जर्मनी के सामने साल 2016 में सबसे बड़ी चुनौती बीते साल पहुंचे शरणार्थियों से निबटने में देश की 'एकता' को बनाए रखने की है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने नए साल के संदेश में लोगों से भरोसे और एकजुटता की अपील की है.
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चांसलर मैर्केल ने देश के लोगों से "ठंडे और घृणा से भरे हृदय वालों का अनुसरण ना करने" का संदेश दिया. उन्होंने इस बात को महत्वपूर्ण बताया कि कोई भी "लंबे समय से यहां रहने वालों और नए नागरिकों के आधार पर विभाजित ना हो." मैर्केल ने कहा कि लाखों शरणार्थियों के आने से जर्मन समाज और अर्थव्यवस्था को फायदा ही होगा. उन्होंने "हम ऐसा कर सकते हैं" का नारा दोहराया.
जर्मनी 2015
एक सेल्फी संकेत में बदल गया. क्या चांसलर को और दूसरे लोगों को इस तरह की तस्वीर के असर का अंदाजा था? साल की समाप्ति 10 लाख शऱणार्थियों के साथ हो रही है. 2015 आधुनिक जर्मनी के इतिहास का अहम साल है.
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भावनाएं और सख्ती
जुलाई 2015 की यह महत्वपूर्ण तस्वीर थी. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने भावनाएं तो दिखाईं लेकिन सख्त रहीं. उन्होंने 14 वर्षीय फलीस्तीनी लड़की को सहलाया और उसके दर्द पर मरहम जरूर लगाया, जिनके माता पिता अभी भी शरण का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन यह भी कहा कि जर्मनी सबको शरण नहीं दे सकता. लड़की सोशल मीडिया स्टार बन गई लेकिन चांसलर की बड़ी आलोचना हुई.
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प्रोमिस्ड लैंड की चांसलर
और अचानक काफिले आने लगे. सीरिया, इराक, अफगानिस्तान से शरणार्थियों ने जर्मनी आना शुरू कर दिया. वे सब यहां शरण चाहते हैं. गर्मियां खत्म होने से पहले ही लाखों लोग जर्मनी पहुंच चुके थे. राजनीतिज्ञों में खलबली मची थी. अंगेला मैर्केल ने घोषणा की शरण के अधिकार में संख्या की सीमा नहीं है. चांसलर ने मानवीयता दिखाई और युद्ध ग्रस्त इलाकों के दमित पीड़ितों की स्टार बन गईं.
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हर सोमवार
एक ओर हजारों लोग अपनी इच्छा से शरणार्थियों की मदद करने में, जर्मनी में उनके निवास को आसान बनाने में लगे थे. इतना कि स्वागत की संस्कृति साल का अहम शब्द बन गया. तो दूसरी ओर बहुत से लोग मैर्केल की शरणार्थी नीति के खिलाफ एकजुट हो रहे थे. पेगीडा नाम के संगठन के लिए ड्रेसडेन शहर हर सोमवार को आप्रवासन और प्रतिनिधि लोकतंत्र के खिलाफ विरोध का ठिकाना रहा.
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घृणा में आगजनी
जर्मनी ने 2015 में अपना यह चेहरा भी दिखाया. इस साल शरणार्थियों के रहने के लिए बने 600 घरों पर हमला किया गया. 2011 में उनकी संख्या सिर्फ 18 थी. सुरक्षा अधिकारियों ने इन हमलों में अब किसी ग्रुप का समन्वित हाथ होने का सबूत नहीं पाया है. हमला करने वाले लोग आम तौर पर स्थानीय युवा हैं. और उनमें से अधिकांश अब तक विदेशियों का विरोध करने के कारण पुलिस फाइलों में नहीं हैं.
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हवाई त्रासदी
यूरोप में विमान हादसा. 24 मार्च को बार्सिलोना से डुसेलडॉर्फ आ रहा यात्री विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. 150 लोग मारे गए. उनमें हाल्टर्न शहर के हाई स्कूल के 16 बच्चे भी थे. त्रासद बात यह रही कि मनोरोग के शिकार को-पाइलट ने जर्मनविंग्स कंपनी के यात्री विमान को जानबूझकर बार्सिलोना से डुसेलडॉर्फ के रास्ते में फ्रांस की आल्प पहाड़ियों पर टकरा दिया.
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राजनीतिक रिश्तेदारी
गद्दी पर बैठने के बाद से ही वे जर्मनी के लोगों को आकर्षक और दिलचस्प लगती रही हैं. इस साल जब ब्रिटेन की महारानी अपने संभवतः अंतिम राजकीय दौरे पर जर्मनी आईं तो यह कुछ कुछ रिश्तेदारों से भेंट जैसी भी थी. महारानी के पति प्रिंस फिलिप जर्मन मूल के हैं. शायद जर्मन सहानुभूति के पीछे ब्रिटेन का ताज वाला गणतंत्र होना है, जैसा कि एक बार जॉर्ज ऑरवेल ने कहा था.
