भारत सरकार के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने एक अंतरराष्ट्रीय दिवस योग के नाम तो बहुत आसानी से कर दिया लेकिन भारत में यह दिवस मनाने की कोशिश बड़ा विरोध झेल रही है. जब से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह के बड़े पैमाने पर मनाए जाने की घोषणा हुई है तबसे ही इस पर कोई ना कोई आपत्ति उठने लगी है. कुछ अल्पसंख्यक समुदाय सरकारी तौर पर इसे मनाए जाने को लेकर खफा हैं तो कुछ मुस्लिम संगठनों ने आयुष मंत्री श्रीपद नाइक से मिलकर कार्यक्रम को समर्थन देने की बात कही है.
आयुष मंत्री से मुलाकात के बाद मजलिस उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना सईद कौकब मुज्तबा अबीदी ने कहा है कि जो लोग योग का विरोध कर रहे हैं, वे या तो सियासत कर रहे हैं या फिर "मानवता के दुश्मन" हैं. योग किसी धर्म विशेष का नहीं है. देवबंद के दारुल उलूम ने एक बयान जारी कर कहा है कि योग के खिलाफ फतवे की जरूरत नहीं है, यह एक एक्सरसाइज है.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सूर्य नमस्कार को समारोह से हटाए जाने पर कहा कि जिस समिति को योग का प्रोटोकॉल तैयार करने का काम सौंपा गया था उसने ही सूर्य नमस्कार को शामिल नहीं किया "क्योंकि वे आसान आसन (व्यायाम) रखना चाहते थे, जो हर कोई कर सके." उधर मुस्लिम संगठनों से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में नाइक ने कहा है, "श्लोक एक तरह की प्रार्थना होती है और इनका जाप भी जरूरी नहीं है. वे (मुसलमान) चाहें तो श्लोकों की जगह अपने अल्लाह का नाम ले सकते हैं. सभी मुसलमानों से निवेदन है कि वे इसमें हिस्सा लें और देश को जोड़ें."
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सूर्य नमस्कार को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी कि ऐसा करना उनके धर्म के खिलाफ होगा. इस पर बीजेपी नेता योगी आदित्यनाथ की विवादास्पद टिप्पणी आई, जिसे खुद उन्हीं की पार्टी के नेताओं ने "दुर्भाग्यपूर्ण" करार दिया. विपक्षी दल कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह भी बड़े स्तर पर योग समारोह आयोजित करने के मोदी सरकार के निर्णय को "नौटंकी" बता चुके हैं.
21 जून को पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह में नरेन्द्र मोदी दिल्ली के राजपथ पर 35,000 से अधिक लोगों को संबोधित करने वाले हैं. सरकार इसे एक ही जगह पर होने वाले सबसे बड़े योग समारोह के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज कराना चाहती है. दुनिया भर के करीब 192 देशों के 251 शहरों में इस दिन खास कार्यक्रम आयोजित होने हैं.
आरआर/एमजे (पीटीआई,डीपीए)
दुनिया के तमाम धर्मों में भोजन और उपवास से जुड़ी अलग अलग मान्यताएं हैं. हिंदुओं का व्रत, मुसलमानों का रोजा, ईसाइयों और यहूदियों का उपवास तो बौद्ध धर्म में खाने में भी संतुलन का अभ्यास. मकसद एक - शारीरिक और मानसिक शुद्धि.
तस्वीर: S.Kodikara/AFP/Getty Imagesएश वेडनसडे के साथ ही कार्निवाल खत्म होता है और कैथोलिक ईसाइयों के लिए उपवास के समय की शुरुआत होती है. ईस्टर तक कुल 46 दिन. राख का यह क्रॉस नश्वरता की याद दिलाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaकई धर्मों में उपवास का नियम होता है. कोशिश होती है कि स्वादिष्ट खाने से मन हटा कर भगवान में लगाया जाए और उसके नजदीक जाया जाए. ईसाई धर्म में उपवास ईसा मसीह के उपवास की याद दिलाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaइस्लाम में रमजान के दौरान उपवास किए जाते हैं. इस दौरान इस्लाम को मानने वाले सूरज निकलने के बाद और डूबने से पहले कुछ नहीं खा, पी सकते. यौन संबंधों पर भी रोक होती है. इस उपवास का उद्देश्य होता है अल्लाह के नजदीक पहुंचना.
तस्वीर: picture-alliance/dpaहिंदू धर्म को मानने वाले लोगों में व्रत की लंबी परंपरा है. यह कोई वार हो सकता है, भगवान हो सकता है या फिर एकादशी या चतुर्थी. लोग अक्सर उपवास के लिए बनाए जाने वाले खास पदार्थ खाते हैं... जैसे साबुदाना, आलू की सब्जी या फिर दही... कड़े उपवास भी नवरात्री के दौरान किए जाते हैं.
तस्वीर: Reutersयहूदी लोग भी उपवास करते हैं. योम किपुर उत्सव के दौरान खाने, पीने और धूम्रपान पर भी रोक है. नहाना भी नहीं और शारीरिक संबंध भी नहीं. काम भी नहीं करना. इसके अलावा यहूदी इतिहास को याद दिलाने वाले उपवास के दिन भी होते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaजर्मनी में उपवास अब लोग बिना धार्मिक कारण से भी करने लगे हैं. वह स्वास्थ्य, फिटनेस के लिए उपवास करते हैं. कुछ अल्कोहल छोड़ते हैं, तो कुछ मिठाई या मांसाहार. जबकि कुछ लोग मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर से परहेज करने की कोशिश करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaकैथोलिक संगठन मिसेरेओर उपवास के दौरान दान का अभियान चलाता है. इस बार अभियान का टाइटल है हम भूख से तंग आ गए हैं. इसके जरिए दुनिया भर में भूखमरी से जूझ रहे 87 लाख लोगों के लिए धन इकट्ठा किया जाएगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpaस्वास्थ्य के लिए उपवास यानी कम से कम कैलोरी वाला भोजन लेना. चाहे उसमें सिर्फ जूस हो, छाछ हो या कुछ और. लेकिन इस तरह के उपवास के लिए काफी किताबें बाजार में हैं
तस्वीर: picture-alliance/dpaउपवास के दौरान तरह तरह के ऑफर होते हैं. कुछ होटलों में खास पोषक भोजन बनाया जाता है तो कहीं योग या पेंटिंग के कोर्स होते हैं. शारीरिक शुद्धि के साथ आत्मा की शुद्धि पर भी जोर.
तस्वीर: Fotolia/Robert Kneschkeबौद्ध धर्म में न तो भूखा रहना चाहिए और न ही बहुत खाना चाहिए. पर कम खाना ध्यान के लिए अच्छा.
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