आइवरी कोस्ट नरसंहार की जांच के आदेश
४ अप्रैल २०११रिपोर्टें हैं कि देश के पश्चिमी कस्बे डुएकोए में 800 लोगों की सामूहिक हत्या कर दी गई है. कस्बे के आस पास जगह जगह लोगों के शव बिखरे हुए हैं. आरोप लग रहे हैं कि नरसंहार में अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त राष्ट्रपति अलासान वतारा के समर्थकों का भी हाथ है.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने वतारा ने नरसंहार की जांच करने को कहा है. नरसंहार को घृणित और निंदनीय बताते हुए मून ने कहा कि इसके दोषियों को सजा मिलनी चाहिए. वहीं वतारा ने इस बात से इनकार किया है कि उनके समर्थक किसी भी तरह नरसंहार से जुड़े हैं. वतारा ने जांच के आदेश दे दिए हैं.
हालात चिंताजनक
इस बीच देश के सबसे बड़े शहर अबिदजान में हालात नाजुक बने हुए हैं. एयरपोर्ट को फ्रांसीसी सेना ने नियंत्रण में ले लिया है. रविवार को विदेशी नागरिकों का पहला जत्था आइवरी कोस्ट से निकला. बड़ी संख्या में विदेशी किसी तरह आइवरी कोस्ट से निकलना चाह रहे हैं. फ्रांस की सरकार भी अपने 12,000 नागरिकों को वहां से निकालने की योजना बना रही है.
अबिदजान में वतारा और राष्ट्रपति पद छोड़ने से इनकार कर रहे लौरां ग्बाग्बो की सेनाओं के बीच घमासान जारी है. वतारा सरकार के प्रधानमंत्री गुइलेम सोरो ने कहा है कि उनकी सेनाओं ने ग्बाग्बो खेमे पर जोरदार हमला शुरू कर दिया है. वतारा के टेलीविजन चैनल पर प्रधानमंत्री ने कहा, ''हमारी रणनीति थी कि अबिदजान को घेर लिया जाए, इसमें हम सफल भी हुए हैं. हमने अपने जवानों को शहर के केंद्र में ग्बाग्बो , उनकी सेना, उनके आतंकवादियों और उनके भाड़े के सैनिकों पर हमला करने के लिए भेज दिया है.''
सेना प्रमुख ग्बाग्बो के साथ
लेकिन इस घमासान में रविवार को एक बड़ा नाटकीय बदलाव हुआ. आइवरी कोस्ट के सेना प्रमुख ने ग्बाग्बो की सेना से हाथ मिला लिया. सूत्रों के मुताबिक सेना प्रमुख फिलिप मांगो ने दक्षिण अफ्रीका के राजदूत का घर छोड़कर ग्बाग्बो के पक्ष में उतरने का फैसला किया है. इससे पहले मांगो ने लड़ाई से दूर रहते हुए अपने और अपने परिवार के लिए राजनीतिक शरण मांगी थी. शरण के तहत वह दक्षिण अफ्रीका के राजदूत के घर पर रह रहे थे.
आइवरी कोस्ट में पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव हुए. चुनावों में अलासान वतारा की जीत हुई. लेकिन नतीजा आने के बाद राष्ट्रपति लौरां ग्बाग्बो ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया. काफी दिनों तक राजनीतिक गतिरोध बना रहा. लेकिन अब यह सशस्त्र संघर्ष की शक्ल ले चुका है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ए जमाल