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अतीत का सामना
ये कैसा भाव प्रदर्शन था. आउशवित्स के नाजी यंत्रणा शिविर में कैद रहीं एफा कॉर ने कुख्यात एसएस के पूर्व सदस्य 94 वर्षीय ऑस्कर ग्रोएनिंग की ओर अदालत में सुलह का हाथ बढ़ाया. आउशवित्स के अपराधियों के खिलाफ सबसे ताजा मुकदमे में 81 वर्षीया कॉर ने कहा, "मैंने नाजियों को माफ कर दिया है." अब तक सामान्य जिंदगी जी रहे पूर्व गार्ड ग्रोएनिंग ने भी नाजी काल के नैतिक अपराध को स्वीकार किया.
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ताकतवर चांसलर
जब पश्चिमी दुनिया बवेरिया में चांसलर मैर्केल की मेहमान थी, उस समय तक मैर्केल को लेकर विवाद शुरू नहीं हुआ था, वह मतदाताओं के दिलों पर एकछत्र राज कर रही थीं और यूरोप में उनका रुतबा था. विला एलमाउ में जी-7 शिखर सम्मेलन के अंत में ग्लासहाउस गैसों में कमी लाने का फैसला हुआ. नतीजा पेरिस में पर्यावरण समझौते के रूप में सामने आया.
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राजनीति और साहित्य
इस साल जर्मनी और विश्व ने जिन लोगों को खोया उनमें नोबेल पुरस्कार विजेता जर्मन साहित्यकार गुंटर ग्रास और पूर्व चांसलर हेल्मुट श्मिट भी थे. कोलकाता में एक साल रह चुके ग्रास की मौत 13 अप्रैल को हुई तो लोकप्रिय पूर्व चांसलर हेल्मुट श्मिट ने 10 नवंबर को आखिरी सांसें लीं, हालांकि ग्रास एसपीडी के समर्थक थे लेकिन दोनों शख्सियतों में ज्यादा अपनापन नहीं था.
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नामी ब्रांड का पतन
भरोसेमंद, इमानदार और किफायती - इसके लिए जर्मन कंपनी फोक्सवागेन की कारों का नाम था. और तब इस साल हुआ रहस्योद्घाटन कि कंपनी ने दुनिया भर को धोखा दिया है. लाखों डीजल गाड़ियों में ऐसा सॉफ्टवेयर लगा था जो उत्सर्जन के बारे में सही सूचना नहीं देता था. कंपनी पर अब अलग अलग देशों में करोड़ों का दावा ठोंका गया है.
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बात मनवाने की कला
जैसे जैसे जर्मनी में शरणार्थी संकट गहराता गया, चांसलर अंगेला मैर्केल का राजनैतिक फातिहा पढ़ने की तैयारी होने लगी. पार्टी का बड़ा हिस्सा उनके खिलाफ था. लेकिन मैर्केल ने अपना जुझारुपन दिखाया और कार्ल्सरूहे में हुए पार्टी सम्मेलन में पार्टी और आलोचकों का विश्वास जीतने में कामयाब रहीं. उन्होंने कहा कि जर्मनी ताकतवर है, वह चुनौती का सामना कर पाएगा.
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जर्मनी के लिए साल 2015 ऐतिहासिक शरणार्थी संकट का साल रहा. सीरिया, इराक, अफगानिस्तान, सर्बिया और कोसोवो जैसे देशों से लगातार आप्रवासियों का आना जारी रहा. कई शरणार्थी ठिकानों और हॉस्टलों पर हमले भी हुए. 2015 में जर्मनी में करीब 11 लाख शरणार्थियों को पंजीकृत किए जाने का अनुमान है, जो कि पिछले साल के मुकाबले पांच गुना ज्यादा है.
शरणार्थी संकट के मद्देनजर 2015 में पेगीडा जैसे दक्षिणपंथी समूहों ने देश में इस्लामविरोधी राजनीतिक अभियान चलाए और हजारों लोगों के साथ साल भर जर्मन शहरों में सड़कों पर रैलियां निकालीं. अंगेला मैर्केल ने इसे "विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण समय" बताया. साथ ही शरणार्थी संकट से निबटने का विश्वास जताते हुए कहा, "हम ऐसा कर पाएंगे क्योंकि जर्मनी एक मजबूत देश है."
परवान चढ़ता उग्र दक्षिणपंथ
इस्लामी कट्टरपंथ और शरणार्थी संकट ने पश्चिमी देशों में उग्र दक्षिणपंथ का खतरा बढ़ाया. कट्टरपंथी हमलों और शरणार्थियों से घबराए लोगों का गुस्सा इस्लाम और सरकारों पर उतर रहा है. मुख्य धारा की पार्टियां समर्थन खो रही हैं.
