उग्रवाद के लिए कुख्यात रहे पूर्वोत्तर राज्य असम में अब भाषा विवाद सिर उठा रहा है. हाल में भाषाई जनसंख्या के आंकड़े सामने आने के बाद तेज हुआ विवाद.
विज्ञापन
आंकड़े बताते हैं कि असम में असमिया बोलने वालों की लगातार तादाद घट रही है. ऐसे में, राज्य के सबसे बड़े साहित्यिक संगठन असम साहित्य सभा ने कहा है कि असम में नौकरी करने वालों के लिए असमिया या किसी स्थानीय भाषा की जानकारी अनिवार्य है.
राज्य में 28 जनजातियां रहती हैं. साहित्य सभा पहले भी असमिया भाषा का मुद्दा उठाती रही है. लेकिन इस बार उसने राज्य सरकार से राजभाषा अधिनियम को कड़ाई से इसे लागू करने की मांग की है.
घटती तादाद
असम की कुल आबादी में असमिया बोलने वालों की तादाद 50 फीसदी से भी कम हो गई है. भाषाओं पर वर्ष 2011 की जनगणना के हाल में प्रकाशित आंकड़ों में कहा गया है कि असम में वर्ष 2001 में असमिया बोलने वालों की तादाद कुल आबादी का 48.80 फीसदी थी जो वर्ष 2011 की जनगणना में घट कर 48.38 फीसदी रह गई है.
ये हैं दुनिया की 10 सबसे प्राचीन भाषाएं
10 प्राचीन भाषाएं जिन्हें वक्त भी ना मिटा पाया
दुनिया में कई ऐसी भाषाएं हैं जो हजारों साल पुरानी हैं, लेकिन आज भी वे अपना अस्तित्व बनाये हुए हैं. एक नजर ऐसी ही 10 भाषाओं पर..
तस्वीर: imago/Sven Simon
हिब्रू
यह भाषा लगभग तीन हजार साल पुरानी है. 400 ईसवी के आसपास यह भाषा लगभग खत्म हो गयी. लेकिन पिछले दो सदियों में इस भाषा का पुरुद्धार हुआ और आज यह इस्राएल की आधिकारिक भाषा है. साथ ही दुनिया भर में बसे यहूदी भी इसे बोलते हैं.
तस्वीर: Getty Images
तमिल
ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं जो बताते हैं कि तमिल भाषा लगभग दो हजार से बोली जा रही है. भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेश पुदुच्चेरी के अलावा श्रीलंका और सिंगापुर में भी इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा हासिल है.
तस्वीर: Getty Images/M. Kiran
फारसी
फारसी भी दुनिया की प्राचीन भाषाओं में शामिल है जिसे दुनिया भर में लगभग 10 करोड़ लोग बोलते हैं. अफगानिस्तान में बोली जाने वाली दरी और ताजिकस्तान की ताजिक भी थोड़े बहुत बदलावों के साथ फारसी जैसी ही भाषाएं हैं.
तस्वीर: Behrouz Mehr/AFP/Getty Images
लिथुआनियन
बहुत सी यूरोपीय भाषाएं जहां इंडो-यूरोपियन भाषा परिवार से आती हैं, वहीं लिथुआनियन का संबंध इससे भी पुराने प्रोटो-इंडो-यूरोपियन परिवार से माना जाता है. यह बाल्टिक देश लिथुआनिया की आधिकारिक भाषा है.
तस्वीर: DW/A. S. Schroeder
चीनी भाषा
चीनी भाषा को तीन हजार साल पुरानी माना जाता है और भी दुनिया के 1.2 अरब लोग इसी भाषा में बात करते हैं. प्राचीन चीनी भाषा तो अब नहीं रही लेकिन भाषा की बुनियाद वही है. मैंडरिन और केंटोनीज सबसे ज्यादा बोली जाने वाली आधुनिक चीनी बोलियां हैं.
