अस्पताल में हुई सरबजीत की मौत
२ मई २०१३पाकिस्तान में बम हमले के सिलसिले में फांसी की सजा का इंतजार कर रहे 49 साल के सरबजीत सिंह जेल में हुए हमले के बाद कोमा में चले गए. 26 अप्रैल को लाहौर के कोट लखपत जेल में दूसरे बंदियों ने उनपर हमला किया. उनके सर पर ईंटों से वार किया गया जिससे हड्डियों में फ्रैक्चर हो गया था.
भारत सरकार ने इस बीच शिकायत की है कि भारतीय राजनयिकों को कैदी सरबजीत से मिलने की इजाजत नहीं दी गई. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस बात को लेकर खेद जताया कि पाकिस्तान ने इस मामले को मानवीय तरीके से देखने से इनकार कर दिया. मनमोहन सिंह ने बताया कि सरबजीत का शव वापस भारत लाने के लिए पूरी तैयारियां की जा रही हैं.
भारत में सरबजीत पर हमले और उसकी मौत से काफी नाराजगी है. नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ा रहीं सविता पांडे ने डीडब्ल्यू को बताया, "इसका बहुत बुरा असर पड़ा है. जेल में सरबजीत पर जानलेवा हमला वहां मौजूद लोगों की मिली भगत के बिना संभव नहीं होता." पाकिस्तान में सुरक्षा विश्लेषक हसन अस्करी रिजवी कहते हैं कि हो सकता है सरबजीत पर हमले की योजना बनाई गई हो, लेकिन पाकिस्तानी सरकार का इसमें कोई हाथ नहीं हो सकता. वह इसलिए, क्योंकि अगर पाकिस्तान की सरकार सरबजीत को खत्म करना चाहती, तो वह उसे फांसी की सजा भी दे सकती थी.
पाकिस्तान का कहना है कि सरबजीत से राजनयिकों को मिलने की इजाजत दी गई और उसे बचाने के लिए लाहौर में डॉक्टरों ने हर तरह की कोशिश की. सरबजीत की मौत दिल के दौरे से हुई. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "कैदी कोमा में था और पिछले दिनों से उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था. उसके इलाज में कोई कमी नहीं थी और जिन्नाह अस्पताल में कर्मचारी उसकी जान बचाने के लिए बिना रुके काम कर रहे थे." पाकिस्तान विदेश मंत्रालय का कहना है कि उसने सिंह के परिवार और भारतीय अधिकारियों की पूरी मदद की है. वह सरबजीत के शव को जल्दी से जल्दी भारत भेजने की कोशिश कर रहा है. इस बीच सरबजीत के वकील ओवैस शेख ने कहा है कि उसके शव को मुर्दाघर में रखा गया है और डॉक्टर शव की जांच की तैयारी कर रहे हैं.
सरबजीत पर हमले के बाद लाहौर जेल के दो कैदियों को हिरासत में ले लिया गया था. उनपर अब हत्या के आरोप हैं. अब तक हमले के मकसद के बारे में पता नहीं चल पाया है लेकिन पाकिस्तानी पुलिस के मुताबिक कैदियों की सरबजीत से बहस हो गई थी. सरबजीत के वकील शेख ने बताया कि भारत में एक कश्मीरी अलगाववादी की मौत के बाद सरबजीत को धमकियां दी जा रही थीं. हाल ही में 2001 के संसद हमलों के सिलसिले में अफजल गुरू को फांसी दी गई थी.
लेकिन पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है कि इस घटना की वजह से दोनों देशों के रिश्तों पर फर्क नहीं पड़ेगा. पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल तलत मसूद ने बताया कि भारतीय राजनीति पर इस मामले का असर पड़ सकता है क्योंकि बाकी पार्टियां कांग्रेस पर दबाव डालेंगीं लेकिन अगर पाकिस्तान सरबजीत के परिवार को उसका शव सौंप देता है तो यह उसकी छवि के लिए अच्छा होगा. पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी हमले की निंदा की है और सरकार से मांग की है कि हमले के लिए जिम्मेदार कैदियों को सजा दी जाए.
वहीं, डॉ सविता पांडे मानती हैं कि इससे भारत पाक रिश्तों को नुकसान होगा."आप जानते हैं कि ऐसे मामलों में सार्वजनिक मत भारत की विदेश नीति तय करता है. हाल ही में भारतीय सैनिक का जब सर अलग किया गया, तब से लेकर अब तक भारत पाक रिश्तों में दरार बढ़ी है. और यह घटना अब रिश्तों को और खराब करेगा." विश्लेषक रिजवी भी मानते हैं कि इस साल की शुरुआत से ही पाकिस्तान और भारत में रिश्ते खराब रहे हैं. "कोई डायलॉग इस वक्त पाकिस्तान हिंदुस्तान के बीच नहीं हो रही. सरबजीत वाली घटना से जो तनाव है, उसमें इजाफा होगा. अगर कोई संभावना थी कि बातचीत जल्द शुरू होगी, तो शायद फौरी तौर पर नहीं होगा क्योंकि दोनों देशों के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे."
पाकिस्तान ने सरबजीत सिंह को 1990 में पाकिस्तानी पंजाब प्रांत में हुए बम हमलों का दोषी ठहराया है. उस वक्त 14 लोग मारे गए थे. सरबजीत के परिवार का मानना है कि पाकिस्तानी सरकार को गलतफहमी हुई है और सरबजीत गलती से सरहद पार कर गया था.
एमजी/एमजे(एएफपी, रॉयटर्स)