उत्तरपूर्वी राज्य असम में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. कांग्रेस इस बार पांच स्थानीय पार्टियों के साथ बीजेपी के खिलाफ खड़ी नजर आएगी. क्या कांग्रेस को इसका फायदा मिलेगा?
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असम में आगामी विधानसभा चुनाव के होने की संभावना अप्रैल-मई में जताई जा रही है. इस चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी के गठंबधन को मात देने के लिए कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को पांच पार्टियों के साथ मिलकर एक महागठबंधन का ऐलान किया है. इस महागठबंधन का ऐलान करते हुए असम में कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि उनकी पार्टी ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), तीन लेफ्ट पार्टी - कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सवादी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और आंचलिक गण मोर्चा (एजीएम) के साथ गठबंधन कर चुनाव में हिस्सा लेगी.
उन्होंने कहा कि राज्य में से भारतीय जनता पार्टी को बाहर निकालने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों का महागठबंधन में स्वागत है, "देश के हित के लिए कांग्रेस हमेशा से ही सांप्रदायिक ताकतों को बाहर करने की इछुक रही है. लोग अब भाजपा को वोट देने के लिए तैयार ही नहीं हैं क्योंकि इसके कुशासन ने लोगों को बहुत तंग किया है और लोग इनसे काफी निराश हैं."
एआईयूडीएफ के महासचिव अमीनुल इस्लाम ने कहा कि असम के लिए महागठबंधन काफी अच्छा है क्योंकि यही लोगों की इच्छा और आकांक्षाओं को पूरा करेगा. आंचलिक गण मोर्चा (एजीएम) के अध्यक्ष और राज्य सभा सदस्य अजीत कुमार भूइया ने महागठबंधन के गठन को एक एतिहासिक क्षण बताया. उन्होंने कहा कि यह गठबंधन भाजपा को हराने में जरूर कामयाब होगा.
हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक और बिहार के विधायक शकील अहमद खान को असम में चुनाव प्रचार की कमान सौंपी है. बघेल और दूसरे कांग्रेस नेताओं ने असम में कई दौर की बातचीत की जिसके बाद महगठबंधन की घोषणा की गई.
भारत के राष्ट्रीय मीडिया में पूर्वोत्तर के राज्यों का तभी जिक्र होता है जब वहां या तो चुनाव होते हैं या फिर कोई सियासी उठापटक. चलिए जानते है सात बहनें कहे जाने वाले पूर्वोत्तर के राज्यों में कहां किसकी सरकार है.
तस्वीर: IANS
असम
अप्रैल 2016 में हुए राज्य विधानसभा के चुनावों में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया और लगातार 15 साल से सीएम की कुर्सी पर विराजमान तरुण गोगोई को बाहर का रास्ता दिखाया. बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रह चुके सर्बानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री पद सौंपा गया.
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त्रिपुरा
बीजेपी ने त्रिपुरा में सीपीएम के किले को ध्वस्त कर फरवरी 2018 में हुए चुनावों में शानदार कामयाबी हासिल की. इस तरह राज्य में बीस साल तक चली मणिक सरकार की सत्ता खत्म हुई. बीजेपी ने सरकार की कमान जिम ट्रेनर रह चुके बिप्लव कुमार देब को सौंपी.
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मेघालय
2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने से चूक गई. एनपीपी नेता कॉनराड संगमा ने बीजेपी और अन्य दलों के साथ मिल कर सरकार का गठन किया. कॉनराड संगमा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के बेटे हैं.
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मणिपुर
राज्य में मार्च 2017 में हुए चुनावों में कांग्रेस 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी जबकि 21 सीटों के साथ बीजेपी दूसरे नंबर पर रही. लेकिन बीजेपी अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने में कामयाब रही. कई कांग्रेसी विधायक भी बीजेपी में चले गए. कभी फुटबॉल खिलाड़ी रहे बीरेन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री हैं.
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नागालैंड
नागालैंड में फरवरी 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में एनडीए की कामयाबी के बाद नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफियू रियो ने मुख्यमंत्री पद संभाला. इससे पहले भी वह 2008 से 2014 तक और 2003 से 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं.
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सिक्किम
सिक्किम में पच्चीस साल तक लगातार पवन कुमार चामलिंग की सरकार रही. लेकिन 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में उनकी सरकार में कभी मंत्री रहे पी एस गोले ने उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया. चामलिंग की पार्टी एसडीएफ के 10 विधायक भाजपा और 2 गोले की पार्टी एसकेएम में चले गए. अब वो अपनी पार्टी के इकलौते विधायक हैं.
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अरुणाचल प्रदेश
अप्रैल 2014 में हुए चुनावों में कांग्रेस ने 60 में 42 सीटें जीतीं और नबाम तुकी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बरकरार रही. लेकिन 2016 में राज्य में सियासी संकट में उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी. इसके बाद कांग्रेस को तोड़ पेमा खांडू मुख्यमंत्री बन गए और बाद में बीजेपी में शामिल हो गए.
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मिजोरम
2018 तक मिजोरम में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी. तब लल थनहवला मुख्यमंत्री थे. लेकिन दिसंबर में हुए चुनावों में मिजो नेशनल फ्रंट ने बाजी मार ली. अब जोरामथंगा वहां के मुख्यमंत्री हैं.