तस्वीर: Fotolia/philipus
बास्क
स्पेन के बास्क इलाके के साथ साथ फ्रांस के दक्षिण पश्चिमी हिस्से में बास्क भाषा बोली जाती है. बास्क भाषा यूरोप की अन्य भाषाओं से बिल्कुल अलग है. यह भी ठीक ठीक नहीं पता है कि इस भाषा का मूल क्या है.
यूरोप की बहुत सारी भाषाएं लैटिन से ही निकली हैं. आज भी लैटिन वेटिकन सिटी की आधिकारिक भाषा है और बहुत सारे पादरी इसी भाषा में बात करते हैं. दुनिया भर के बहुत से स्कूलों में यह प्राचीन भाषा आज भी पढ़ायी जाती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
अरबी
पूरा अरब जगत इसी भाषा में संवाद करता है. दुनिया में इस भाषा को बोलने वाले 42 करोड़ लोग हैं. माना जाता है कि अरब लोग ईसा के हजारों साल पहले से इस भाषा को बोल रहे हैं. हालांकि इस दौरान इसमें बहुत बदलाव भी हुए हैं.
तस्वीर: picture alliance/Tone Koene
ग्रीक
प्राचीन समय में जो ग्रीक बोली जाती थी, उससे आज की ग्रीक भाषा काफी अलग है. तीन हजार साल से भी ज्यादा पुरानी यह भाषा ग्रीस और साइप्रस की आधिकारिक भाषा है. इसके कई अक्षर दुनिया भर में गणित और विज्ञान में प्रतीकों के तौर पर इस्तेमाल होते हैं.
तस्वीर: dapd
आयरिश गाएलिक
मूल रूप से आयरिश गाएलिक भाषा को बोलने वाले लोग अब आयरलैंड में कम ही हैं, हालांकि बहुत से लोग दूसरी भाषा के तौर पर इसे जानते हैं. चौथी शताब्दी के आसपास आयरिश लोगों ने लिखना सीख लिया था. फिलहाल ये आयरलैंड की आधिकारिक भाषा है.
तस्वीर: imago/Sven Simon
10 तस्वीरें1 | 10
दूसरी ओर, इसी अवधि के दौरान बांग्लाभाषियों की तादाद 27.54 फीसदी से बढ़ कर 28.91 फीसदी हो गई है. इससे पड़ोसी बांग्लादेश से घुसपैठ के विभिन्न संगठनों के आरोपों को बल मिला है. वर्ष 1991 की जनगणना में असमिया और बांग्ला बोलने वालों की तादाद क्रमशः 57.81 और 21.67 फीसदी थी. इन आंकड़ों के तुलनात्मक अध्ययन से समस्या की गंभीरता का पता चलता है.
इन्हीं आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए अब अखिल असम छात्र संघ (आसू) असम गण परिषद (अगप) और असम साहित्य सभा समेत कई अन्य क्षेत्रीय संगठनों ने राजभाषा अधिनियम, 1960 के प्रावधानों को कड़ाई से लागू करने की मांग उठाई है.
इन संगठनों का कहना है कि असमिया लोगों की तादाद में गिरावट से साफ है कि बांग्लादेश से लगातार बढ़ती घुसपैठ की वजह से इस भाषा, स्थानीय लोगों और उनकी संस्कृति खतरे में है.
साहित्य सभा के मुख्य सचिव पद्म हजारिका कहते हैं, "असमिया भाषा और संस्कृति खतरे में है. सरकार को राजभाषा लागू करने के लिए गठित निदेशालय को पूरी तरह चालू करना चाहिए था. लेकिन सरकार ने उल्टे उसे बंद कर दिया है. यह गहरी चिंता का विषय है."
साहित्य सभा का एलान
भाषा और संस्कृति को लेकर बढ़ती चिंता के बीच सबसे बड़े साहित्यिक संगठन असम साहित्य सभा ने कहा है कि राज्य में काम करने के इच्छुक लोगों के लिए असमिया या किसी स्थानीय भाषा की जानकारी होना अनिवार्य है.
