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आंख मारते ही जूम

१८ फ़रवरी २०१५

कभी कभार हम सोचते हैं कि काश आंखों में जूम करने की ताकत होती तो हम दूर की चीज को बारीकी से देख पाते. स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिक जूम करने वाला कॉन्टेक्ट लेंस बना रहे हैं, जो आपके पलक झपकाते ही जूम इन और जूम आउट करेगा.

तस्वीर: Fotolia/Africa Studio

नेत्र विज्ञान के विशेषज्ञों के मुताबिक नया कॉन्टेक्ट लेंस एक छोटी सी दूरबीन से लैस है. ऐसी दूरबीन जो आपके पलक झपकाने पर काम करेगी. पलक झपकते ही ये पास की किसी चीज पर जूम करेगी. दुनिया भर में इस वक्त 28 करोड़ लोग कमजोर नजर से जूझ रहे हैं.

नए कॉन्टेक्ट लेंस में एक परावर्ती दूरबीन को 1.55 मिलीमीटर पतले लेंस के बीच में डाला गया है. इस लेंस को 2013 में स्विस शहर लुजान के पॉलिटेक्निक ने पेश किया. लेंस को एरिक ट्रेम्बले और उनकी टीम ने विकसित किया है. 2013 के बाद से इसमें काफी सुधार किए जा रहे हैं.

यह लेंस स्मार्ट चश्मे के साथ आएगा. पलक झपकाते ही स्मार्ट चश्मे को सिग्नल मिलेगा. दांयी पलक झपकाने से दूरबीन जूम करेगी. बायीं आंख मारते ही जूम आउट होगा.

गूगल भी स्मार्ट कॉन्टेक्ट लेंस के बाजार मेंतस्वीर: picture-alliance/dpa

अमेरिकी शहर कैलिफोर्निया में अमेरिकन एसोसिएशन फॉर एडवांसमेंट ऑफ साइंस की वार्षिक बैठक को सम्बोधित करते हुए एरिक ट्रेम्बले ने कहा, "हमें लगता है कि ये लेंस कमजोर नजर और उम्र के साथ मांसपेशियों के विघटन से जूझ रहे लोगों के लिए उम्मीदों भरा है. फिलहाल इस पर रिसर्च हो रही है, लेकिन हमें उम्मीद है कि ये एएमडी (एज रिलेटेड मस्कुलर डिसऑर्डर) के शिकार लोगों के लिए एक वास्तविक विकल्प बन सकता है."

लेंस किसी चीज को 2.8 गुना बड़ा दिखा सकता है. इसकी मदद से कमजोर नजर वाले लोग आसानी से पढ़ सकेंगे. साथ ही वो चेहरों और चीजों को पहचान सकेंगे. शोध को डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी से वित्तीय मदद मिल रही है. एजेंसी को उम्मीद है कि इस तकनीक की मदद से सैनिकों के लिए एक बायोनिक नजर तैयार हो सकेगी.

शोध कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि, "छोटे दर्पण प्रकाश को इधर उधर फेंकते हैं, इससे ऑब्जेक्ट का आभासी आकार बड़ा होने लगता है और वो बड़ा नजर आने लगता है. यह बहुत ही छोटी दूरबीन से कुछ देखने जैसा है."

लेकिन ट्रेम्बले बार बार जोर देकर कह रहे हैं कि अभी बहुत ज्यादा उत्साहित होने की जरूरत नहीं है. जूम वाले इन कॉन्टेक्ट लेंसों के अभी कई टेस्ट किये जाने हैं. हमारी आंखें बहुत संवेदनशील होती हैं. उन्हें लगातार ऑक्सीजन की जरूरत होती है. फिलहाल जो लेंस बनाया गया है उसमें प्लास्टिक के टुकड़े, एल्युमीनियम के दर्पण और पोलराइजिंग फिल्म है. स्विस वैज्ञानिकों की कोशिश है कि इस नए लेंस को 1.55 मिलीमीटर के बजाए 0.1 मिलीमीटर पतला किया जाए. ऐसा होने पर आंख को लगातार ऑक्सीजन मिलती रहेगी.

ओएसजे/आरआर (एएफपी)

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