लोगों को काफी फायदा हो सकता है जिन्हें यह बीमारी है नहीं, लेकिन वे इसके शिकार हो सकते हैं."
कैसे हुई रिसर्च
रिसर्च में उम्र के 70वें दशक में जी रहे स्वस्थ लोगों को शामिल किया गया. उन्हें दो समूहों में बांटा गया. उन लोगों के दिमाग का शिकागो और मैसाचुसेट्स के अस्पतालों में स्कैन किया गया. उनकी जांच नौ साल तक जारी रही.
रिसर्च के दौरान 50 लोग तो सामान्य रहे जबकि 15 लोगों को अल्जाइमर हो गया. रिसर्च के खत्म होने पर पता चला कि उन 15 लोगों में दिमाग के कुछ खास हिस्से सिकुड़ने की प्रक्रिया देखी गई, जिन्हें अल्त्साइमर्स हुआ था.
मैसाचुसेट्स अस्पताल के डॉक्टर ब्रैड डिकरसन बताते हैं कि ये नतीजे शुरुआती हैं और इन्हें अभी रिसर्च के बाहर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ईशा भाटिया