सभा के अध्यक्ष परमानंद राजबंशी ने चेतावनी दी है कि अगर किसी को स्थानीय भाषा नहीं आती तो उसे निजी या सार्वजनिक क्षेत्र में काम नहीं करने दिया जाएगा. वह कहते हैं, "चतुर्थ श्रेणी से लेकर शीर्ष स्तर तक राज्य में निजी या सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को लिए असमिया या कोई अन्य स्थानीय भाषा जानना जरूरी है. राज्य में 28 जनजातियां रहती हैं."
राजबंशी कहते हैं, "असम के स्थानीय लोग फिलहाल संकट के दौर से गुजर रहे हैं. उनकी पहचान और भाषा खतरे में है. असम में असमिया बोलने वालों की तादाद में लगातार गिरावट गहरी चिंता का विषय है."
देखिए ये हैं जिंदा भाषाओं वाले देश
'जिंदा' भाषाओं वाले देश
जो भी भाषा वर्तमान समय में कहीं ना कहीं बोली जा रही है, वो ही जीवित भाषा कही जा सकती है. कई देशों में तो आधिकारिक भाषाओं के अलावा भी सैकड़ों भाषाएं बोली जाती है. इनमें भारत भी एक है.
तस्वीर: picture alliance/Photoshot
ब्राजील
भाषाओं पर रिसर्च करने वाले संगठन एथनोलॉग के अनुसार, ब्राजील में इस समय 216 जीवित भाषाएं हैं जबकि 21 मृत हो चुकी हैं. देश की मुख्य भाषा पुर्तगाली है.
तस्वीर: picture-alliance/AA/D. Oliveira
ऑस्ट्रेलिया
अंग्रेजी प्रधान देश ऑस्ट्रेलिया में भी 216 जीवित भाषाएं हैं और करीब 184 खो चुकी हैं. देश में कोई आधिकारिक भाषा नहीं है, लेकिन अंग्रेजी कामकाज की भाषा है. ऑस्ट्रेलिया की 9 फीसदी आबादी साक्षर है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/W. Teodoro
कैमरून
सेंट्रल अफ्रीका के इस देश में 281 जीवित भाषाएं हैं. इनमें 55 एफ्रोयएशियन भाषाएं हैं और 169 नाइजर कॉन्गो भाषाएं हैं. हालांकि देश की राष्ट्रीय भाषाएं अंग्रेजी और फ्रेंच हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Harnik
मेक्सिको
मेक्सिको में 285 जीवित भाषाएं हैं. जिन इलाकों में इनमें से कोई भाषा खूब बोली जाती है, वे वहां की आधिकारिक सूचियों में भी शामिल हैं. स्पैनिश सरकारी भाषा नहीं, फिर भी सबसे ज्यादा बोली जाती है.
तस्वीर: Gianni Ferrari/Cover/Getty Images
चीन
कुल 300 जीवित भाषाओं वाले देश चीन की बोलियों में से एक मैंडेरिन देश की आधिकारिक भाषा है. 1.3 अरब की आबादी वाले चीन के 70 फीसदी से अधिक लोग यही बोलते हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/L. Xianbiao
अमेरिका
अमेरिका में 422 जीवित भाषाएं हैं. ध्यान देने की बात है कि इनमें से 211 भाषाएं बाहर से अमेरिका पहुंचे प्रवासी बोलते हैं. देश की आधिकारिक भाषा तो अंग्रेजी ही है.
तस्वीर: Getty Images
भारत
भारत में 454 जीवित भाषाएं हैं. सवा अरब की आबादी वाले देश में सबसे ज्यादा हिंदी बोली जाती है और सरकारी कामों में सबसे ज्यादा अंग्रेजी इस्तेमाल होती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Jagadeesh
नाइजीरिया
नाइजीरिया में एथनोलॉग के अनुसार 529 जीवित भाषाएं हैं.आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है लेकिन उसके अलावा योरुबा, हाउसा और इग्बो का भी संसद में इस्तेमाल होता है.
