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अहिंसा के सिद्धांत की रक्षा करें युवा: दलाई लामा

२ अप्रैल २०११

निर्वासित जीवन जी रहे तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का मानना है कि युवा भारतीयों को अहिंसा के सिद्धांतों की रक्षा में ज्यादा बड़ी भूमिका निभानी चाहिए और इसका संदेश दुनिया भर में फैलाना चाहिए.

तस्वीर: AP

भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं की तारीफ करते हुए दलाई लामा ने कहा कि भारत ने ही दुनिया को लोकतंत्र का असली मतलब समझाया. देश के युवाओं को हजारों साल में अलग अलग संस्कृतियों के बीच विकसित हुई परंपराओं को जिंदा रखने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए.

दलाई लामा ने कहा, "अहिंसा और अध्यात्म के बारे में मुझे आपसे कुछ नहीं कहना है. आप इन सबको आधुनिक विश्व के कम से कम 2000 सालों से जानते आ रहे हैं." दिल्ली के नेहरू मेमोरियल म्यूजियम में अहिंसा और अध्यात्म पर चर्चा के लिए बुलाई गई एक सभा में तिब्बती धर्मगुरु ने ये बातें कहीं. पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरण की जन्मशती के मौके पर इस चर्चा का आयोजन किया गया.

इसके साथ ही दलाई लामा ने यह भी कहा, "भारत की नई पीढ़ी जो तकनीक और विज्ञान में खूब दिलचस्पी दिखा रही है, उसे उन परंपराओं के बारे में बताना जरूरी है. मैं कहना चाहता हूं कि देश का विकास जरूर कीजिए लेकिन उन परंपराओं को भी कायम रखिए."

नेहरू की याद

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से अपनी मुलाकात को याद करते हुए दलाई लामा ने कहा कि वह उनसे असहमत हो सकते थे पर नाराज नहीं और इससे पता चल जाता है कि भारत में स्वस्थ आलोचना की परंपरा रही है.

दलाई लामा ने बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सफलता की वजह हजारों साल से चली आ रही स्वस्थ आलोचना की परंपरा है. खुद को भारत के प्राचीन विचारों का संदेशवाहक मानके हुए और भारत से अपने रिश्ते को गुरु चेले का रिश्ता बताते हुए दलाई लामा ने कहा कि भारतीय लोगों को अहिंसा को दुनिया भर के इंसानों तक पहुंचाने के लिए उन्हें बड़ी भूमिका निभानी चाहिए.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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