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असद नहीं तो कौन, कोई नाम नहीं

२७ फ़रवरी २०१२

अमेरिका और यूरोपीय संघ पूरी कोशिश कर रहे हैं कि सीरिया में किसी तरह बशर अल असद को कुर्सी से हटाया जाए. लेकिन असद के बाद सीरिया का कोई उत्तराधिकारी उन्हें नजर नहीं आ रहा. वहां हुए जनमत संग्रह पर किसी को भरोसा नहीं.

तस्वीर: Reuters

सीरिया में जनमत संग्रह के एक दिन बाद किसी को भी नतीजे का इंतजार नहीं है. पश्चिमी मीडिया का मानना है कि यह तो पहले से तय है कि इसका नतीजा क्या होना है. राष्ट्रपति बशर अल असद ने नया संविधान बनाने के लिए जनमत संग्रह कराया है. इस बीच विपक्षी गढ़ होम्स शहर में दमनकारी हिंसा जारी है. पश्चिमी देश राष्ट्रपति असद से गद्दी छोड़ देने को कह रहे हैं.

हालांकि इसके लिए उनके पास कोई विकल्प भी नहीं है और वे यह भी नहीं बता पा रहे हैं कि अगर असद नहीं होंगे, तो उनकी जगह कौन लेगा. सीरिया के जानकारों का कहना है कि ऐसा इसलिए हो रहा है कि असद ने अपने प्रशासन में तख्ता पलट की किसी संभावना को पैदा ही नहीं होने दिया है और पूरी सतर्कता बरती है कि उन्हें अपने घर में कोई चुनौती न दे सके.

सीरिया में हिंसक प्रदर्शन और प्रदर्शनकारियों पर सेना के हमले जारी हैं. अमेरिकी अधिकारी मानते हैं कि आने वाले समय में कभी भी सरकार गिर सकती है. लेकिन सीरिया में असद के बाद कौन, इस सवाल का फिलहाल किसी के पास जवाब नहीं है.

तस्वीर: AP

अमेरिकी अधिकारी के हवाले से रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने लिखा है, "वहां शासक वर्ग खुद में ही उलझा हुआ है और अपने ही बारे में सोच रहा है. भले ही असद का हटना नहीं हटना अटकलें हो, लेकिन अगर वो असद को हटा देते हैं तो कोई नहीं जानता कि उनके बाद कौन आएगा. कोई उत्तराधिकारी नहीं दिख रहा. उसी तरह विद्रोहियों में भी कोई ऐसा नहीं जो सीरिया में विद्रोह का चेहरा बन सके."

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने सीरिया के संभ्रांत वर्ग में किसी भी तरह का मतभेद होने से इनकार किया है. हिंसा जारी रखने से इनकार करना उन्हें सिर्फ सीरियाई लोगों की नजरों में हीरो नहीं बनाएगा बल्कि सोचने वाले सभी लोगों में भी.

तख्ता पलट प्रूफ

हालांकि आशंका यह भी है कि असद का परिवार सत्ता में रहने की कोशिश जारी रखेगा. असद और सीरिया की राजधानी दमिश्क में उनके साथी अल्पसंख्यक अलावी ग्रुप के हैं और सीरिया में सिर्फ 12 फीसदी ही अलावी हैं. उन सबका भविष्य राष्ट्रपति के हाथ में है. वहीं सुन्नी 70 फीसदी हैं.

तस्वीर: Reuters

परिवार का भी इतिहास है. 1970 में असद के पिता हाफिज अल असद ने तख्ता पलट के बाद सत्ता हथियाई थी. सीरियाई राजनीति पर न्यूजलेटर लिखने वाले ओकलाहोमा यूनिवर्सिटी के जोशुआ लैंडिस कहते हैं, "असद 40 साल से सुन्नी विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए काम कर रहे हैं. इसलिए उन्होंने परिवार के लोगों और जाति के लोगों को सरकार में अहम पद दे रखा है."

मुखबिरी का जोर

असद भी यह जानते हैं कि उनके खिलाफ विद्रोह हो सकता है, क्योंकि देश की ज्यादातर जनता सुन्नी है. अमेरिकी नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और विपक्ष समर्थक मुरहाफ जोएजाती का कहना है कि इसलिए हर तंत्र में मुखबिरों को भर कर रखा गया है. मिसाल के तौर पर सेना में हर स्तर पर मुखबिरी हो रही है. अगर किसी यूनिट के सैनिक बगावत करने का इरादा रखते हों, तो इसकी जानकारी फौरन दूसरी इकाइयों को मिल जाती है और वे इन्हें कुचलने में कामयाब रहते हैं. उनका कहना है कि शीर्ष स्तर के लोगों पर भी नजर रखी जाती है.

अमेरिका के एक अधिकारी का कहना है, "सीरिया एक पुलिस स्टेट है, जहां सशक्त मिलिट्री और सूचना इक्ट्ठी करने के लिए मजबूत खुफिया तंत्र फैला है." उनका कहना है कि ये लोग बेहद जहीन और ताकतवर हैं.

हद हो जाने का इंतजार

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का कहना है कि वह इस बात पर शर्त लगा सकती हैं कि असद का राज खत्म होने ही वाला है. एक न एक दिन हद जरूर हो जाएगी. अमेरिकी अधिकारी का कहना है, "हो सकता है कि जब अंतरराष्ट्रीय, राजनयिक और आर्थिक दबाव के बीच सीरिया के अंदर के लोग भी विद्रोह कर दें, तो वह हद आ जाएगी. लेकिन यह इतना आसान नहीं है. इसमें अभी बहुत समय लग सकता है."

तो आखिर असद गद्दी पर से कैसे हटेंगे. अभी किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि क्या असद खुद हटेंगे या दबाव के बीच उन्हें पद छोड़ना पड़ेगा.

रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम

संपादनः महेश झा

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