तस्वीर: P. U. Ekpei/AFP/Getty Images
इंडोनेशिया
द्वीपों के देश इंडोनेशिया में 707 जीवित भाषाएं हैं. इनमें से 98 भाषाओं को, जो सिर्फ कुछ खास इलाकों में बोली जाती हैं, लुप्त होने के खतरे वाली भाषआ घोषित किया गया है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/epa/A. Weda
पापुआ न्यूगिनी
पापुआ न्यूगिनी दुनिया में सबसे ज्यादा जीवित भाषाओं वाला देश है. एथनोलॉग डाटा के अनुसार वहां 839 भाषाएं हैं. सिर्फ पापुआ के पूर्वी भाग में ही इतनी भाषआएँ हैं जितनी पूरे यूरोप में. (एमएल/आरपी)
तस्वीर: picture alliance/Photoshot
10 तस्वीरें1 | 10
उनका कहना है कि असम साहित्य सभा स्थानीय भाषाओं को मरने नहीं देगी. अब सभा इस मुद्दे पर किसी की बात नहीं सुनेगी. राजबंशी ने कहा है कि यह सबके लिए आखिरी चेतावनी है. उन्होंने असम सरकार से भी इस मुद्दे पर कड़ा कदम उठाते हुए इसे लागू करने को कहा है.
लगभग सौ साल पुरानी यह संस्था राज्य में असमिया भाषा का मुद्दा उठाती रही है. उसने तमाम सरकारी और निजी संस्थानों और व्यापारिक और वित्तीय प्रतिष्ठानों से अपने होर्डिंग और नामपट्टिका में असमिया भाषा का इस्तेमाल करने को कहा है.
सभा ने असमिया भाषा के प्रचार-प्रसार की दिशा में काम नहीं करने के लिए गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ विश्वविद्लायों की खिंचाई करते हुए चेताया है कि स्थानीय भाषा को बढ़ावा नहीं देने वाले किसी निजी विश्वविद्यालय को राज्य में चलने नहीं दिया जाएगा. राजबंशी ने भाषा को बचाने के लिए जल्द कुछ कठोर फैसले लेने की भी बात कही है.
स्वागत
राज्य के बुद्धिजीवियों ने असमिया भाषा को बचाने की साहित्य सभा की पहल का स्वागत किया है. जाने-माने साहित्यकार डॉ. हीरेन गोहांई कहते हैं, "सरकार को राजभाषा अधिनियम के तमाम प्रावधानों को कड़ाई से लागू करना चाहिए."
लेखक और राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक हरेकृष्ण डेका कहते हैं, "असमिया के राजभाषा होने के बावजूद ज्यादातर सरकारी दफ्तरों में फाइलों पर टिप्पणियां अंग्रेजी में ही लिखी जाती हैं जबकि यह असमिया में लिखी जानी चाहिए. उसका अंग्रेजी अनुवाद मूल टिप्पणी के नीचे दिया जा सकता है."
उनका कहना है कि यहां सत्ता में आने वाली तमाम सरकारें राजभाषा अधिनियम को लागू करने के प्रति उदासीन रही हैं. डेका कहते हैं, "राज्य में काम करने वालों को स्थानीय भाषा का ज्ञान होना जरूरी है. लेकिन गैर-असमिया लोगों, खासकर जो नौकरी नहीं करते, पर इसे जबरन नहीं थोपा जा सकता."
सबसे ज्यादा अक्षर किस भाषा में हैं, जानिए
सबसे ज्यादा अक्षर किस भाषा में हैं
हर भाषा की लिपि उसकी एक अहम पहचान होती है. लिपि भाषा में इस्तेमाल होने वाली अलग अलग ध्वनियों को दर्शाने वाले अक्षरों से बनती हैं. लेकिन सबसे ज्यादा अक्षर किन लिपियों में हैं, चलिए जानते हैं.
तस्वीर: Getty Images
तमिल - 247
तमिल लिपि में मूल रूप से 31 अक्षर हैं. लेकिन इन अक्षरों से मिलकर लगभग 216 संयुक्ताक्षर बनते हैं. इस तरह कुल 247 अक्षरों के साथ तमिल दुनिया में सबसे ज्यादा अक्षरों वाली लिपि है.
