जापान में 11 मार्च 2011 को आए भयानक भूकंप और सूनामी के कारण हुए फुकुशिमा हादसे को चेर्नोबिल के बाद सबसे बड़ी परमाणु दुर्घटना माना जाता है. देश ने आज महाप्रलय की पांचवी सालगिरह मनाई.
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जापान ने ठीक पांच साल पहले के उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन को याद किया जब रिष्टर स्केल पर 9 तीव्रता वाले भूकंप और भयंकर सूनामी के कारण साढ़े 18 हजार से भी अधिक लोगों की जान चली गई थी. जापानी समय के अनुसार अपराह्न 2:46 बजे सम्राट आकिहितो, सम्राज्ञी मिशिको और प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने ठीक उसी पल देश के तमाम लोगों के साथ अपना सिर झुका कर मारे गए लोगों को याद किया.
सूनामी के कारण जापान के उत्तरी तटीय इलाके में स्थित फुकुशिमा परमाणु केंद्र पर भी शक्तिशाली लहरों का हमला हुआ. फुकुशिमा दाइची पावर प्लांट के रिएक्टरों में टूट फूट हुई और परमाणु छड़ों के गलने से निकले विकिरणों के कारण बड़ी परमाणु दुर्घटना हुई. 1986 में चेर्नोबिल में हुई परमाणु दुर्घटना के असर के कारण आज तक वहां के कुछ इलाके इंसानों के रहने योग्य नहीं हैं.
जापानी कैबिनेट ने इसी दिन करीब 57 अरब डॉलर की एक नई पंचवर्षीय पुनर्निमाण योजना को मंजूरी दी. साल 2020 तक इस दुर्घटना से प्रभावित हुए लोगों के लिए सार्वजनिक आवासों का निर्माण, स्वास्थ्य सेवाएं, सभी जरूरी बुनियादी ढांचों की स्थापना और पर्यटन प्रोजेक्टों का निर्माण किया जाना है. जापान की नेशनल पॉलिसी एंजेसी ने बताया है कि सुनामी के कारण करीब 16 हजार लोग मारे गए थे और ढाई हजार लापता हो गए थे.
फुकुशिमा दाइची पावर प्लांट के छह में से तीन रिएक्टर बर्बाद हो गए थे और उनसे निकले विकिरण के कारण फुकुशिमा के आसपास के बहुत बड़े इलाके में खतरनाक किरणों का प्रभाव फैल गया. इसी कारण वहां से डेढ़ लाख से भी अधिक लोगों को उनके घरों से हटाना पड़ा. आवासों की कमी के कारण आज भी बहुत से लोग अस्थाई ठिकानों में रह रहे हैं. इस मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जापानी लोगों के प्रति अपनी संवेदनाएं एक संदेश के माध्यम से भेजी हैं.
टोक्यो से हर साल दुर्घटना प्रभावित इलाकों में जाने वाले डॉक्टर मसाकी कामेई के इन सालों में कुछ बदलाव दिखता है. कामेई ने बताया, "पिछले साल के मुकाबले ये अंतर दिख रहा है कि मछुआरे भोर होने के पहले ही मछलियां पकड़ने जा चुके हैं. शहरों में आम कामकाज सामान्य के काफी करीब हो चुका दिखता है." हालांकि उन्हें भी महसूस हुआ कि "हर ओर निर्माण कार्य चल रहा है जिसका शोर सुनाई देता रहता है." फिर भी सामान्य जीवन तक पहुंचने का सफर अभी लंबा लगता है.
भूकंप: सात सबसे खतरनाक जगहें
नेपाल में भूकंप के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में इस तरह के और भी झटके महसूस किए जा सकते हैं. नेपाल दुनिया की उन जगहों में से एक है जहां भूकंप और उसके कारण तबाही का खतरा सबसे ज्यादा है.
तस्वीर: Reuters/N. Chitrakar
धरती के नीचे हरकत
धरती की ऊपरी सतह सात टेक्टॉनिक प्लेटों से मिल कर बनी है. जहां भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है. नेपाल में यूरेशियन प्लेट और इंडियन प्लेट एक दूसरे पर दबाव डालती हैं. शनिवार को इसी के जमीन खिसकी और भूकंप आया. एक नजर दुनिया की सात सबसे खतरनाक जगहों पर.
नेपाल, भक्तपुर
इसे काठमांडू घाटी का सबसे अहम शहर माना जाता रहा है. क्षेत्रफल के हिसाब से भी यह घाटी का सबसे बड़ा शहर रहा है और मुख्य सांस्कृतिक केंद्र भी. किसी जमाने में यही नेपाल की राजधानी हुआ करती थी. भूकंप से पहले की तस्वीर.
