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आइसलैंड में फिर फूटा ज्वालामुखी

२२ मई २०११

आइसलैंड के ज्वालामुखी का जिक्र आते ही 2010 में धधके उस ज्वालामुखी की याद आती है जिसने आसमान को धूल से भरकर पूरी दुनिया को थाम दिया था. इसीलिए जब शनिवार को आइसलैंड में एक और ज्वालामुखी धधका तो सब चौकस हो गए.

FILE - In this Saturday, April 17, 2010 file photo, an aerial view showing the crater spewing ash and plumes of grit at the summit of the volcano in southern Iceland's Eyjafjallajokull glacier The Irish Aviation Authority decided to impose a “no-fly zone” over Ireland on Monday, May 3, 2010, under advice from the Volcanic Ash Advice Centre in London that there was a risk of “ash ingestion” to aircraft engines. Ireland is due to reopen its airspace Tuesday afternoon, due to the threat from volcanic ash fading, but authorities say air travelers to Ireland face a "summer of uncertainty" because of the long-running Icelandic eruption. (AP Photo/Arnar Thorisson/Helicopter.is, File) ** ICELAND OUT **
तस्वीर: AP

यह ज्वालामुखी देश के दक्षिण पूर्वी हिस्से में उठा है. आइसलैंड के मौसम विभाग के मुताबिक इसमें हुए विस्फोट के बाद सावधानी के तौर पर 200 किलोमीटर की परिधि में विमानों की उड़ानों पर रोक लगा दी गई है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

19 किलोमीटर ऊंचा धुआं

ग्रिम्सफश्टन नाम के इस ज्वालामुखी के ऊपर उठ रही धूल की ऊंचाई लगभग 19 किलोमीटर है. भूगर्भ विज्ञानी एच सेन्ब्योरसोन के मुताबिक इस धूल में ज्यादातर सफेद धुआं ही है. उत्तर अटलांटिक आइसलैंड के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक ग्रिम्सफश्टन देश के सबसे बड़े ग्लेशियर वात्नाज्योएकुल के पास है. सेन्ब्योरसोन ने बताया कि धुएं को कई हिस्सों से देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि हो सकता है यह धुआं ग्लेशियर पिघलने की वजह से उठी भाप हो.

जांच के लिए गए एक विमान से आई रिपोर्ट के मुताबिक सात किलोमीटर की ऊंचाई पर कुछ राख मिली है. हवा की दिशा को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि राख के बादल उत्तरी स्कैंडेनेविया की ओर जा सकते हैं और इसका यूरोप के आसमान पर असर नहीं होगा.

पिछली बार का अनुभव

इस ज्वालामुखी में पिछली बार 2004 में विस्फोट हुआ था लेकिन तब यह कुछ ही दिन में शांत हो गया था. सेन्ब्योरसोन ने बताया कि 1996 में इस ज्वालामुखी के विस्फोट की वजह से बाढ़ आई थी और सड़कें और पुल तबाह हो गए थे. लेकिन इसके आसपास 100 किलोमीटर के इलाके में कोई इंसानी बस्ती नहीं है.

2010 में आइसलैंड के एयाफ्यात्लायोकुत्ल ग्लेशियर के ज्वालामुखी ने पूरे यूरोप के हवाई यातायात को प्रभावित किया था. उससे निकली राख कई दिनों तक आसमान पर जमी रही थी और सैकड़ों उड़ानों को रद्द करना पड़ा था.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ईशा भाटिया

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