तस्वीर: Reuters/N. Bhalla
खमेर - 74
खमेर दक्षिण पूर्व एशियाई देश कंबोडिया की आधिकारिक भाषा है. इसकी लिपि में कुल 74 अक्षर हैं. इनमें 35 व्यंजन हैं, हालांकि अब सिर्फ 33 ही इस्तेमाल होते हैं जबकि 14 स्वर हैं. बाकी अक्षर अन्य अक्षरों को मिलाकर बने हैं.
तस्वीर: Imago/blickwinkel
थाई - 70
थाईलैंड में बोली जाने वाली भाषा थाई को लिखने के लिए कुल 70 अक्षरों की जरूरत होती है. इनमें से 44 व्यंजन हैं और 15 स्वर. इनको मिलाने से कुछ नए अक्षर भी तैयार होते हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Perawongmetha
मलयालम - 58
मलयालम भारत के दक्षिणी राज्य केरल में बोली जाती है. इसकी लिपि में 13 स्वर, 36 व्यंजन और कुछ अन्य चिन्ह हैं. मलयालम के अलावा पानिया, बेट्टा कुरुंबा और रावुला जैसी छोटी भाषाओं को भी इसी लिपि में लिखा जाता है.
तस्वीर: UNI
तेलुगु - 56
तेलुगु भाषा भारत के दो राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बोली जाती है. इसकी लिपि कन्नड़ भाषा के बहुत करीब है और इसका मूल भी उसे ही माना है. इस लिपि का इस्तेमाल कई बार संस्कृति और गोंडी भाषा को लिखने के लिए भी होता है.
तस्वीर: UNI
सिंहाला- 54
सिंहाला श्रीलंका में बोली जाती है और वहां की आधिकारिक भाषा है. दिखने में बेहद सुंदर सिंहाला भाषा की लिपि में कुल 54 अक्षर होते हैं. यहां भी कई अक्षरों को मिलाकर संयुक्त अक्षर बनते हैं. यहां फोटो में सबसे ऊपर सिंहाला, फिर तमिल और अंग्रेजी में मतदान केंद्र की जानकारी दी गई है.
तस्वीर: Reuters/D. Liyanawatte
बांग्ला - 52
स्वर है जबकि व्यंजनों की संख्या 32 है. बाकी कई संयुक्त अक्षर भी हैं. बांग्ला लिपि देवनागरी लिपि के सबसे करीब दिखती है. न, म, ल, घ और थ जैसे अक्षरों में तो बहुत हद तक एकरूपता भी दिखती है.
तस्वीर: DW/M. Mostafigur Rahman
कन्नड़ -49
कन्नड़ दक्षिण भारत की चार अहम भाषाओं में से एक है जो कर्नाटक राज्य में बोली जाती है. कन्नड़ भाषा में 13 स्वर होते हैं, जिनमें अनुस्वार और विसर्ग शामिल नहीं हैं. वहीं व्यंजनों की संख्या 36 होती है.
तस्वीर: Jayalaxmi AgroTech
हिंदी- 44
हिंदी वर्णमाला भी स्वरों और व्यंजनों में विभाजित है. इनमें से 11 स्वर होते हैं और ऋ को भी मिला दें तो यह संख्या 12 हो जाती है. वहीं व्यंजनों की संख्या हिंदी में 33 है. इसके अलावा ज्ञ, क्ष और त्र जैसे संयुक्ताक्षर भी हैं.
तस्वीर: AP
हंगेरियन- 44
हंगेरियन वर्णमाला लैटिन वर्णमाला का ही विस्तार है जिसे हंगेरियन भाषा को लिखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसमें आपको A से Z तक अक्षरों के अलावा Dzs, Ny, Cs और Zs जैसी कई अक्षर भी दिखेंगे.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Kisbenedek
अबखाज - 41
जॉर्जिया के विवादित अबखाजिया हिस्से में यह भाषा बोली जाती है. यह 19 सदी में लिखी जाने वाली भाषा बनी. 1880 के दशक में पहली बार इसकी वर्णमाला तैयार की गई.
