फ्रांस आईएस विरोधी गठबंधन बनाने की कोशिश में है तो तुर्की ने सरकार विरोधी दो पत्रकारों को जासूसी का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया है. उनका कसूर यह है कि उन्होंने सरकार को मुश्किल में डालने वाली रिपोर्ट छापी.
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सरकार का विरोध करने वाले अखबार जम्हूरियत के मुख्य संपादक जान दुंदर और अंकारा में अखबार के ब्यूरो प्रमुख एर्देम गुल पर जासूसी और सरकारी गोपनीयता को फैलाने का आरोप लगाया गया है. यह अखबार राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एरदोवान की अनुदारवादी इस्लामी सरकार की नीतियों का विरोध करता है.
एरदोवान ने मई में खुद जम्हूरियत अखबार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी क्योंकि उसने सीरिया में इस्लामिक स्टेट के छापामारों के लिए भेजे जा रहे कथित तौर पर तुर्क खुफिया एजेंसी एमआईटी की हथियारों की खेप की जांच पड़ताल की तस्वीर प्रकाशित की थी. अधिकारियों ने इस मामले पर खबर देने पर रोक लगा दी थी और मामले की जांच शुरू की गई थी. उस समय आलोचकों ने तुर्की की सरकार पर जिहादियों के खिलाफ सख्ती न करने और सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ उनकी हथियारों से मदद करने का आरोप लगाया था.
इस रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद अक्टूबर में जम्हूरियत के इस्तांबुल और अंकारा दफ्तरों पर छापे मारे गए. एरदोवान ने अखबार में छपी रिपोर्ट को ठुकरा दिया और धमकी दी कि दुंदर को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी. अखबार के मुख्य संपादक ने अब इस्तांबुल में मुकदमा शुरू होने पर अदालती कार्रवाई को अपने और अपने सहकर्मी के लिए सम्मान पदक बताया है. पिछले हफ्ते पत्रकार संगठन रिपोर्टर विदाउट बोर्डर्स ने जम्हूरियत को साल के समाचार माध्यम पुरस्कार से सम्मानित किया था. संगठन ने कहा कि दुंदर और गुल पर राजनीतिक कारणों से मुकदमा चलाया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय पत्रकार संगठन ने मुकदमे को स्वतंत्र पत्रकारिता का गला घोटने की तुर्की की सरकार की कोशिश का सबूत बताया.
दोनों पत्रकारों को गुरुवार को अदालत में बयान देने के लिए बुलाया गया था, जिसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया. विपक्षी नेता कमाल किलिचदारोग्लू ने ट्वीट किया कि यदि अपराध करने वाले के बदले खबर देने वाले को गिरफ्तार कर लिया जाए तो किसी को नहीं कहना चाहिए कि तुर्की में प्रेस आजाद है और न्यायपालिका स्वतंत्र है.
अंकारा की इस्लामी सरकार पर प्रेस को दबाने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं, लेकिन विरोधी पत्रकारों की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब यूरोपीय संघ और तुर्की की शिखर भेंट होने वाली है. मामला तुर्की की सरकार द्वारा सीरिया में उग्रपंथियों को हथियारों की आपूर्ति का है. इसी हफ्ते तुर्की की वायुसेना ने सीरिया में रूस के एक बमवर्षक को मार गिराया, जहां वह तुर्कमेन विद्रोहियों का समर्थन करता है. तुर्की की सरकार ने पत्रकारों पर आतंकवादी संगठन का सदस्य होने और जासूसी का आरोप लगाया है.
इन गिरफ्तारियों के बाद यूरोपीय संघ के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी जो तुर्की के साथ रविवार को होने वाली शिखर भेंट में शरणार्थी मुद्दे पर सहयोग की एक योजना तय करेगा. इसके बदले तुर्की को यूरोपीय संघ में सदस्यता प्रक्रिया को तेज करने का भरोसा दिया गया है. तुर्की के यूरोप मंत्री वोल्कान बोजकीर ने कहा है कि दिसंबर के मध्य तक अर्थव्यवस्था और वित्तीय मामलों पर बातचीत शुरू हो जाएगी.
एमजे/एसएफ (डीपीए, एएफपी)
तुर्की की 10 दिलचस्प बातें
रिपब्लिक ऑफ तुर्की, जी हां, 1923 से तुर्की का यही असली नाम है और इसकी राजधानी विश्वप्रसिद्ध इस्तांबुल नहीं, बल्कि अंकारा है. समुद्री किनारों और चहल पहल भरे बाजारों के अलावा समृद्ध इतिहास वाले तुर्की के कुछ मजेदार तथ्य.
