सरकारी आंकड़े दावा कर रहे हैं कि भारत की जीडीपी की विकास दर में 20 प्रतिशत का उछाल आया है. उछाल आया तो है, लेकिन अभी भी स्थिति चिंताजनक ही बनी हुई है. आइए जानते हैं कैसे.
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सरकारी आंकड़े मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून तक के हैं. ये आंकड़े दिखा रहे हैं कि इस दौरान भारत के सकल घरेलु उत्पाद में पिछले साल इसी अवधि के आंकड़ों के मुकाबले 20.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
अपने आप में यह चौंकाने वाला तथ्य लगता है क्योंकि कहा तो यह जा रहा है कि अर्थव्यवस्था में मंदी फैली हुई है. अगर जीडीपी 20 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रही है तो कहां है मंदी? सवाल और भी महत्वपूर्ण बन जाता है जब आप याद करते हैं कि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में जीडीपी में 24.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी.
असली तस्वीर
तो असलियत क्या है और सही मायनों में क्या हो रहा है? क्या जीडीपी वाकई तेजी से बढ़ रही है? अधिकतर अर्थशास्त्री आंकड़ों के इस खेल को एक भ्रम बता रहे हैं. आइए जानते हैं कि वो ऐसा क्यों कह रहे हैं.
दरअसल पिछले साल महामारी से लड़ने के लिए पूरे देश में जो तालाबंदी लगाई गई थे, उससे देश में आर्थिक गतिविधि लगभग पूरी तरह से रुक गई थी. इस वजह से जीडीपी का बेस यानी आधार ही बहुत नीचे चला गया, जिसे करीब 24 प्रतिशत की गिरावट के तौर पर नापा गया.
जब बेस बहुत नीचे चला जाता है तो हलकी सी उछाल भी बड़े सुधार का भ्रम पैदा कर देती है, जब की असल में हालात में उतना सुधार नहीं आया होता है. आप खुद सोच सकते हैं कि अगर जीडीपी पिछले साल 24 प्रतिशत गिर गई थी और इस साल उसी अवधि में 20 प्रतिशत ऊपर आई है तो क्या ये वाकई बहुत बड़ी खुशखबरी है?
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महामारी के पहले का स्तर
इसे ऐसे भी समझा जा सकता है. मान लीजिए पिछले साल देश की जीडीपी 100 रुपए थी. 24 प्रतिशत की गिरावट आने के बाद वो 76 रुपयों पर पहुंच गई. अब अगर उसमें 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, तो वो ऊपर तो बढ़ी है लेकिन बस 91 रुपयों तक पहुंच पाई है.
यानी 100 रुपयों से आगे बढ़ना तो दूर, वो वापस 100 रुपयों तक भी नहीं पहुंच पाई है. बल्कि अगर ताजा आंकड़ों को इसके ठीक पहले की तिमाही यानी जनवरी 2121 से मार्च 2021 के आंकड़ों से तुलना करें तो आप पाएंगे की जीडीपी में करीब 17 प्रतिशत की गिरावट आई है.
कई अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर देश की अर्थव्यवस्था के मौजूदा स्वास्थ्य का सही अंदाजा लगाना है तो उसकी तुलना महामारी के पहले के हालात यानी वित्त वर्ष 2019-20 के आंकड़ों से करनी चाहिए.
रुकी हुई खपत
भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने एक ट्वीट में बताया कि अप्रैल-जून 2019 के मुकाबले जीडीपी की ताजा विकास दर माइनस 9.2 है, यानी उसमें 9.2 की गिरावट आई है.
जानकारों का कहना है कि इतना ही नहीं, चिंता का असली विषय आंकड़ों के और अंदर छिपा हुआ है. जीडीपी का करीब 55 प्रतिशत अर्थव्यवस्था में खपत के स्तर से बनता है और इसे आर्थिक प्रगति का एक बड़ा सूचक माना जाता है.
खपत पिछली कई तिमाही से गिरी ही हुई है और ताजा आंकड़ों में तो नजर आ रहा है कि यह गिर कर 2017-18 के स्तर के आस पास पहुंच चुकी है. यानी आम लोग अपनी खपत या खर्च बढ़ा नहीं रहे हैं.
खपत नहीं बढ़ेगी तो अर्थव्यवस्था में निवेश भी नहीं होगा. इसलिए जानकार आगाह कर रहे हैं कि अगर इन आंकड़ों को ठीक से नहीं देखा गया तो अर्थव्यवस्था की असली तस्वीर का गलत अंदाजा लग सकता है.
