अरब देशों ने कहा है कि अमेरिकी सैन्य कार्रवाई में तथाकथित इस्लामिक स्टेट के मुखिया अबु बक्र अल बगदादी की मौत के बावजूद इस आतंकवादी संगठन के खिलाफ लड़ाई खत्म नहीं हुई है. उनके मुताबिक खतरा लगातार बना हुआ है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रविवार को घोषणा की कि पश्चिमोत्तर सीरिया में एक सैन्य कार्रवाई के दौरान अल बगदादी मारा गया. सऊदी अरब, मिस्र और जॉर्डन ने अल बगदादी के मारे जाने का स्वागत किया है और इसके लिए अमेरिका की कोशिशों को सराहा है. लेकिन इन देशों का यह भी कहना है कि वे अपने सहयोगी अमेरिका के साथ मिल कर आतंकवाद के खिलाफ युद्ध जारी रखेंगे.
एक बयान में सऊदी अरब ने कहा कि वह "इस खतरनाक आतंकवादी संगठन के सदस्यों को ढूंढ निकालने के अमेरिकी प्रयासों की सराहना करते हैं, जिसने दुनिया भर में इस्लाम और मुसलमानों की सच्ची छवि को खराब किया है और सऊदी अरब समेत दुनिया भर में ऐसे अत्याचार और अपराध किए हैं जो मौलिक मानवीय मूल्यों के विपरीत हैं."
जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान अल-सफादी ने अल बगदादी की मौत को "आतंकवादियों और उनकी नफरत फैलाने वाली विचारधारा" के खिलाफ अमेरिका और जॉर्डन के साझा युद्ध में एक अहम कदम बताया है. उन्होंने ट्वीट किया, "जॉर्डन वैश्विक गठबंधन में अपने साझीदारों से सहयोग करते हुए इस बुराई को खत्म करने के प्रयासों में सबसे आगे बना रहेगा."
आतंकवाद दुनिया भर में हजारों जानें ले रहा है. आतंकी संगठनों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ सी लगी हुई है. एक नजर सबसे खूनी आतंकवादी संगठनों पर.
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1. बोको हराम
जी हां, इस्लामिक स्टेन नहीं, बोको हराम. यह दुनिया का सबसे घातक आतंकी संगठन है. अबु बकर शेकाऊ के इस संगठन ने अकेले 2014 में ही 6,644 लोगों की जान ली. 1,742 लोग घायल हुए. सैकड़ों लड़कियों को अगवा किया.
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2. इस्लामिक स्टेट
इस्लामिक स्टेट द्वारा मारे गए लोगों की संख्या भले ही बोको हराम से कम हो, लेकिन इस संगठन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा है. 2015 में इस्लामिक स्टेट ने 6,073 लोगों को मारा. कुल 5,799 आतंकी हमले किये. अबु बकर बगदादी का यह संगठन यूरोप, सीरिया, इराक, तुर्की और बांग्लादेश में सक्रिय है.
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3. तालिबान
अफगानिस्तान के गृह युद्ध के दौरान 1994 में तालिबान बना. इसे दुनिया का सबसे अनुभवी आतंकी संगठन कहा जाता है. 2015 में तालिबान ने 891 हमले किये, जिनमें 3,477 लोगों की जान गई. हिबातुल्लाह अखुंदजादा की अगुवाई वाला तालिबान अफगानिस्तान पर दोबारा कब्जा करना चाहता है.
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4. फुलानी उग्रवादी
इस संगठन के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी अभी भी नहीं है. खानाबदोश की तरह जगह बदलता यह संगठन नाइजीरिया में सक्रिय है. यह फुला कबीले का हथियारबंद संगठन है. ये फुलानी लोगों के जमींदारों को निशाना बनाता है. 2015 में इस उग्रवादी संगठन ने 150 से ज्यादा हमले किये और 1,129 लोगों की जान ली.
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5. अल शबाब
बोको हराम का संबंध जहां इस्लामिक स्टेट से है, वहीं अल शबाब के तार अल कायदा से जुड़े हैं. पूर्वी अफ्रीका में सक्रिय यह आतंकी संगठन सोमालिया को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहता है. बीते साल अल शबाब ने 496 आतंकी हमले किये और 1,021 लोगों की जान ली.
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वहीं मिस्र के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अहम हाफेज ने कहा कि आतंकवाद से लड़ने की दिशा में अल बगदादी की मौत एक अहम कदम है. साथ ही उन्होंने एक "एकीकृत कार्रवाई" और "व्यापाक नजरिए की भी अपील की जिसमें आतंकवादी गुटों के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा, विकास और वैचारिक पहलुओं को भी ध्यान में रखा जाए."
खुद को खलीफा कहने वाले अल बगदादी ने 2014 में इस्लामिक स्टेट की बुनियादी रखी जिसने बहुत जल्दी सीरिया और इराक के एक बड़े इलाके पर कब्जा कर लिया. 2017 में इराक ने इस्लामिक स्टेट पर जीत की घोषणा की तो सीरिया में कुर्दों के नेतृत्व वाले सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज ने इस साल की शुरुआत में उन्हें पराजित करने का दावा किया.
