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आइसिस पर ईरान का हमला

४ दिसम्बर २०१४

अमेरिका ने इस बात की पुष्टि की है कि ईरान ने इराक में सक्रिय आतंकवादी संगठन आइसिस पर हवाई हमले किए हैं. इस संस्था के खिलाफ आगे की अंतरराष्ट्रीय रणनीति तैयार करने के लिए दुनिया भर के नेता मिल रहे हैं.

तस्वीर: Getty Images/K. Cucel

अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन का कहना है कि ईरान के जेट विमानों ने पूर्वी इराक में हाल के दिनों में आइसिस के ठिकानों को निशाना बनाया है. ईरान और अमेरिका दोनों ही आइसिस को बड़ा खतरा मानते हैं हालांकि इस हमले के लिए ईरान और अमेरिका में किसी तरह के समझौते की बात सामने नहीं आई है.

बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में जब दुनिया भर के नेता मिल रहे थे, तो ईरान के नेता वहां शामिल नहीं थे, क्योंकि यह अमेरिकी नेतृत्व वाले ग्रुप का हिस्सा नहीं है. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा कि उनका ग्रुप इस काम को मिल कर करेगा और यह काम कई सालों तक चल सकता है. उन्होंने ईरान के हवाई हमलों पर कोई टिप्पणी नहीं की.

इराकी प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी का भी कहना है कि उन्हें इस मामले में कोई जानकारी नहीं है, जबकि तेहरान में ईरानी विदेश मंत्रालय ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. प्रवक्ता मारजी अफखाम ने कहा, "मैं सैनिक सहयोग पर इस सूचना की पुष्टि नहीं कर सकता हूं. हम अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत ही सैनिक समर्थन करते हैं."

कई इलाकों पर आइसिस का कब्जातस्वीर: Reuters

पेंटागन का दावा

लेकिन वॉशिंगटन में पेंटागन ने वीडियो का हवाला देते हुए इस हमले की पुष्टि की और कहा कि ईरान के एफ 4 विमानों ने हमला किया और ये विमान वैसे ही अमेरिकी विमान लगते हैं, जो उसने 1979 से पहले अमेरिका से हासिल किया था. उस साल की इस्लामी क्रांति के बाद ईरान में अमेरिका समर्थित शाह को हटा दिया गया था. पेंटागन के प्रवक्ता रियर एडमिरल जॉन किर्बी ने बताया, "हमारे पास इस बात के संकेत हैं कि उन्होंने निश्चित तौर पर पिछले दिनों में एफ 4 फैंटम विमानों से हमला किया है."

ईरान की सेना इराक में शिया मिलिशिया और बगदाद सरकार का समर्थन कर रही है लेकिन यह पहला मौका है, जब अमेरिका ने बताया है कि ईरान की सेना आइसिस लड़ाकों पर भी हमले कर रही है. अमेरिका और ईरान के बीच लंबे तनाव के बाद परमाणु मुद्दे पर करार होता दिख रहा है. इस महीने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी बताया कि उन्होंने ईरान के धार्मिक नेता आयातुल्लाह अल खमेनाई को चिट्ठी लिखी है, जिसमें आइसिस के खिलाफ संयुक्त अभियान की बात कही गई है, बशर्ते कि परमाणु मुद्दे पर सहमति बन जाए.

अगस्त से हमले

अमेरिका ने आइसिस के खिलाफ पहला हमला अगस्त में किया था. बाद में सितंबर में ये हमले सीरियाई सीमा तक पहुंच गए. इसमें अमेरिका के मित्र देश उसकी मदद कर रहे हैं. सीरिया में हो रहे हवाई हमलों में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन और बहरीन इन हमलों में हिस्सा ले रहे हैं. इराक में ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्रिटेन, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस और नीदरलैंड्स हिस्सा ले रहे हैं. कई दूसरे देश सूचना और तकनीक में मदद दे रहे हैं.

अमेरिका का दावा है कि इराक और सीरिया में 30,000 से ज्यादा लड़ाके हैं. आइसिस को आईएस और आईसिल के नाम से भी जाना जाता है, उसने जुलाई में इराक और सीरिया के कुछ हिस्सों में खिलाफत का एलान कर दिया है और उसके बाद से कई पश्चिमी नागरिकों के सिर कलम किए हैं. इस पर महिलाओं के बलात्कार और दूसरे अपराधों का भी आरोप है.

केरी ने ब्रसेल्स में कहा, "हमें आने वाले महीनों में सतर्कता के साथ योजना बनानी है." उन्होंने कहा कि आइसिस से यूरोप, अरब और एशियाई देशों को खास तौर पर खतरा है.

अधिकारियों का कहना है कि वे इस बात पर भी ध्यान दे रहे हैं कि किस तरह विदेशी लड़ाकों को वहां जाने से रोका जाए. हाल के दिनों में कई पश्चिमी युवा आइसिस की ओर से लड़ने इराक और सीरिया पहुंचे हैं.

एजेए/ओएसजे (एएफपी)

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