तस्वीर: picture alliance/landov
नेपाल, भक्तपुर
हाल ही में आए भूकंप से यहां सबसे ज्यादा तबाही मची है. 10,000 लोगों के मारे जाने की आशंका है. अगला भूकंप कब आएगा, कहना मुश्किल है. भूकंप के बाद की तस्वीर.
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui
जापान, फुकुशिमा
नेपाल से कुछ 5,000 किलोमीटर दूर स्थित जापान 2011 में इसी तरह के अनुभव से गुजर चुका है. देश की अब तक की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा में 18,000 से ज्यादा लोगों की जान गयी. फुकुशिमा परमाणु संयंत्र को भी बंद करना पड़ा. हाल के समय की तस्वीर.
तस्वीर: AFP/Getty Images/JIJI Press
जापान, फुकुशिमा
भूकंप से बचाव की नीति में जापान दुनिया में सबसे आगे है. वहां भूकंप को ध्यान में रख कर घर बनाए जाते हैं. लेकिन भूकंप से उठी सूनामी लहरों ने भारी तबाही मचाई. भूकंप के बाद की तस्वीर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हिन्द महासागर, अंडमान
भारतीय द्वीप अंडमान ठीक उस जगह पर स्थित है जहां इंडोऑस्ट्रेलियन और यूरेशियन प्लेटें आपस में टकराती हैं. ऐसे में भूकंप और उससे उठने वाले सूनामी का खतरा बना रहता है. हाल के समय की तस्वीर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हिन्द महासागर, अंडमान
भारत समेत बांग्लादेश, म्यांमार, थाइलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया के तटवर्ती इलाकों में यह खतरा मंडराता रहता है. 26 दिसंबर 2004 को सुमात्रा के भूकंप से उठे सूनामी ने 2,30,000 लोगों की जान ली. भूकंप के बाद की तस्वीर.
तस्वीर: AFP/Getty Images/Choo Youn Kong
चीन, युन्नान
दक्षिण पश्चिमी चीन में स्थित युन्नान प्रांत अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जितना जाना जाता है उतना ही भूकंप के लिए भी. यह प्रांत इंडोऑस्ट्रेलियन और यूरेशियन प्लेटों की उत्तरी सीमा पर स्थित है. भूकंप से पहले की तस्वीर.
तस्वीर: picture alliance/ZUMA Press
चीन, युन्नान
2014 में यहां आए भूकंप से एक लाख लोग बेघर हो गए. इससे पहले 2008 में सिचुआन प्रांत में भूकंप के कारण 70,000 लोगों की जान गयी. भूकंप के बाद की तस्वीर.
तस्वीर: Reuters
इटली, लाक्वीला
2009 में इटली में आए भूकंप में 300 लोगों की जान गयी और 10,000 से ज्यादा बेघर हुए. भूकंप के बाद सरकार ने सात भूवैज्ञानिकों को गिरफ्तार करने के आदेश दिए क्योंकि उन्होंने वक्त रहते भूकंप की चेतावनी जारी नहीं की. भूकंप के बाद की तस्वीर.
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इटली, लाक्वीला
गिरफ्तारी को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इटली की कड़ी आलोचना हुई. वैज्ञानिक जगत इस बात पर सहमत है कि भूकंप का सही पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता. भूकंप से पहले की तस्वीर.
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अमेरिका, सैन फ्रैंसिस्को
1906 में कैलिफोर्निया राज्य के इस शहर में जो भूकंप आया उसे अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा भूकंप माना जाता है. 3,000 लोग मारे गए और पूरा शहर तबाह हो गया. भूकंप के बाद की तस्वीर.
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अमेरिका, सैन फ्रैंसिस्को
इस जगह नॉर्थ अमेरिकन प्लेट पैसिफिक प्लेट के नीचे खिसक रही है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस हलचल के कारण आने वाले समय में बहुत भयानक भूकंप का सामना करना पड़ सकता है. हाल के समय की तस्वीर.
तस्वीर: DW
चिली, वाल्दीविया
9.5 की तीव्रता के साथ 1960 में अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप चिली के तट पर अनुभव किया गया. इसमें 1,700 लोग मारे गए और लाखों बेघर हुए. भूकंप के बाद की तस्वीर.
तस्वीर: AP
चिली, वाल्दीविया
वैज्ञानिकों का कहना है कि चिली की धरती काफी समय से स्थिर है. एक तरफ तो यह स्थानीय लोगों के लिए अच्छी खबर है पर दूसरी ओर वैज्ञानिक इसे इस बात का संकेत भी मानते हैं कि जब भी कभी यहां प्लेटें हिलेंगी तब बेहद तबाही मचेगी. हाल के समय की तस्वीर.