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अल नीनो ने बनाया भारत पर दबाव

१० अगस्त २०१२

जापान के मौसम विभाग ने कहा है कि अल नीनो की वजह से एशिया और अफ्रीका में फसलों को नुकसान होगा. अल नीनो तापमान में ऐसा बदलाव है जो प्रशांत महासागर से लेकर हिंद महासागर तक मौसम को प्रभावित करते है.

तस्वीर: AP

जापान के मौसम विभाग के मुताबिक उसके जलवायु आंकड़ों से लगता है कि अल नीनो प्रवाह दोबारा आ गया है और यह सर्दी तक चलता रहेगा. इससे विश्व भर में खाने की सप्लाई पर असर पड़ सकता है. जापान के मौसम विभाग ने कहा, "जुलाई में जुटी जानकारी के मुताबिक अल नीनो उभर रहा है. इसके आसार हैं कि अल नीनो सर्दियों के मौसम तक बना  रहेगा."

अमेरिकी जलवायु आंकलन केंद्र ने भी मंगलवार को चेतावनी दी थी कि अल नीनो अगले दो महीने तक चलेगा. इससे पहले 1998 में अल नीनो प्रवाह काफी तेज था और ऑस्ट्रेलिया और एशिया के कई हिस्सों में तूफान और मौसम के बदलाव की वजह से 2,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे.

अल नीनो का मतलब स्पैनिश में छोटा बच्चा होता है और प्रशांत महासागर की सतह में तापमान के बढ़ने को अल नीनो कहते हैं. यह चार से लेकर 12 साल में एक बार होता है. एशिया और अमेरिका की फसलें इससे प्रभावित होती हैं लेकिन साथ ही अमेरिकी खाड़ी में भी तूफान के आसार बढ़ जाते हैं. अल नीनो पैदा होने से दक्षिण अमेरिका में फसल आराम से उगाए जा सकते हैं लेकिन एशिया और अफ्रीका के देशों में कम बारिश होती है.

भारत में आर्थिक मंदी के बीच देश के कृषि उत्पादों पर कड़ी नजर रखी जा रही है जो काफी हद तक मॉनसून पर निर्भर हैं. लेकिन इस साल मॉनसून की शुरुआत देर से हुई और चावल, कपास और तेल के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पौधों को उगाना मुश्किल पड़ गया. मौसम विभाग का कहना है कि तीन साल में पहली बार भारत में सूखा पड़ सकता है. तीन साल पहले अल नीनो की ही वजह से भारत में गन्ने की खेती पर असर पड़ा और दुनिया भर में चीनी बहुत महंगा हो गया.

एमजी/एजेए (रॉयटर्स)

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