तस्वीर: Filip Warwick
अर्मेनियन- 39
यह भाषा अर्मेनिया में बोली जाती है. मूल रूप से इसकी वर्णमाला में 36 अक्षर थे लेकिन अब इनकी संख्या 39 है.
तस्वीर: Reuters/M. Sezer
अल्बानिया - 36
पूर्वी यूरोप के देश अल्बानिया में बोली जाने वाली इस भाषा की वर्णमाला भी लैटिन वर्णमाला पर आधारित है जबकि कुछ स्थानीय ध्वनियों को दर्शाने के लिए अतिरिक्त अक्षर इस्तेमाल किए गए हैं.
रूसी- 33
आधुनिक रूसी वर्णमाला में 33 अक्षर हैं. रूसी भाषा लिखने में जो अक्षर आम तौर पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं उनमें ओ, ए, आ, ई और न शामिल हैं. रूस के साहित्यकार दुनिया भर में मशहूर रहे हैं.
तस्वीर: picture alliance/Russian Look
अजरबैजानी - 32
अजरबैजान में बोली जाने वाली अजरबैजानी भाषा की वर्णमाला लैटिन वर्णमाला पर ही आधारित है. लेकिन उसमें कुछ अलग अक्षरों को भी शामिल किया गया है जैसे Çç, Ğğ या फिर Şş.
तस्वीर: picture alliance/AA /Stringer
अंग्रेजी - 26
शायद आपने भी बचपन में खूब रटा होगा कि अंग्रेजी वर्णमाला में 26 अक्षर होते हैं, जिनमें पांच स्वर और 21 व्यंजन हैं. दुनिया भर की सबसे प्रभावशाली भाषाओं में से एक अंग्रेजी इन्हीं 26 अक्षरों में बयान होती है.
तस्वीर: AP
ग्रीक- 24
ग्रीक वर्णमाला में कुल 24 अक्षर हैं जो अल्फा से शुरू होती है और ओमेगा में खत्म. ईसा पूर्व आठवी या नौवीं सदी से ग्रीक अक्षर इस्तेमाल हो रहे हैं. विज्ञान और गणित के कई प्राचीन सिद्धांतों और सूत्रों में आप ग्रीक अक्षर देख सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/P.Karadjias
हिब्रू- 22
अरबी या फारसी की तरह हिब्रू भाषा भी दायें से बाई की तरफ लिखी जाती है. इसमें कुल 22 अक्षर होते हैं. हिब्रू इस्राएल की आधिकारिक भाषा है और इसका इतिहास हजारों साल पुराना है.
तस्वीर: Getty Images
18 तस्वीरें1 | 18
जाने-माने साहित्यकार डॉ. नगेन सैकिया कहते हैं, "असम साहित्य सभा ने सही कदम उठाया है." उनकी दलील है कि पंजाब में पंजाबी और तमिलनाडु में तमिल भाषा की जानकारी अनिवार्य है. वह इसे असम सरकार की गलती मानते हैं जिसने राजभाषा अधिनियम को कड़ाई से लागू नहीं किया.
लेकिन आखिर असमिया लोगों की घटती तादाद की वजह क्या है ? तीन दशक से भी लंबे अरसे से राज्य में पत्रकारिता करने वाले समुद्र गुप्त कश्यप कहते हैं, "बांग्लदेश से होने वाली घुसपैठ औऱ टिवा व देउरी जैसी जनजातियों का असमिया भाषियों से अलग होना इसकी प्रमुख वजह है.
पहले इन दोनों जनजातियों की गिनती असमियाभाषी में होती थी." वह कहते हैं कि यह मुद्दा पुराना है. लेकिन अब नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस (एनआरसी) के अपडेट होने की कवायद से सामने आने वालों आंकड़ों के चलते स्थानीय भाषा और संस्कृति को बचाने की मांग धीरे-धीरे तेज हो रही है.