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कल्पना का घोड़ा: ट्रोजन हॉर्स
ट्रॉय के पुरातात्विक स्थल के प्रवेश द्वार पर रखी लकड़ी के घोड़े की एक शानदार प्रतिकृति. तुर्की के कुछ पुरातत्व विज्ञानियों ने दावा किया था कि उन्हें ऐतिहासिक ट्रॉय शहर में खुदाई के दौरान बड़ी लकड़ी की संरचना मिली जो ट्रोजन हॉर्स हो सकता है. कई इतिहासकार इसे केवल एक मिथक का हिस्सा मानते हैं.
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दो विश्व अजूबे
दुनिया के 7 प्राचीन अजूबों में शामिल इफेसस और हेलिकार्नासुस तुर्की में ही हैं. माना जाता है कि इफेसस के दक्षिण में स्थित एक घर में खुद वर्जिन मेरी रही थीं. प्राचीन शहर हेलिकार्नासुस में राजा मुसोलस का मकबरा विश्व अजूबा माना गया.
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असली सांता क्लॉज
दुनिया भर में सांता क्लॉज के नाम से मशहूर संत का असली नाम सेंट निकोलस था. उनका जन्म तुर्की के पटारा में हुआ माना जाता है. बाद में वे तुर्की में भूमध्यसागर के तट पर बसे शहर डेमरी के बिशप बने.
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दो महाद्वीपों की कड़ी
दुनिया भर में केवल इस्तांबुल ही एक ऐसा शहर है जो दो महाद्वीपों में बसा है. वैसे तुर्की का केवल 3 प्रतिशत हिस्सा ही यूरोप में और बाकी एशिया में है. 2010 में यूरोपीय संघ ने इस्तांबुल को यूरोपियन कैपिटल ऑफ कल्चर घोषित किया था.
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नीदरलैंड्स के नहीं थे ट्यूलिप
इतिहासकारों ने पाया है कि 16वीं सदी में तुर्की के व्यापारियों ने ही सबसे पहले डच लोगों को ट्यूलिप के फूलों से परिचित करवाया. आधुनिक समय में ट्यूलिप का पर्याय बन चुके नीदरलैंड्स के मशहूर कोएकेनहोफ बागीचे में ईरान, तुर्की, बुल्गारिया के ट्यूलिप पहली बार 1954 में बोए गए.
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कॉफी का यूरोप से परिचय
15वीं सदी में तुर्की के रास्ते ही यूरोप में कॉफी आई. तुर्की के तत्कालीन ओटोमन साम्राज्य ने सबसे पहले कॉफी के बीजों से इतावली लोगों को परिचित कराया. फिर इटली से इसकी लोकप्रियता दूसरे यूरोपीय देशों में फैली.
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हेजलनट का दबदबा
आज तमाम चॉकलेट, केक और मिठाइयों में इस्तेमाल होने वाले मेवे हेजलनट का करीब 80 फीसदी केवल तुर्की से ही निर्यात होता है. मेवों से बनने वाली बकलावा जैसी कई तुर्क मिठाइयां आज विश्व भर में पसंद की जाती हैं.
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नाम के अनुरूप- ग्रैंड
इस मशहूर बाजार में 64 गलियां, करीब 4,000 दुकाने और 25,000 से भी ज्यादा लोग काम करते हैं. ग्रैंड बाजार दुनिया के सबसे विशाल और सबसे पुराने ढके हुए बाजारों में एक है. हर साल दुनिया भर से लाखों पर्यटक इन बाजारों का रूख करते हैं.
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धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक
तुर्की मुस्लिम बहुल होकर भी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर चलता है. 1923 में आजादी की लड़ाई के बाद से यह रिपब्लिक ऑफ तुर्की बना और साथ ही देश में इन सेकुलर और डेमोक्रेटिक प्रक्रियाएं लागू हुईं.
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महिला अधिकारों में अव्वल
जून 2015 में 25वें आम चुनावों में अपना वोट देती तुर्क महिला. 1750 ईसा पूर्व से 1190 के बीच तुर्की में प्रभावशाली हितितीज ने शासन किया, जो महिला और पुरुष अधिकारों में समानता के पक्षधर थे. आधुनिक काल में भी, अमेरिका या किसी भी यूरोपीय देश से पहले तुर्की में ही महिलाओं को मत का अधिकार मिला था.