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बढ़ता असर
उग्र दक्षिणपंथी पार्टियों का पॉपुलिज्म यूरोप के लिए नया नहीं है, पिछले कुछ सालों से ईयू की कथित मनमानियों और आर्थिक मुश्किलों के कारण उग्र दक्षिणपंथ के लिए समर्थन बढ़ रहा था लेकिन शरणार्थियों के आने से उसमें और इजाफा हुआ है.
तस्वीर: DW
फ्रांस में ले पेन
पेरिस पर आतंकी हमलों के तुरंत बाद फ्रांस में हुए स्थानीय चुनावों में मारी ले पेन की उग्र दक्षिणपंथी नेशनल फ्रंट पार्टी को फायदा पहुंचा है और वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद की सोशलिस्ट पार्टी तीसरे नंबर पर खिसक गई है.
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स्विट्जरलैंड पर भी असर
स्विट्रजरलैंड कभी भी उग्र दक्षिणपंथ का गढ़ नहीं रहा. लेकिन यूरोप के शरणार्थी संकट के बीच अक्टूबर में हुए चुनावों में आप्रवासन विरोधी स्विस पीपुल्स पार्टी एसवीपी को 11 अतिरिक्त सीटें मिली और उसने संसद की 200 में से 65 सीटें जीत लीं.
तस्वीर: Reuters/A. Wiegmann
जर्मनी में पेगीडा
जर्मनी में पिछले कई महीनों से आप्रवासन विरोधी ड्रेसडेन शहर में हर सोमवार को प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि प्रदर्शनों को हर शहर में ले जाने का उनका प्रयास विफल रहा है लेकिन आप्रवासन विरोधी एएफडी पार्टी के लिए समर्थन बढ़ रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Arno Burgi
फिनलैंड में जीत
इस साल फिनलैंड में हुए चुनावों में राष्ट्रवादी फिन्स पार्टी संसद में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. कुछ लोगों का कहना है कि आप्रवासी विरोधी भावना से शरणार्थियों का बड़ी संख्या में आना उग्र दक्षिणपंथ को बढ़ावा दे रहा है.
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पोलैंड का रास्ता
पोलैंड में पिछले दिनों हुए चुनावों में अति दक्षिणपंथी पार्टी की जीत हुई है और प्रधानमंत्री बेयाटा सीडलो की सरकार ने ईयू के कोटे के अनुसार शरणार्थियों को लेने से साफ मना कर दिया है. वह पिछले सरकार के फैसले को मानने के लिए तैयार नहीं हैं.
तस्वीर: picture-alliance/epa/T. Gzell
हंगरी में राष्ट्रवाद
हंगरी में विक्टर ओरबान की अनुदारवादी पार्टी 2010 में ही भारी बहुमत से सत्ता में आ गई थी. तब से वह अति राष्ट्रवादी फैसले लेती रही है और यूरोपीय मूल्यों से दूर होती रही है. देश में राष्ट्रवाद और अल्पसंख्यकों पर संदेह का बोलबाला है.
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डेनमार्क में प्रभाव
जून में हुए संसदीय चुनावों में डेनमार्क की उग्र दक्षिणपंथी पार्टी डैनिश पीपुल्स पार्टी संसद में दूसरे नंबर पर रही है. शरण को पूरी तरह बंद करने की मांग करने वाली पार्टी को 21 प्रतिशत मत मिले. सोशल डेमोक्रैट्स भी वहां शरण पर सीमा का समर्थन करते हैं.
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ग्रीस में सात प्रतिशत
ग्रीस में पिछले सितंबर में हुए संसदीय चुनावों में उग्र दक्षिणपंथी पार्टी गोल्डन डाउन को महत्वपूर्ण सफलता मिली. उसे 7 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन मिला और नई संसद में वह तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
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देश की पिछली सफलताओं खासकर 25 साल पहले हुए जर्मन एकीकरण की मुश्किलों का जिक्र करते हुए उन्होंने जर्मनी में नवआगंतुकों को समाज में घुलाने मिलाने की जर्मन समाज की क्षमता पर पूरा भरोसा जताया. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि मुख्यतः मुस्लिम समुदाय के शरणार्थियों के समेकन में जर्मनी को काफी "समय, श्रम और धन" लगाना होगा.
जर्मन सरकार द्वारा जारी मैर्केल के भाषण की अग्रिम प्रतिलिपि के अनुसार मैर्केल ने कहा है, "अगर आज हम सही तरीके से इन सभी लोगों समाज में घुला मिला पाते हैं तो यह कल हमारे लिए एक अवसर लेकर आएगा." अंतरराष्ट्रीय पत्रिका टाइम ने मैर्केल को "पर्सन ऑफ दि इयर" चुना है जबकि घरेलू मौर्चे पर उनकी पार्टी और व्यक्तिगत लोकप्रियता में थोड़ी कमी दर्ज हुई है.