जर्मन सरकार ने अल बगदादी की मौत की घोषणा के बाद उन हजारों लोगों को याद किया जो इस दुर्दांत संगठन की हिंसा का शिकार बने. सरकारी प्रवक्ता श्टेफान जाइबर्ट ने बर्लिन में कहा कि अल बगदादी "अब हत्या वाले आदेश नहीं दे सकता. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आईएस के खिलाफ जंग खत्म हो गई है."
आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट लंबे समय से सुर्खियों में है. लेकिन आखिर आईएस है क्या? कितना शक्तिशाली है? आईएस से जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब.
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क्या है "इस्लामिक स्टेट"?
यह एक सुन्नी आतंकवादी संगठन है जो अल कायदा से अलग हो कर बना है. सीरिया और इराक में निष्फल सरकारों से निपटने के लिए यह संगठन सक्रिय हुआ. इसके झंडे पर लिखा है, "मुहम्मद अल्लाह के रसूल है, अल्लाह के अलावा कोई दूसरा खुदा नहीं है." खुद को इस्लाम का प्रचारक कहने वाला आईएस विरोधियों लोगों की जान लेने में लगा है.
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कहां सक्रिय है "इस्लामिक स्टेट"?
आईएस अपनी खिलाफत स्थापित करने का उद्देश्य रखता है, एक ऐसी जगह बनाना चाहता है जहां इस्लाम की उसकी बनाई परिभाषा चलेगी और शरिया कानून लागू होगा. सीरिया और इराक में अस्थिरता के कारण आईएस इन दोनों देशों के कुछ इलाकों पर कब्जा करने में कामयाब हो पाया है.
अन्य आतंकी संगठनों से यह कैसे अलग है?
आईएस की बर्बरता इसकी सबसे बड़ी पहचान बन गयी है. मासूम लोगों और अपने दुश्मनों को डराने की खातिर इस्लामिक स्टेट ने कई लोगों के सर कलम किए हैं. जिन इलाकों में आईएस का कब्जा है वहां इसी की हुकूमत चलती है.
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अन्य आतंकी संगठनों से संबंध?
हाल ही में नाइजीरिया में सक्रिय आतंकवादी संगठन बोको हराम ने आईएस के लिए अपना समर्थन जाहिर किया. वहीं अल कायदा खुद को इससे अलग मानता है. अल कायदा की शाखा जभात अल नुसरा आईएस के खिलाफ है. इन संगठनों के बीच प्रतिस्पर्धा है कि कौन किससे ज्यादा खूंखार है. बोको हराम के नाम 13,000 जानें हैं, तो आईएस 24,000 लोगों को मारने या घायल करने के लिए जिम्मेदार है.
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कौन हैं आईएस के समर्थक?
अलग अलग देशों से 20,000 से ज्यादा लोग आईएस के साथ जुड़ चुके हैं. आईसीएसआर की रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 4,000 से ज्यादा पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका से हैं. स्वीडन और बेल्जियम जैसे छोटे देशों से भी लोग इस्लामिक स्टेट का साथ देने पहुंच रहे हैं.
कैसे निपट रहा है पश्चिम?
अगस्त 2014 से अमेरिका सीरिया और इराक में इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर हवाई हमले कर रहा है. सीरिया में अब तक 1,422 और इराक में 2,242 हमले किए जा चुके हैं. वहीं जर्मनी सीरिया से लौटे 30 कथित आतंकवादियों पर मुकदमा चलाने जा रहा है.
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उन्होंने कहा, "अल बगदादी की मौत की खबर मिलने पर जर्मन सरकार ने आईएस के आतंक के शिकार लोगों को याद किया. वे सभी लोग जो मारे गए या गुलाम बनाए गए यजीदी लोग, वो लोग जिन्हें आईएस के नियंत्रण वाले इलाकों में कट्टरपंथियों ने मनमाने तरीके से कत्ल किया गया, जिसमें स्थानीय मुस्लिम लोग और विदेशी बंधक शामिल थे."
अल बगदादी की मौत की घोषणा के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सैन्य कार्रवाई में सहयोग के लिए रूस, तुर्की, सीरिया, इराक और सीरिया के कुर्द बलों की तारीफ की है. तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत चावुसोग्लू ने कहा, "अल बगदादी को मारने में तुर्की और अमेरिका ने मिल कर काम किया."
मॉस्को में रूसी सरकार ने भी पुष्टि की है कि जिस इलाके में अमेरिका ने अल बगदादी को मारने की बात कही है, वहां रूसी सेना ने अमेरिकी विमानों को उड़ते देखा है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, "हमारे सैनिकों ने उस इलाके में अमेरिकी विमानों और ड्रोनों को देखा, जो शायद वहां काम कर रहे थे." इससे पहले रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि किसी भी अमेरिकी विमान को नहीं देखा गया है. पेस्कोव ने कहा कि अगर अल बगदादी के "मारे जाने की बात सही है तो यह अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिकी राष्ट्रपति का बहुत बड़ा योगदान होगा."