कोरोना काल का बजट किसके लिए क्या लेकर आया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट पेश किया. कोरोना काल के दौरान अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई बड़े ऐलान किए गए हैं. इस बार बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में जोर दिया गया है.
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आत्मनिर्भर भारत
केंद्र सरकार ने बजट में कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए आत्मनिर्भर पैकेज के तहत 27.1 लाख करोड़ रुपये की घोषणा की जो जीडीपी का 13 प्रतिशत से अधिक है.
तस्वीर: Manish Kumar/DW
कोविड-19 टीका
वित्त मंत्री ने कहा भारत के पास अभी कोविड-19 महामारी के खिलाफ दो टीके हैं, दो और टीके जल्द ही आने वाले हैं. उन्होंने कहा कि देश ने 100 या उससे भी ज्यादा देशों के लोगों को कोविड-19 के खिलाफ सुरक्षा मुहैया कराई है.
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स्वास्थ्य पर जोर
स्वास्थ्य का बजट 94,000 करोड़ से बढ़ाकर दो लाख 22 हजार कर दिया गया है. वित्त मंत्री के मुताबिक स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट को 137 फीसदी तक बढ़ाया गया है. 2021-22 में कोरोना वैक्सीन के लिए वित्त मंत्री ने 35,000 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है.
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प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना
64,180 करोड़ रुपए के बजट के साथ प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना शुरू होगी, जिसके तहत अगले कुछ सालों में सरकार ये रुपये खर्च करेगी. बजट में देशभर में 75 हजार स्वास्थ्य केंद्रों के बनाने और 17 नए सार्वजनिक स्वास्थ्य यूनिट शुरू किए जाने की भी घोषणा हुई.
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डिजीटल जनगणना
देश में अगली जनगणना की प्रक्रिया डिजीटल होगी. इसके लिए सरकार 3,760 करोड़ रुपये देगी. आगामी जनगणना पहली डिजीटल जनगणना होगी.
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उज्ज्वला योजना का विस्तार
बजट भाषण में वित्त मंत्री ने उज्ज्वला योजना के विस्तार की घोषणा की, जिसमें 1 करोड़ और लाभार्थियों को शामिल किया जाएगा, इसके साथ ही अगले 3 सालों में 100 और अधिक जिलों को सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क से जोड़ा जाएगा.
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जल जीवन मिशन
जल जीवन मिशन (शहरी) के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य 4,378 शहरी स्थानीय निकायों में 2.86 करोड़ घरेलू नल कनेक्शनों के साथ जल आपूर्ति व्यवस्था करना है.
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75 साल से अधिक उम्र वालों को राहत
निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि 75 साल से अधिक उम्र वाले वरिष्ठ नागरिकों को इनकम टैक्स रिटर्न भरने से छूट दी जा रही है जिनकी आमदनी सिर्फ पेंशन और ब्याज से है.
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बैंक डूबने पर ग्राहकों को नुकसान नहीं
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में और 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा. बजट में आम लोगों को बड़ी राहत देते हुए बैंक में जमा पर मौजूदा एक लाख रुपये के बीमा कवर को बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने का ऐलान किया गया है. वित्त मंत्री के मुताबिक बैंकों के बंद होने पर ग्राहकों को नुकसान का भुगतान किया जाएगा.
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गगनयान मिशन
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में भारत के महत्वाकांक्षी मिशन गगनयान के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड इस बार पीएसएलवी-सीएस51 को लॉन्च करेगा. गगनयान मिशन का मानव रहित पहला लॉन्च इसी साल दिसंबर में होगा.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Indian Space Research Organization
किसानों के लिए ऐलान
किसान आंदोलन के बीच सरकार ने बजट में एक बार फिर दोहराया कि वह किसानों की आय दोगुना करने के लिए प्रतिबद्ध है. बजट भाषण में सीतारमण ने बताया कि कृषि खरीद में लगातार बढ़ोतरी हुई है जिससे किसानों को फायदा हो रहा है. ऑपरेशन ग्रीन स्कीम में जल्द खराब होने वाली 22 फसलों को शामिल किया जाएगा. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कृषि कर्ज का लक्ष्य 16.5 लाख करोड़ रखा गया है.
तस्वीर: Mohsin Javed
गरीबों की चिंता
प्रवासी मजदूरों के लिए एक देश-एक राशन कार्ड योजना को 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू करने की प्रक्रिया जारी है. इसके जरिए गरीबों को मदद मिल सकेगी. प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार एक पोर्टल शुरू करने जा रही है, जिसके जरिए प्रवासी मजदूरों की जानकारी जुटाई जा सकेगी.