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आइसक्रीम के दीवाने अफगान

१४ अगस्त २०१२

अफगानिस्तान की सड़कों पर अकसर टाइटैनिक फिल्म की माई हार्ट विल गो ऑन गीत मेगाफोन पर सुनाई देता है. यह फिल्म का विज्ञापन नहीं आइसक्रीम वाली गाड़ी की आवाज है. आइसक्रीम जिसके अफगान लोग दीवाने हैं.

तस्वीर: Fotolia/Monkey Business

साइकिल गाड़ियां और ठेलों पर अकसर अफगानिस्तान के शहरों में इसी धुन के साथ आइसक्रीम बेचा जाता है. आइसक्रीम व्यापारी फजल अहमद गर्व से कहते हैं, "सभी को आइसक्रीम अच्छी लगती है. तालिबान को भी. वह भी इसे खाते हैं."

2003 में अहमद ने हेरात आइसक्रीम की शुरुआत की. उस समय उन्होंने पांच लाख डॉलक में इसे शुरू किया और आज यह उद्योग डेढ़ करोड़ का है. यह देश में आइसक्रीम और डेयरी उत्पादों में अग्रणी कंपनी है.

इससे पहले अहमद चीन और फ्रांस के साथ आयात निर्यात का काम कर रहे थे. एक बिजनेस ट्रिप में उन्होंने आइसक्रीम फैक्ट्री देखी और तय किया कि वह इसे हेरात में शुरू करेंगे. हेरात वैसे भी घरेलू आइसक्रीम के लिए मशहूर है. लेकिन औद्योगिक उत्पादन यहां नहीं होता.

अफगानिस्तान में सिर्फ एक और बड़ी आइसक्रीम कंपनी है और वह भी काबुल में है.

तस्वीर: dapd

अहमद सभी 34 अफगान प्रांतों में अपना माल भेजते हैं. अस्थिर दक्षिण और पूर्वी इलाकों में भी. हथियारबद्ध संघर्ष के कारण कई इलाके असुरक्षित हैं लेकिन जब बात आइसक्रीम की हो तो कोई परेशानी नहीं होती. उनका कहना है कि धंधे में उनकी चुनौती ईरान से आने वाली सस्ती आइसक्रीम, निवेश की कमी और भ्रष्टाचार है. अहमद कहते हैं कि ईरानी कंपनियां उत्पादन की लागत से भी कम कीमत पर आइसक्रीम बेचती हैं और कई बार आयात कर भी उन्हें नहीं देना पड़ता. "हम 10 अफगानी रुपयों में आइसक्रीम बेचते हैं और वो सिर्फ पांच में."

अहमद के मुताबिक ईरानी व्यापारी अफगानिस्तान के बाजार को कब्जे में लेना चाहते हैं. "हमारी सीमाओं पर नियंत्रण कम है. सरकार ने वैसे तो आयातित उत्पादों पर कर लगाया है लेकिन कई चीजें अवैध ढंग से बाजार में आ जाती हैं. हम और डेरी उत्पाद बेचना चाहते हैं दूसरे शहरों में भी यह काम शुरू करना चाहते हैं."

अफगानिस्तान में स्थानीय उद्योगों की कमी है. अधिकतर बड़े उद्योग सुरक्षा या निर्माण उद्योग से जुड़े हुए हैं और विदेशी मूल की कंपनियां वहां हैं. अहमद कहते हैं कि वह विदेशी निवेश को यहां लाने के लिए काम कर रहे हैं लेकिन भ्रष्टाचार से वह परेशान हैं. वह बताते हैं, "जैसे हमें ज्यादा बिजली चाहिए, तो हमें इसके लिए अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ती है."

अहमद के प्लांट में 200 लोग काम करते हैं और यह पश्चिमी अफगानिस्तान के हेरात इंडस्ट्रियल पार्क में बनी है. कंपनी हर रोज 30 टन आइसक्रीम बनाती है इसके लिए उसे 15 टन ताजा दूध की जरूरत होती है. फायदा पशुपालकों को है जो उन्हें दूध बेचते हैं.

अली अब्दुल्ला आइसक्रीम बेचते हैं. वह बताते हैं. "गर्मी काफी है, किसे आइसक्रीम अच्छी नहीं लगेगी. मेरे ग्राहकों में ज्यादातर छात्र और पुलिसकर्मी हैं."

एएम/एजेए (रॉयटर्स)

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