हिंदी को आप कितना जानते हैं
हिंदी को आप कितना जानते हैं?
हिंदी भाषियों को हिंदी के बारे में बताना सूरज को दीपक दिखाने जैसा है. लेकिन फिर भी कई ऐसी बातें हो सकती हैं जो आप न जानते हों, डालते हैं इन्हीं पर एक नजर.
तस्वीर: AP
कैसे मिला नाम
हिंदी को अपना नाम हिंद से मिला. 11वीं सदी में फारसी भाषी तुर्क हमलावरों ने सिंधु नदी के इलाके को हिंद नाम दिया था. और इस तरह हिंद में इलाके में बोलने वाली भाषा को नाम हिंदी पड़ा.
तस्वीर: AP
पहली किताब
लल्लू लाल की ‘प्रेम सागर’ हिंदी की पहली प्रकाशित किताब मानी जाती है जो 1805 में छपी थी. इस किताब में हिंदू देवता कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया गया है.
तस्वीर: Fotolia/Gennady Shingarev
हिंदी बोलने वाले कितने?
हिंदी को अपनी प्रथम भाषा के तौर पर इस्तेमाल करने वालो की संख्या 42.5 करोड़ है जबकि 1.2 करोड़ लोग अपनी दूसरी भाषा के तौर पर हिंदी बोलते हैं और समझते हैं.
तस्वीर: Reuters/C. McNaughton
भारत की सबसे प्रचलित भाषा
बहु भाषी भारत में बांग्ला, तेलुगु, तमिल, मराठी, उड़िया और गुजराती जैसी कई बड़ी भाषाएं हैं, लेकिन हिंदी सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली भाषा है.
तस्वीर: DW/ P. Mani Tewari
हिंदी पट्टी
भारत के नौ राज्यों में हिंदी मुख्य भाषा है जिनमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल हैं.
तस्वीर: DW/S.Waheed
विदेशों में हिंदी
भारत के अलावा नेपाल, मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिडाड और टोबोगो में भी हिंदी बोलने समझने वालों की अच्छी खासी संख्या है.
तस्वीर: DW/V. Kumar
सरकारी दर्जा
भारत में हिंदी को राज भाषा का दर्जा मिला हुआ है. हालांकि बहुत सारा सरकारी कामकाज अंग्रेजी में होता है. करियर के लिहाज से अंग्रेजी को बहुत अहम माना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/ZB
टेढ़ी हिंदी
उच्चारण के लिहाज किम्कर्तव्यविमूढ़ को हिंदी के सबसे मुश्किल शब्दों में गिना जाता है. वहीं ट्रेन को लोग लौहपथगामी और सिगरेट को धूम्रपान दंडिका कह लोग खूब चुटकी लेते हैं. वहीं कच्चा पापड़-पक्का पापड़ पर खूब जबान पलटे मारती है.
तस्वीर: Fotolia/Dmitry Chernobrov
मददगार हिंदी
हिंदी का उदगमम संस्कृत से हुआ है. हिंदी की जानकारी संस्कृत, उर्दू, नेपाली, बांग्ला और गुजराती जैसी दूसरी भाषाएं सीखने में मददगार होती है. यह भाषाएं या तो बोलने में हिंदी जैसी हैं यहां लिखने में.
तस्वीर: DW/Nirmal Yada
चर्चित मुहावरे
दुनिया की हर समृद्ध भाषा की तरह हिंदी में भी मुहावरों और कहावतों की भरमार है. लोगों की जुबान पर कर भला हो भला, जैसी करनी वैसी भरनी, जैसे को तैसा, बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद और बहती गंगा में हाथ धोना जैसे मुहावरे होते हैं.
तस्वीर: DW/M. Ansari
बॉलीवुड
दुनिया भर में बॉलीवुड फिल्मों की लोकप्रियता ने हिंदी को दुनिया के कोने कोने तक पहुंचाया है. यूरोप और अमेरिका की बहुत सी यूनिवर्सिटियों में हिंदी पढ़ाई जाती है.